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Sachin Tiwari

Thriller

4.7  

Sachin Tiwari

Thriller

कौतूहल एक मुश्किल तलाश

कौतूहल एक मुश्किल तलाश

57 mins
414


उसने जैसे ही घर का दरवाजा खोला, सामने उसके भाई की लाश जो कि सोफ़े पर थी l कौतूहल (एक मुश्किल तलाश), दास्तान है दिल्ली के करोलबाग की, जहां दो भाई रहा करते थे उनमे से बड़े भाई करण का दिल्ली मे ही ऑटो पार्ट्स का बिजनेस था, तो वही छोटा भाई हिमांशु दिल्ली के कौटिल्य अकादमी में यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, दोनों भाई बड़े इत्मीनान और सुकून के साथ करोलबाग में खुद के बंगले पर रहते थे। करण का बिजनेस अच्छा चल रहा था और वो एक नेक इंसान भी था शायद इसी लिए मात्र तीस साल की उम्र मे वो एक सक्सेसफूल बिजनेसमैन बन चुका थाl करण परिवार से भी समृद्ध था। करण का पूरा परिवार फिरोजाबाद मे रहता था जिसमें उसके मां बाप और दादाजी थे l करण के पिता फिरोजाबाद के रिटायर्ड एसपी थे और अपनी ईमानदारी के कारण प्रसिद्ध थेl इनके कार्यकाल मे फिरोजाबाद मे हर जगह शांति थी गुंडागर्दी और चोरी डकैती सब खत्म हो चुकी थी l करण ने अपनी एमबीए की पढ़ाई के बाद से ही दिल्ली मे ऑटो पार्ट्स का एक छोटा सा स्टार्ट अप किया जो देखते ही देखते भारत के बारह राज्यों मे ऑटो पार्ट्स सप्लायर के रूप मे उभरा, और फिर अपने सभी मज़दूरों से उसका बर्ताव भी अच्छा था, वो उनकी हर छोटी मोटी तकलीफ में उनका साथ दिया करता था, इसलिये मजदूर भी उसे अपना भगवान मानते थे l तो वही दूसरी ओर हिमांशु थोड़ा लापरवाह और आलसी किस्म का व्यक्ति था पर अपने भाई को पिता के समान इज़्ज़त देता था, और करण भी उस पर अपनी जान छिड़कता था और इसलिए उसे भी अपने साथ दिल्ली ले जाकर यूपीएससी की तैयारी करवा रहा था l सब कुछ बढ़िया चल रहा था पर दिल्ली में अपने घर से दूर रहकर हिमांशु बुरी संगत में आ गया और दारू सिगरेट और गांजे का नशा करने लगा, जिसकी करण को भनक तक न लगी क्योंकि वो ज्यादातर बिजनेस के सिलसिले मे दिल्ली के बाहर ही रहा करता था, और इसी बात का फायदा हिमांशु उठाता था, और अपने अय्याश दोस्तों को बंगले पर बुलाकर नशे किया करता था ये सब बातें बंगले के नौकर बब्बन काका को बिलकुल भी पसंद न थी, पर हिमांशु ने उनको धमका रखा था, कि यदि भैया को कुछ भी बताया तो वो उसे नौकरी से निकाल देगा, इसलिए बब्बन भी इन बातों को करण से छुपाकर रखता था l एक दिन करण के दिल में अचानक ही बात आई, कि हिमांशु हर दूसरे तीसरे दिन नए नए बहाने से हजारों रुपये माँगा करता है, तो वो इतने पैसों का करता क्या है, फिर दूसरे ही पल करण को लगा कि शायद में हिमांशु को गलत समझ रहा हूं, हो सकता है कि अपने दोस्तों के साथ पार्टी औऱ मूवी वगैरह में पैसे खर्च हो जाते होंगे इसलिए शायद हिमांशु पैसे माँगा करता है और फिर वो सो जाता है l फिर एक दिन करण हिमांशु को बुलाकर उसे बताता है, कि में बिजनैस के सिलसिले में उत्तराखंड जा रहा हूं, तो तुम अपना ध्यान रखना और उसे कुछ पैसे देते हुए कहता है, कि और जरूरत हो तो मांग लेना और इतना कहकर करण निकल जाता है l तो इधर हिमांशु रात को अपने अय्याश दोस्तों को बंगले पर बुला लेता है, पर किसी वजह से करण का उत्तराखंड जाना केन्सिल हो जाता है, और वो अपने बंगले पर वापस आता है जहां का नज़ारा देखकर तो उसके होश ही उड़ जाते है..... । वो हिमांशु के सभी अय्याश दोस्तों को बंगले से बाहर निकाल देता है, और हिमांशु से बात करता है किन्तु हिमांशु नशे की हालत में होने से, सही तरीके से बात तक नहीं कर पा रहा था, जिस पर करण ने उसे सोने के लिए अकेला छोड़ दिया, और खुद भी अपने कमरे में आकर चिन्तित अवस्था में बैठ गया, और फिर बब्बन काका खाने की थाली लेकर करण के कमरे में आ गए, उन्हें देखकर करण ने उनसे पूछा कि काका मेरे जाने के बाद ये सब क्या और कब से चल रहा है, जिस पर बब्बन ने उसे सारी कहानी सुना दी और ये सच छुपाये रखने की लिए माफी मांगने लगे, पर करण ने उन्हें समझाया कि कोई बात नहीं आप बेफिक्र रहो आप को कोई नौकरी से नहीं निकालेगाl अगले दिन जिसका करण बेसब्री से इंतजार कर रहा था उसने अपने भाई हिमांशु का नशा उतरने के बाद उससे बात की, और उसे उसकी इस हरकत पर डांटने लगा, जिस पर हिमांशु भी माफी मांगने लगा पर करण ने उसे कुछ दिनों के लिए वापस फिरोजाबाद जाने को कहा, ताकि वहां रहकर शायद घरवालों की नज़रों के सामने रहने से उसकी नशे की लत छुट जाये, और घर पर बात कर, हिमांशु के आने की सूचना भी दे दी, किन्तु कुछ बताया नहीं हिमांशु भी भैया की डांट से बहुत अधिक परेशान हो गया, क्योंकि जीवन में पहली बार भैया ने उसे डाँटा था, और फिर अपने भाई की बात मानकर वो घर जाने को राजी हो गया और करण अपने बिजनैस के काम से एक हफ्ते के लिए बेंगलुरु चला गयाl कौतूहल 


               भाग 2 

भाग 1 में आपने देखा कि हिमांशु को कुछ दिनों तक फिरोजाबाद जाने का कहकर करण बिजनेस के काम से बेंगलुरु चला गया था। पर उसे क्या पता था कि दिल्ली में एक नया रहस्य उसका इंतजार कर रहा है l करण बंगलुरु से लौटा तो उसने देखा, कि उसके भाई की लाश सोफ़े पर पडी हुई थी ये देखकर वो घबरा गया और बब्बन काका को आवाज दी, तो पता लगा कि वो तो खुद ही लापता है ये सब देखकर करण हिमांशु कि लाश से लिपटकर रोने लगता है, और फिर पुलिस को सूचना दे कर अपने घर पर बात करता है जिस पर उसके पिता उसे बताते है कि उसके द्वारा हिमांशु के आने की सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही हिमांशु का कॉल आया और उसने बताया कि भईया ने मुझे अभी फिरोजाबाद आने को मना कर दिया है, मैं अगले हफ्ते आऊंगा और इतना कहकर फोन काट दियाl फिर करण अपने पिता को हिमांशु के मौत की सूचना देता है, जिससे उसके पिता बदहवास होकर तत्काल दिल्ली के लिए निकल पड़ते है इतने में पुलिस भी आ जाती है, और लाश का मुआयना कर करण से पूछताछ करती है, जिस पर करण भी पुलिस को सारी बातों से रुबरु करवाता है। इधर काफी पड़ताल करने के बाद पुलिस को ये आत्महत्या प्रतीत होती है, पर करण इसे आत्महत्या मानने से इंकार कर देता है और पुलिस को बताता है कि हिमांशु एसा नहीं कर सकता, उसे जरूर किसी ने मारा है और फिर अपने नौकर बब्बन के लापता होने के बारे मे भी पुलिस को बताता है l करण की बात सुनकर पुलिस उसके नौकर के बारे मे पूछताछ करती है जिस पर करण उन्हें बताता है, कि पिछले तीन साल से बब्बन उनके साथ ही उनके बंगले में नौकरी करता था, और हिमांशु ने कई बार उसे अपनी नशे की लत के बारे मे मुझे बताने पर उसे नौकरी से निकाल देने की धमकी दी थी, इन सब बातों को सुनकर, साथ ही बब्बन के लापता होने से पुलिस का शक बब्बन पर जाता है, और पुलिस बब्बन की तलाश में लग जाती है और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती हैl इधर करण के पिता भी दिल्ली पहुंच कर करण से मिलते है तो करण भी विस्तार से सारी बातें पिता को बता देता है जिस पर करण के पिता करण को उसकी मां को कुछ भी न बताने की राय देते हैं, क्योंकि वो दिल की मरीज़ है और ये सदमा बर्दाश्त न कर पाएगी, जिस पर करण अपने पिता से लिपटकर रोने लगता है l अगले दिन करण और उसके पिता को थाने पर बुला कर इंस्पेक्टर द्वारा उन्हें बताया जाता है, कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार हिमांशु की मौत तकरीबन पांच-छह दिन पहले ज़हर खाने की वजह से हुई है, जिससे करण का शक भी बब्बन की ओर ही जाता है, कि शायद बब्बन ने ही हिमांशु को खाने में ज़हर मिलाकर खिला दिया होगा, और वो अपने पिताजी को भी इस बारे मे बताता है कि शायद नौकरी से निकाल दिये जाने की धमकी से बब्बन ने ही हिमांशु को ज़हर दे दिया हो, पर करण के पिता ने इस बात पर असहमति व्यक्त करते हुए करण से कहा कि इतनी छोटी सी वजह से बब्बन हिमांशु को नहीं मार सकता इसके पीछे कोई और ही है, जिसके लिए बब्बन का मिलना बहुत जरूरी है। और फिर करण अपने पिता को लेकर बब्बन के घर जाता है जहाँ पहुंच कर उसे पता लगता है कि कुछ दिन पहले बब्बन आया जरूर था पर कुछ देर रुककर वो निकल गया था, जिसके बाद वो अभी तक घर नहीं आया और इतना कहकर बब्बन की पत्नी रोने लगती हैं फिर करण उन्हें सांत्वना देते हुए, बब्बन को जल्दी ही ढूंढ निकालने की हिम्मत देता है l 

           कौतूहल भाग 3 

इधर पुलिस हिमांशु की कॉल डिटेल्स चेक करती हैं तो पुलिस को पता चलता है कि, हिमांशु ने लास्ट कॉल उसने पिता को किया था, और साथ ही पिता को कॉल करने से कुछ देर पहले उसके दोस्त रमन को भी कॉल किया गया था। इस पर पुलिस करण से हिमांशु कर दोस्त रमन के बारे मैं पूछताछ करती है, पर करण को कुछ भी पता नहीं होता है। इधर पुलिस रमन को पूछताछ के लिए थाने बुलाती है तो रमन बताता है, कि उसके पास हिमांशु का फोन आया था और हिमांशु ने उससे कहा था कि में अब बदलना चाहता हूं, और आज से में कोई नशा नहीं करूंगा और फिर कभी नशे के लिए मुझे फोन मत करना इतना कहकर हिमांशु ने फोन काट दिया पर उसकी बातचीत से वो काफी निराश लग रहा था। पुलिस ने रमन को छोड़ दिया और कुछ भी पता लगने पर सूचित करने को कहा l वही दूसरी ओर करण और उसके पिता बब्बन की तलाश में सोसाइटी वालों से पूछताछ कर रहे थे परन्तु कोई भी जानकारी हाथ नहीं आ रही थी l पुलिस ने करण से बंगले के बाहर पार्किंग पर लगे cctv के फुटेज के बारे मे पूछा, तो करण ने उन्हें बताया कि वो तो पिछले तीन महीनों से खराब है l जिसके बाद पुलिस ने आस पास के लोगों से पूछताछ की पर किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। जिससे पुलिस भी इस केस को लेकर उलझती ही जा रही थी, वही बब्बन का भी कोई पता नहीं चल रहा था। पुलिस ने बब्बन की फोटो अखबार में देकर गुमशुदगी का इश्तहार छाप दिया पर पूरे चार दिन बाद भी कोई सफलता हाथ न लगी l करण के पिता ने करण से पूछा कि क्या उसका कोई दुश्मन था जो एसा कर सकता हो जिस पर करण ने साफ इंकार कर दिया l इधर अचानक ही पुलिस इंस्पेक्टर को एक बात याद आती हैं, कि जब वो बंगले पर गया था तो बंगले के गार्डन की घास गिली थी जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक हिमांशु की मौत पोस्टमार्टम करवाने के चार पांच दिन पहले होना बताया गया था मतलब हिमांशु की मौत के बाद भी शायद कोई सबूत मिटाने के लिये बंगले पर गया होगा पर वो गार्डन में पानी क्यों देगा.........l कुछ दिनों तक पुलिस ने इस मसले पर बहुत मशक्कत की, पर जब कोई भी सुराग नहीं मिला और न ही बब्बन का कोई पता चला, तो पुलिस भी इस घटना को आत्महत्या मानने पर मजबूर हो गई l वही दूसरी ओर करण और उसके पिता भी हिम्मत हार चुके थे और इस घटना को बुरा सपना समझ कर भूलना चाहते थे। तभी अचानक कुछ एसी चीज़ पुलिस के हाथ लगी जिससे इस केस में एक नया मोड़ आ गया...........l उलझने बढ़ती गई, पर हांसिल कुछ हुआ नहीं । कत्ल ग़र हुआ था, तो कातिल क्यूं मिला नहीं ।। बैचेनी बढ़ती गई औऱ, समझ कुछ ना आया । आग ग़र लगी थी तो , उठा क्यूं धुआं नहीं ।। एसा क्या लगा पुलिस के हाथ जिससे इस कहानी में एक नया मोड़ आ गया.................................l इस घटना के तकरीबन एक माह बाद की बात है, कि पुलिस को न्यू दिल्ली स्टेशन के पास रेल्वे ट्रैक पर एक संदिग्ध लाश मिलने की सूचना प्राप्त होती हैं। जिस पर पुलिस मौका ए वारदात पर पहुंच कर जब लाश का मुआयना करती हैं, तो लाश को देखकर हैरान हो जाती हैं क्योंकि लाश का चेहरा बहुत ही भयानक तरीके से जला हुआ था.....l जिसके बाद पुलिस ने थाने में दर्ज किए गए गुमशुदगी के केस के सभी गुमशुदा व्यक्तियों का हुलिया लाश से मिलाया तो लाश का हुलिया कुछ कुछ बब्बन से मिल रहा था..........l फिर इस बात की सूचना देते हुए, शिनाख्ति के लिए पुलिस करण को बुलाती है, और अचानक से बब्बन की लाश मिलने की सूचना से हैरान करण भी तत्काल वहां पहुंच कर लाश के दाहिने पांव पर पुरानी चोट का निशान देखकर लाश बब्बन की ही होने की पुष्टि करता है। फिर घटनास्थल का मुआयना कर पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है, साथ ही हिमांशु का केस जिसे पुलिस आत्महत्या मान चुकी थी उसमे एक नया मोड़ आ जाता है l इधर पुलिस को लगता है कि शायद हिमांशु की मौत होते बब्बन ने देख लिया होगा, इसलिए कातिल ने बब्बन को अगवा कर लिया होगा, जिससे कि पुलिस का शक बब्बन पर चला जाय और अब जब ये मामला ठंडा हो गया तो बब्बन का चेहरा जलाकर उसकी लाश को रेल्वे ट्रैक पर फेंक दिया गया जिससे कि इसकी शिनाख्त न हो पाए और लावारिस लाश की तरह ही बब्बन का चैप्टर क्लोज हो जाए l पर असलियत क्या थी ये कोई नहीं जानता था....... पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आती हैं, तो पता लगता है कि बब्बन की मौत भी जहर खाने की वजह से ही हुई है और उसे कोई ड्रग्स भी दिया जाता था, साथ ही मरने से पहले उसे बुरी तरह से पीटा गया था। जिस कारण उसके घुटने में क्रैक भी था पर पीटने का कोई भी कारण पुलिस को समझ नहीं आ रहा था......l पुलिस ने घटना स्थल का दुबारा से भी निरीक्षण किया पर कोई भी सबूत नहीं मिला....l इधर दूसरी ओर हिमांशु के पिता को जब सूचना मिलती हैं, कि बब्बन की लाश बरामद हुई है तो वो भी कुछ दिनों के लिए वापस दिल्ली आ जाते है, और पुलिस थाने में जाकर केस के बारे पूछताछ करते हैं, पर पुलिस के पास अभी तक उन्हें बताने जैसा कोई भी सबूत नहीं था, इसलिये वो जल्द ही कुछ करने की दिलासा देकर उन्हें लौटा देती है l फिर पुलिस हिमांशु और बब्बन को दिए गए जहर के बारे मे रिसर्च करवाती है, तो पता चलता है कि दोनों जहर एक ही फार्मूला के थे जो कीटनाशक दवा के रुप मे शहर मे बिकता है। उसके बाद पुलिस शहर में इस फार्मूला से तैयार किए गए जहर के सभी डीलर से पूछताछ करती हैं और हिमांशु की मौत के के एक दिन पहले और उसी दिन इसे खरीदने वाले लोगों की जानकारियां निकालने में जुट जाती हैं l यूं ही नहीं हुआ ये सब । जरूर कोई बात थी ।। शायद ये तह था या । बस एक शुरुआत थी ।। 

            कौतूहल भाग 4 

अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि पुलिस ने उस फार्मूला से बने कीटनाशक के खरीदारों की जानकारी हांसिल कर ली, पर एसा कोई भी व्यक्ति न मिला जो शक के दायरे में आए फिर इसी क्रम में जब पुलिस ने एक लोकल डिस्ट्रीब्यूटर की दुकान के सीसीटीवी फुटेज चेक किए, तो उसने कुछ एसा देख लिया जिससे ये गुत्थी और ज्यादा उलझ गई l एसा क्या देख लिया पुलिस ने...........................l पुलिस ने जब उस लोकल डिस्ट्रीब्यूटर की दुकान के सीसीटीवी फुटेज चेक किए, तो बब्बन उस कीटनाशक ज़हर को खरीदते हुए स्पष्ट दिखाई दे रहा था। जिस पर पुलिस ने दुकानदार से पूछताछ करी पर दुकानदार ने बताया कि बब्बन इस दवा का नाम एक काग़ज़ पर लिख कर लाया था, जिसे पढ़कर मैंने दवा दी और वो पैसे देकर चुपचाप ही चला गया और कुछ भी नहीं बोला शायद थोड़ा जल्दबाजी में था....................l फिर पुलिस भी इन सभी बातों को आपस में जोड़ने की कोशिश करते हुए कोई सुराग या हल निकालने का भरसक प्रयास करती है, और इस बात की सूचना करण को भी देती है, जिससे करण भी बब्बन के द्वारा ज़हर खरीदे जाने की बात सुनकर गहरी सोच में पड़ जाता है, और अपने पिता को भी ये बात बताता है l इधर करण के पिता जो खुद भी फिरोजाबाद के रिटायर्ड एसपी थे और अपनी सूझबूझ से उन्हें कई मर्डर केस साल्व करने का अनुभव था पर इस गुत्थी को तो वो खुद भी समझ पाने में असमर्थ थे.... l अगले दिन सुबह जब करण के पिता अपने बंगले के बाहर गार्डन में बैठ कर अखबार पढ़ रहे थे तभी अचानक उन्हें करण की आवाज सुनाई देती हैं। पिताजी..... अंदर आइए............ इस पर करण के पिता जब अंदर जाते हैं, तो करण उन्हें वो पर्ची दिखाता है जिस पर उस कीटनाशक दवा का नाम लिखा हुआ था और पर्ची पर लिखावट हिमांशु की थी मतलब ये दवा हिमांशु ने ही मंगवाई थी तो क्या हिमांशु ने आत्महत्या की..............................। और यदि हिमांशु ने आत्महत्या की भी तो बब्बन को किसने मारा , क्या बब्बन ने भी आत्महत्या की यदि करी भी तो उसका चेहरा किसने जलाया उसे पीटा किसने .................। आखिर में जब इस केस में कोई भी कामयाबी हाथ आती नजर न आई, तो करण के पिता ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर और अपने पुराने मित्र दिग्विजय मिश्रा से इस मामले पर व्यक्तिगत चर्चा की, और फिर इस केस की तहकीकात के लिए एक सीनियर ऑफिसर विनय बत्रा को बुलवाया जो अपने काम को लेकर पूरी दिल्ली में मशहूर था। और फिर विनय इस केस की तहकीकात के लिए आ जाता है, और इंस्पेक्टर से मिलकर केस की तमाम जानकारी हांसिल करता है, और फिर इन्हीं जानकारियों को तोड़ मरोड़कर कोई सुराग ढूंढने की कोशिश करता है तो वही दूसरी ओर करण के पिता में भी इस केस को लेकर एक नई उम्मीद कायम हो जाती हैं l बुझती हुई लौ, फिर से जल उठी। रोशनी के नए, अरमान जाग गए।। मशाल खुद चल कर, क्या आई। तमस बचा, अपनी जान भाग गए।। इधर इस पूरे केस को विस्तारपूर्वक समझने के बाद विनय ने बिना एक पल भी देर किए सबसे पहले करण के बंगले का और फिर रेल्वे ट्रैक का मुआयना किया, और बड़ी ही बारीकी से मौका-ए-वारदात के हर एक दृश्य पर गौर किया l फिर विनय ने उन सभी रास्तों की जानकारी एकत्रित की जिनसे उस रेल्वे ट्रैक पर पहुंचा जा सके जहाँ बब्बन की लाश मिली थी। क्योंकि लाश को किसी न किसी गाड़ी के जरिए ही वहां ले जाया गया होगा और उसे पता लगा कि केवल एक ही सड़क मार्ग है जो उस जगह तक पहुंचने के लगभग पचास मीटर पहले ही समाप्त होता है और उसके बाद सडक के अंत से रेल्वे ट्रैक तक सुनसान इलाका होने से वो लोग पैदल ही लाश को ले गए होंगे...............l जिसके बाद पहले तो विनय पचास मीटर के दायरे वाले उस सुनसान इलाके का, बड़ी ही बारीकी के साथ मुआयना करता है औऱ उसके बाद अपने एक ऑफिसर को भेजकर उस चौराहे पर लगे सीसीटीवी पर बब्बन की लाश मिलने के एक रात पहले की फुटेज चेक करने की लिए भेजता है जिससे ये अंतिम सड़क जुड़ी थीं l तभी विनय को वहां पर कुछ एसा निशान नजर आया .................. 

             कौतूहल भाग 5 

विनय ने देखा कि उस सुनसान इलाके में किसी इंसान को घसीट के ले जाने के निशान थे, जो कि ट्रैक के आसपास की मिट्टी के दरदरी और बालू समान होने के कारण दिखाई दे रहे थे, पर कुछ दिन पुराने हो जाने से स्पष्ट नहीं दिख रहे थे। विनय ने जब इस बात पर गौर किया तो उसने ये भी देखा कि वहां पर केवल एक ही व्यक्ति के पैरों के निशान दिखाई दे रहे जो घसीटने के निशान के साथ साथ ही दिख रहे थे l कुछ दूर तक तो निशान दिखे पर फिर आगे घास होने के करण कोई निशान नहीं दिखाई दिया l फिर आसपास कुछ दूर तक तलाश करने पर कुछ पतले से टायर के जैसे निशान दिखे जैसे कि ये किसी साइकिल के टायर हो पर विनय ने सोचा कि हो सकता है शायद कोई साइकिल वाला यहां से गुजरा होगा, और इस बात को नजरअंदाज कर देता है l और फिर विनय सिपाहियों के साथ लौट जाता है और सीधे करण के बंगले पर जाता है जहां करण के पिता जिसे विनय अपना गुरु मानता है कुछ देर तक बैठ कर विनय से बातें करते हैं फिर दोनों लोग साथ बैठकर खाना खाते हैं और विनय वहां से निकल जाता है l तभी अचानक रात को इंस्पेक्टर का फोन आता है, कि चौराहे पर लगे सीसीटीवी की शाम पांच बजे से अगले दिन लाश के बारे में सूचना मिलने तक के समय, कि फुटेज चेक करने पर उस रास्ते पर केवल चार फोर व्हीलर गई, जो कि उसी सडक के किनारे बने हुए घरों के निवासियों की थी और इसके अलावा कोई भी संदिग्ध कार या वाहन नहीं दिखाई दिया l जिस पर कुछ देर तक सोच विचार करने के बाद विनय को अचानक से साइकिल के टायर के निशान याद आये और फिर वो पूरा माजरा समझ गया...........l कातिल जो भी है वो इतना शातिर है कि उसने सड़क के बजाय साइकिल पर बाँधकर लाश को ट्रैक तक पहुँचाया था फिर अगले ही दिन वो सुबह साइकिल से वहां पर जाता है और एसे रास्ते की तलाश करता है जिससे साइकिल आसानी से निकल सके। और उसे पगडंडी के जैसा एक रास्ता दिखाई देता है जो उस चौराहे के थोड़ा पहले ही सड़क पर मिल जाता है l विनय को भी ये समझने में देर न लगी कि ये दो व्यक्तियों का काम है जिनमे से एक ने लाश को बाँधकर गाड़ी से पगडंडी तक पहुँचाया, और दूसरे ने लाश को ट्रैक तक पहुंचाकर उसे खोल दिया l फिर विनय ने इंस्पेक्टर को उन सभी गाड़ियों की डिटेल्स निकलवाने के निर्देश दिए जो इस चौराहे से तो निकली, पर उस चौराहे तक नहीं पहुची जिसकी फुटेज पहले चेक की थी क्योंकि पगडंडी वाला रास्ता इन्हीं दो चौराहे के बीच में थाl और यहां से विनय को बहुत बड़ी कामयाबी मिलती है, फुटेज से उसे पता चल जाता है, कि रेड कलर की एक वेन जो एक चौराहे से निकल कर दूसरे तक नहीं पहुंची, जबकि इन दोनों चौराहों के बीच में फोर व्हीलर ले जाने लायक एसा कोई भी रास्ता नहीं था, जहां से ये निकल सके और न ही कोई पार्किंग । फिर कुछ देर बाद यही वेन वापस जाते हुऐ भी दिखी, और उसके कुछ ही देर बाद फुटेज में एक व्यक्ति साइकिल से जाता हुआ भी दिखाई दिया, पर चेहरा स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा था पर वेन के नंबर से विनय ने जब वेन के मालिक के बारे में जानकारी निकाली, तो पता लगा कि ये तो वही वेन है जिसकी चोरी की रिपोर्ट बब्बन के लाश की सूचना मिलने के एक दिन पहले ही थाने में दर्ज की गई थी l न जाने कौन है वो शख्स। जो अब तक गुमनाम है।। क्या विनय की जीत हुई या। ये उसके भ्रम का कोई मुकाम है।। क्या वाकई में विनय कातिल के करीब है या ये सिर्फ उसका कोई भ्रम है........................................l 

            कौतूहल भाग 6 

विनय ने वेन के मालिक से पूछताछ की, तो उसने बताया कि वो ड्राइवर है और वेन से बच्चों को स्कूल छोड़ने और वापस लाने का काम करता था। और उस दिन भी उसने शाम को बच्चों को स्कूल से घर छोड़ने के बाद, वेन को घर के सामने पार्क कर दिया, पर जब सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने के लिए लिये निकला, तो वेन चोरी हो चुकी थी और उसने इसकी रिपोर्ट भी थाने में दर्ज की थी l इधर विनय उस वेन की तलाश में लग जाता है, और शहर के हर एक चौराहे की उस दिन की सीसीटीवी फुटेज चेक करवाता है जिससे विनय को कुछ भी पता नहीं लग पाता, और विनय भी समझ जाता है कि वेन को चोरी करने के बाद लाश को उठाने के लिए वेन को किसी एसे रास्ते से ले जाया गया ताकि किसी भी चौराहे से न गुजरना पड़े। वो तो मजबूरन कातिल द्वारा लाश को रेल्वे ट्रैक पर ले जाने के लिए वेन को पगडंडी वाले रास्ते तक पहुंचाने के लिए चौराहे से ले जाना पड़ा l क्योंकि ये ही एकमात्र रास्ता था जिससे वेन जा सकती थी अन्यथा वो तो चौराहे से वेन को ले ही न जाता l अब विनय एसी स्थिति में था कि इतना सब कुछ करने के बावजूद भी मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई थीं l काफी मशक्कतों के बाद विनय को वो वेन एक सुनसान जगह पर खड़ी हुई मिल जाती है, जिसके बाद विनय बड़ी ही बारीकी से वेन का मुआयना करता है l उसके अंदर से लाश की दुर्गंध अभी तक आ रही थी, साथ ही वेन की पीछे वाली सीट पर जुट के बोरे के रेशे और दो तीन बाल भी मिले थे। जिसे विनय ने फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया...l फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट के मुताबिक ये बाल बब्बन के ही थे और विनय ने इस बात की सूचना करण के पिता को भी दी l विनय के मुताबिक अब ये केस लगभग पचास प्रतिशत साल्व हो चुका था, अब बचा था तो केवल उसे पकडना जिसने ये वेन चुराई थी और विनय भी जुट गया चोर की तलाश में.......l विनय फिर से उसी स्थान पर जाता है, जहां पर वेन मिली थी और आसपास के स्थान का मुआयना करता है तो उसे एक बोरा मिलता है जिससे वैसी ही दुर्गंध आ रही थी, जैसी वेन से आ रही थी मतलब ये वही बोरा था, जिसमें बब्बन की लाश को लपेटा गया था l जिसके बाद विनय उस स्थान के आसपास के इलाकों में पूछताछ करता है पर कोई भी जानकारी नहीं मिलती है और देखते ही देखते रात हो जाती है l रात को खाना खाने के बाद विनय इस केस के सिलसिले में अपने फ्रैंड और सीनियर ऑफिसर कमलेश से फोन पर बात करता है जिस पर कमलेश सारा वृत्तांत सुनने के बाद विनय से ये पूछता हैं कि वेन जिस घर से चोरी हुई वहां से वो रेल्वे ट्रैक के बीच की दूरी लगभग कितनी होगी, औऱ फिर रेल्वे ट्रैक से उस स्थान की दूरी भी पूछता जहाँ पर ये वेन मिली जिस पर विनय द्वारा बताया गया कि दोनों दूरियां जोड़कर तकरीबन बीस से बाईस किलोमीटर होगी, पर विनय को बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था कि कमलेश यह सब कुछ क्यों पूछ रहा है l फिर कमलेश ने विनय से कहा यदि वेन सीधे रास्ते से न ले जाकर घुमा फिरा कर ले जाइ गई थी तो इसका मतलब ये दूरी लगभग दस किलोमीटर और बढ़ गई होगी जिस पर विनय भी कमलेश से सहमत था। पर इन सब से क्या होना है ये विनय को बिलकुल भी समझ मे नही आ रहा था l और फिर कमलेश ने इन्हीं सब जोड़ घटाव के बाद केस को लेकर विनय को एक एसी सलाह दी, कि विनय इतना खुश हुआ जैसे कि उसका हाथ कातिल तक पहुंच हीं गया हो.............l फिर विनय ने कमलेश को धन्यवाद देते हुए फोन काट दियाl था करीब पर, हाथ न आया। जाने कहां, खुद को था छुपाया।। खैर नहीं, उस जालिम की अब।। जिसने भी था, ये खेल रचाया।।  

           कौतुहल भाग 7 

विनय ने अगले ही दिन शहर के सभी पेट्रोल पंप पर पूछताछ की, और उस दिन की फुटेज चेक की जिस दिन कार चोरी हुई थी। यहां विनय को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगती है जब उसे एक पेट्रोल पंप के फुटेज में एक व्यक्ति केन में पेट्रोल लेते हुए दिखाई देता है, जिसका हुलिया चौराहे पर कैप्चर किए गए साइकिल वाले व्यक्ति से हूबहू मिल रहा था उसने कपड़े भी वही पहनें थे जो चौराहे की फुटेज में थे। इधर पेट्रोल पंप की फुटेज से विनय उस व्यक्ति की तलाश में लग जाता है, और उसकी फोटो दिखाकर आसपास के इलाकों में पूछताछ करता है औऱ फिर अंत में वो व्यक्ति विनय की गिरफ्त में आ ही जाता है। जिसे उठाकर विनय थाने में ले आता है और फिर उससे पूछताछ करता है कि उसने बब्बन को क्यों मारा और हिमांशु का कत्ल किसने किया जिस पर डरा सहमा वह व्यक्ति विनय को एक नई कहानी ही सुना देता है, जिससे ये गुत्थी और भी उलझ जाती है...........l उसने विनय को बताया कि उस रात जब वो काम से घर लौट रहा था कि अचानक उसके पास एक फोन आया, और उसे बताया गया कि उसके बच्चे का अपहरण कर लिया गया है। और यदि बच्चा वापस चाहिए तो हमारा काम करना होगा जिसके बाद उसने मुझे केन में पेट्रोल लेकर एक स्थान पर बुलाया, और जब पेट्रोल लेकर में वहां पहुंचा तो फिर से उसका फोन आया कि में पेट्रोल वही पर रखकर कुछ देर के लिए में वापस चले जाऊँ पर मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा था, कि ये सब क्या हो रहा है फिर लगभग दो घंटे के बाद दोबारा उसका फोन आया, और मुझसे कहा गया कि रेल्वे ट्रैक के पास जो पगडंडी वाला रास्ता है वहां पर एक वेन खड़ी है उसमे एक बोरे में लाश रखी है, उसे बोरे से निकाल कर ट्रैक पर फेंक देना ताकि वो ट्रेन से कट जाये और जब मैं अपनी साइकिल से वहां पहुंचा तो वहां एक वेन खड़ी थी, उसमे से लाश को निकाल कर में रेल्वे ट्रैक के पास ले गया और बोरे को खोलकर जब लाश को बाहर निकाला, तो डर के मारे में लाश को ट्रैक पर नहीं फेंक पाया, और ट्रैक के पास ही लाश को छोड़ कर बोरा वापस वेन में रख दिया, और निकल गया जिसके कुछ ही देर बाद मुझे ओवरटेक कर वेन निकल गई और कुछ देर बाद बच्चा भी घर पर पहुंच गया जिसकी सूचना मेरी पत्नी ने मुझे फोन पर दी। फिर में घर चला गया.....फिर क्या हुआ मुझे कुछ पता नहीं........l जिसके बाद विनय ने उस व्यक्ति से वो मोबाइल नंबर माँगा जिससे किडनैपर का फोन आया जिस पर उस व्यक्ति ने विनय को वो नंबर दे दिया फिर इंस्पेक्टर को बुला कर विनय ने उस नंबर को ट्रैस करवाने के लिए भेजा तो पता लगा कि फर्जी सिम का इस्तेमाल किया गया था जिसकी कॉलर id ब्लॉक की गई थी, किन्तु किडनैपर ने उस व्यक्ति को जिस स्थान से फोन किया ये वो ही जगह थी जहां पर उस व्यक्ति द्वारा पेट्रोल का केन रखना बताया गया था, जिससे विनय को इस बात की पुष्टि हो जाती हैं कि वो व्यक्ति सही कह रहा है वो एक मासूम इंसान है जिसे वाकई में इस केस के बारे मैं कुछ नहीं पता...........l विनय उस स्थान पर जाता है जहां पर पेट्रोल का केन रखा गया था......l वो एक सुनसान इलाक़ा था जहां आसपास न तो कोई घर था और न कोई दुकान......l फिर विनय उस इलाके से कुछ दूरी पर स्थित बिल्डिंग और दुकानों का निरीक्षण करता है, औऱ सभी दुकानों पर पूछताछ करता है पर इस घटनाक्रम के बारे में किसी को कुछ भी जानकारी नहीं थी.......l अचानक ही विनय का ध्यान एक निर्माणाधीन बिल्डिंग पर जाता है, जिसका निर्माण कार्य कई दिनों से बंद था, और वो बिल्डिंग एक खण्डहर की भांति दिख रही थी l विनय अपनी पूरी टीम के साथ उस बिल्डिंग के अंदर घुसकर छानबीन शुरू कर देता है, जहां उसे, उस बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर एक बिना दरवाजे का कमरा दिखाई देता है, जिसके अंदर घुसने पर विनय ने देखा कि वहां पर जली हुई लकड़ी के कुछ एक दो छोटे छोटे टुकड़े मिले जिसे विनय द्वारा जांच के लिए लैब में भेज दिया गया..........l विनय को शक था कि इसी स्थान पर बब्बन की लाश को जलाया गया होगा क्योंकि ये बिल्डिंग इतनी बड़ी थी कि इसकी तीसरी मंज़िल पर बने हुए कमरे में धुआं उठे भी तो लोगों का ध्यान नही जा पाएगा, और फिर ये काम शायद रात को ही किया गया हो......l पर विनय को इस बात का अनुमान हो गया था कि बब्बन एक माह तक लापता था, तो एक माह तक इस जगह पर बब्बन को रखना तो नामुमकिन है....l शायद कातिल बब्बन को मारकर इस जगह पर केवल जलाने के लिए लाया था, क्योंकि इस बिल्डिंग की पार्किंग भी सुनसान थी, जहां बब्बन की लाश को आसानी से वेन में रखा जा सकता था.....l और इसलिए कातिल पेट्रोल का केन लेकर यहां आया होगा और कंस्ट्रक्शन की लकड़ियों को जलाकर उस आग से बब्बन के चेहरे को जलाया होगा। और फिर उसकी लाश को ट्रैक पर इस तरह फेंकने को बोला कि बॉडी ट्रेन से कट जाये.....l और पुलिस इसकी शिनाख्त न कर सके, और लावारिस मौत की तरह बब्बन का किस्सा भी खत्म हो जाय.....l पर बब्बन लगभग एक माह तक लापता था और इस बिल्डिंग में एक माह तक बब्बन को रखना नामुमकिन लग रहा था, इसलिये विनय उस एरिया के आसपास के इलाकों में कोई सुनसान सा घर ढूंढने की कोशिश कर रहा था। तभी विनय की नजर एक घर की ओर जाती है जिस पर ताला लगा हुआ था फिर उसके मालिक के बारे मैं पूछताछ की तो विनय को पता लगा कि अभी अभी किसी ने इसे खरीद लिया है पर अभी शिफ्ट नहीं हुए है पर कुछ लोग हैं जो ज्यादातर रात को ही आते है और खुद को घर के मालिक का रिश्तेदार बताते है पर, कुछ दिनो से तो वो रिश्तेदार भी अब नहीं आ रहे है....l विनय घर का ताला तोड़कर घर के अंदर घुस जाता है, और देखता है कि पूरा घर खाली है कोई भी समान नहीं हैं पर उसे कोने मे एक इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई देता है जिसे वो टेस्ट के लिए लैब में भेज देता है, फिर वहां से निकल जाता है और उस घर के मालिक के बारे में आसपास के लोगों से पूछताछ करता है पर किसी को भी उसका नाम पता नही मालूम होता और विनय वापस लौट आता है....l वापस लौट कर विनय को सूचना मिलती है कि उस इंजेक्शन में एक ड्रग्स भरा हुआ था जो यदि ज्यादा मात्रा मे ले लिया जाए तो इंसान पागल भी हो सकता है............l  

           कौतूहल भाग 8 

अब जहाँ एक ओर विनय उस ड्रग्स के बारे में सोचकर परेशान था, तो वही दूसरी ओर करण के पिता विनय को फोन पर करण के लापता होने की सूचना देते हैं....। जिसे सुनकर विनय के होश उड़ गये, और फिर वो इसे विस्तारपूर्वक जानने के लिये करण के पिता को थाने पर बुलाता है, जिस पर करण के पिता थाने पहुंच कर विनय को बताते है, कि कुछ दिन पहले में जरूरी काम से फिरोजाबाद लौट गया था, जिसके बाद से करण का फोन भी नहीं लग रहा था...... इसलिये में उससे मिलने दिल्ली आया पर वो बंगले पर भी नहीं मिला.... और उसके ऑफिस में पूछताछ की तो वहां के वर्कर्स ने बताया, कि वो तो कई दिनों से ऑफिस नहीं आए है...... और इतना कहकर करण के पिता जोर ज़ोर से रोने लगते है..........l फिर विनय उन्हें सांत्वना देते हुए वापस भेज देता है, और अपनी पूरी टीम को करण की तलाश में लगा देता है.........l अब तो ये गुत्थी इतनी उलझ गई, कि विनय भी एक पल के लिए हताश होकर खुद को कोसने लगता है, कि में क्यों कुछ नहीं कर पा रहा हूं......l अखिर ये सब हो क्या रहा हैं............l फिर काफी देर तक सोच विचार करने के बाद, विनय को यह प्रतीत होता है, कि हो न हो ये किसी आपसी दुश्मनी का ही संकेत है, कि एक के बाद एक उस परिवार के सदस्य इस तरह लापता हो रहे हैं, और उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है......l अब एक और जहाँ करण के बारे में सोच सोच कर उसके पिता का बुरा हाल हो रहा था, तो वहीं दूसरी ओर विनय ने भी करण को बचाने के लिये उसे ढूंढने में पूरी फोर्स लगा दी, और दिल्ली के चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया, सिक्युरिटी इतनी टाइट कर दी कि कातिल तो क्या कोई परिंदा भी उससे बचकर नहीं निकल सकता.....l शहर के हर सुनसान इलाके में पुलिस फोर्स भेजकर तलाशी चालू कर दी, यहां तक कि किसी भी संदिग्ध को देखते ही उठा लेने का आदेश कर दिया.....l विनय इस केस में इतना उलझ गया मानो ये उसका कोई व्यक्तिगत मामला हो, या बात उसकी शान पर आ गई हो कि बड़े बड़े केस चुटकियों में सुलझाने वाले विनय से आज एक मामूली सा मर्डर केस साल्व नहीं हो पा रहा........l इस केस में उलझ कर विनय खुद को पूरी तरह से भूल चुका था, उसकी रातों की नींद उड़ गई थी हर वक़्त वायरलेस पर सूचना लेता रहता था, पर कोई भी जानकारी हाथ नहीं आ रही थी....l निराश हो गया जब, हर बाजी हारकर। शर्म से हर बार, अपनी आंखें चार कर।। कोशिशें उसकी सारी, नाकाम जब हुईं। फिर उठ खड़ा हुआ, वो दहाड़ मार कर।। क्रोध से हो गई उसकी, आंखें भी सुर्ख लाल। शायद आने वाला हो, जैसे एक नया भूचाल।। तलाश जिसकी हो रही है जोर शोर से, जाने। कैसा होगा अब उस, कातिल के दिल का हाल।। एक और जहाँ विनय ने पूरी पुलिस फोर्स करण की तलाश में लगा दी, तो वही दूसरी ओर ये केस राजनीतिक तूल पकड़ने लगा और दिल्ली पुलिस पर सवालिया निशान खड़े होने लगे......l इधर विनय इन फिजूल की बातों पर गौर न करते हुए, इंस्पेक्टर को करण का मोबाइल ट्रैस करने के लिए बोलता है जिस पर इंस्पेक्टर द्वारा विनय को बताया गया, कि करण के मोबाइल की लास्ट लोकेशन लखनऊ हाईवे के पास दिखाई दी उसके बाद से कोई मूवमेंट नहीं है ...........l जिसे सुनकर विनय सोच में पड़ जाता है कि करण का मोबाइल लखनऊ हाई-वे पर कैसे........l क्या किडनैपर करण को लेकर लखनऊ गया होगा...l या करण की किडनैपिंग ही लखनउ हाईवे के पास से हुई है......l फिर विनय करण के ऑफिस जाकर पूछताछ करता है, कि क्या करण ने किडनैपिंग के पहले कभी लखनऊ जाने का कोई जिक्र किया था, या ऑटो पार्ट्स की लखनऊ में कोई डील पिछले कुछ दिनों में हुई है..l जिस पर स्टाफ द्वारा विनय को बताया गया, कि लखनउ से तो पिछले दो महीनों से कोई भी डील नहीं हुई, और न ही करण ने कभी इस बात का जिक्र किया था, कि उसे लखनउ जाना हैं........l फिर विनय स्टाफ से लखनउ के उन सभी डीलर की जानकारी मांगता है, जिन्हें यहां से ऑटो पार्ट्स सप्लाय किए जाते हैं, और स्टाफ के द्वारा विनय को सूची दे दी जाती हैं, जिसमें लखनउ के उन सभी डीलर की इन्फॉर्मेशन होती है जो करण की कंपनी से ऑटो पार्ट्स लेते थे......l फिर विनय एक एक को फोन करके करण के

आने के बारे में पूछताछ करता है, पर सभी इंकार कर देते है जिससे विनय को इस बात की पुष्टि हो जाती हैं कि करण लखनउ नहीं गया था, उसे वहां ले जाया गया है या फिर उसके मोबाइल को वहां तक ले जाकर डिस्पोज कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया गया है............................................l अभी भी ये बात स्पष्ट नहीं थी कि करण को दिल्ली में ही रखा गया है या लखनउ में.........l 

           कौतूहल भाग 9 

ये सब बातें चल ही रही होती हैं, कि विनय अचानक ही करण के पिता को फोन करता है, औऱ उनसे करण की कार के बारे में पूछताछ करता है, फिर करण के पिता विनय को बताते है, कि जब में दिल्ली आया तो कार बंगले पर ही थी और बंगला भी लॉक था, मेरे पास बंगले की दूसरी चाबी थी जिससे गेट खोलकर में बंगले के अंदर गया था...l विनय को एसा प्रतीत हो रहा था, कि करण को किसी ने किसी बहाने से फोन कर के बाहर बुलाया होगा, और फिर करण बंगले को लॉक करके पैदल ही चला गया होगा, जहां से उसे किडनैप किया गया होगा.....l और फिर विनय इंस्पेक्टर को करण की कॉल डिटेल्स निकलवाने के लिए बोलता है, जिससे उसे पता लगता है कि लास्ट कॉल करण ने उसी के स्टाफ के एक शख्स रोहित मेहरा को किया था, और उससे करीब चालीस मिनट पहले रोहित मेहरा ने करण को फोन किया था............l फिर विनय रोहित मेहरा को पूछताछ के लिए थाने में बुलाता है, जिस पर रोहित मेहरा थाने पहुंच कर विनय से मिलता है, फिर विनय उससे करण को फोन करने का कारण पूछता है। जिस पर रोहित विनय को बताता है, कि करण उस दिन ऑफिस में कुछ उदास उदास सा था, और मैंने जब उससे इसका कारण पूछा तो उसने कहा कि हम खाने के बाद रात में कुछ देर तक पार्क में बैठ कर चर्चा करेंगे..........l इसलिए मैंने करण को फोन पर किया तो करण ने कहा कि उसे फ्री होने में आधे घंटे और लगेंगे और वो घर से निकलते ही मुझे फोन लगा देगा....l फिर करीब आधे घंटे बाद करण का फोन आया और में उससे मिलने गया, तो वो तो पार्क में दिखा ही नहीं मैंने काफी देर तक इंतजार भी किया पर जब वो नहीं आया, तो में वापस घर लौट गया..........l इधर रोहित की बात सुनकर विनय रोहित को कुछ देर के लिए बाहर बैठने का बोल कर हवलदार को चोरी छुपे उसके हावभाव पर निगरानी रखने का बोलता है कि क्या वह डरा हुआ सा या कुछ परेशान सा लग रहा है या समान्य ही है..............l और फिर विनय इंस्पेक्टर से बात करते हुए पूछता है, कि क्या रोहित पर यकीन किया जा सकता है या वो झूठ कह रहा है.....l क्या उसके साथ सख्ती से पूछताछ करना उचित होगा या नहीं..............l जिस पर इंस्पेक्टर विनय से कहता है, कि मुझे उसकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा ये सुनते ही विनय हवलदार को अंदर बुलाकर, उसे रोहित के हावभाव के बारे में पूछता है जिस पर हवलदार विनय को बताता है, कि वो कुछ घबराया हुआ सा दिख रहा था.......l फिर विनय ने एसा कदम उठाया जो सही था या गलत पता नहीं.........................l सच और झूठ में, जब फर्क़ वो ना कर सका। क्रोध के आगोश मे, कुछ इस कदर दहल गया।। पार करदी हदें सारी, जब वो बेरहम बना और। कौतूहल खत्म करने को कर वो,कोलाहल गया।। विनय ने रोहित को वापस अंदर बुलाया, और सच कहने के लिये कहा, जिस पर रोहित ने कहा कि वो सच कह रहा है। उसने सिर्फ पार्क में बुलाने के लिए ही करण को फोन किया था और कोई भी बात नहीं थी..l इंस्पेक्टर ने रोहित को पीटना शुरू कर दिया, और सब कुछ सही सही बताने को बोला पर रोहित भी अपनी बातों पर अडिग था..............l काफी देर तक पीटने पर भी, जब रोहित अपनी बात पर अटल रहा तो विनय ने उससे पूछा कि यदि तुम करण से मिलने पार्क गए, और तुम्हे करण वहां नहीं मिला, तो तुमने उसे दोबारा फोन क्यूं नहीं किया......l विनय की बातें सुनकर रोहित ने डरे हुए शब्दों मे कहा, कि मैं अपना मोबाइल घर पर ही भूल गया था, इसलिये वही बैठकर करण का इंतजार करता रहा और फिर जब काफी देर तक वो नहीं आया तो फिर में अपने घर लौट गया.....l विनय ने उससे पूछा कि तुमने घर जाकर करण को दोबारा फोन क्यों नहीं किया, जिस पर रोहित ने कहा, कि उसने करण को फोन किया था पर उसका फोन स्विच ऑफ बता रहा था...l फिर बहुत पूछताछ के बाद भी, जब विनय को कोई जवाब न मिला तो अंततः उसने रोहित को जाने दिया पर इंस्पेक्टर को उस पर नजर रखने के लिये कह दिया......l पर न जाने क्यों विनय को रोहित की बातों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, और इसलिए अगले ही दिन वो अपने एक कांस्टेबल को गुप्त रूप से रोहित के ऑफिस के बाहर तैनात कर देता है, और उसे रोहित की निगरानी कर उसकी हर गतिविधियों पर नजर रखने को कहता है.....l वही दो दिन बीत जाने के बाद भी जब विनय को करण के बारे में कोई सूचना नहीं मिलती, तो वो इंस्पेक्टर से कह कर स्टाफ के कुछ लोगों को पूछताछ के लिए थाने पर बुलाता है, और उनसे रोहित के बारे में पूछता है...l जिस पर स्टाफ के लोग विनय को बताते है, कि जब से करण लापता हुआ है, तब से ही रोहित का मिजाज कुछ बदला बदला सा लग रहा है, और मज़दूरों भी अकारण ही डांटा करता है........l इन्हीं सब बातों से विनय सोच मैं पड़ जाता है, कि अचानक उसे उस कांस्टेबल का फोन आता है जिसे उसने रोहित की निगरानी में लगाया था......l कांस्टेबल विनय को बताता है कि कुछ देर पहले ऑफिस के बाहर रोहित एक वकील से मिला था, और करीब दस मिनट तक बातचीत करने के बाद वो फिर से ऑफिस में चला गया.......l जिस पर विनय ने कांस्टेबल से उस वकील के बारे में पूछा तो कांस्टेबल ने बताया, कि वो उसे जानता तो नहीं पर वो आदमी वकील के लिबास में था, और उसके चेहरे से वो उसे पहचान सकता है.......l इतना सुनते ही विनय उस कांस्टेबल के पास जाने के लिए निकल पड़ा, और वहां पहुंच कर उसे अपने साथ गाड़ी में बिठाकर कोर्ट में पहुंच गया, जहां पर कांस्टेबल ने उस वकील को देखकर उसे पहचान लिया.......l 

          कौतुहल भाग 10

 फिर विनय उस वकील से मिलने जाता है और उससे पूछता है कि वो रोहित से किस सिलसिले में मिला था जिस पर वकील अपने क्लाइंट के बारे में कोई भी जानकारी देने से स्पष्ट मना कर देता है फिर विनय उस वकील के साथ जोर जबरदस्ती कर उससे जानकारी मांगता है जिससे वो वकील शोर शराबे पर उतर आता है और देखते ही देखते भीड़ इकट्ठी हो जाती है.....l पर विनय के सर पर सिर्फ केस का ही भूत सवार होता है और वो अपनी पिस्टल निकाल लेता है जिससे भीड तितर बितर हो जाती है और विनय उस वकील को जबरन उठाकर थाने ले आता है इस घटना से पूरा वकील महकमा रोड पर आ जाता है और चक्काजाम कर देता है............l इधर करण के पिता को जब ये बात पता चलती हैं तो वो विनय को फोन करते है पर विनय फोन नहीं उठाता तो वहीं दूसरी ओर वकील महकमे की इस हड़ताल से पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी विनय से संपर्क साधने की कोशिश करते हैं पर विनय किसी से कोई भी बात नहीं करना चाहता था इसलिये उसने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया और वक़ील को लेकर एक सुनसान इलाके में चला गया और साथ में अपने तीन चार सिपाहियों को भी ले गया और फिर उस वकील की ताबड़तोड़ पिटाई शुरू कर दी पूरी रात टॉर्चर करने के बाद उस वकील की हिम्मत टूट गई और वो विनय को सारा वृत्तांत बताने को तैयार हो गया....l थर-थर कांप रहा था वो मन में जिसके चोर था पहले जैसा शांत रहा न अब विनय कुछ और था इधर विनय के क्रोध और पागलपन को देखकर वकील को इस बात का एहसास हो जाता है कि अभी भी यदि लालच के वशीभूत वो विनय से सच छुपायेगा तो उसका मरना निश्चित है क्योंकि विनय के सर पर खून सवार था.........l और फिर अगले ही दिन सुबह वो विनय को सारा सच बता देता है जिसे सुनकर विनय के होश उड़ जाते है.....l कि उसने जिस चीज की कल्पना भी न कि थी वो वास्तविकता बनकर सामने आ रही है.....l वकील विनय को बताता है... कि रोहित मुझसे करण की प्रॉपर्टी सेलिंग के कागजात बनवा रहा था इसलिये कल में उससे मिलने के लिए उसके ऑफिस गया था...और इस बात को उसने किसी को भी न बताने के लिए मुझे दो लाख रुपये दिए थे.............इसलिये मैंने आपको कुछ भी नहीं बताया जिस पर विनय उस वकील से प्रॉपर्टी खरीदने वाले का नाम पूछता है जिस पर वकील उसे बताता है कि फिरोजाबाद का एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन रणवीर सक्सेना एक सौ बीस करोड़ रुपये में करण की सारी प्रॉपर्टी और बिजनेस खरीदने के लिए तैयार हो गया था। जिसे सुनकर विनय को थोड़ी हैरानी हुई कि यदि रोहित खुद करण के प्रॉपर्टी सेलिंग के कागजात बनवा रहा हैं तो क्या रोहित ने करण को किडनैप किया हैं.........l और फिर विनय उस वकील को छोड़ देता है और रणवीर सक्सेना को फोन कर के उससे इस डील के बारे में पूछता है जिस पर रणवीर उसे बताता है कि कुछ दिन पहले मेरे पास करण का फोन आया था और उसने मुझसे कहा कि उसे पैसों की सख्त जरूरत है और इसलिए वो अपनी प्रॉपर्टी और बिजनेस बेचना चाह रहा है और फिर हम दोनों एक दूसरे को पहले से भी जानते थे क्योंकि करण मेरा मित्र था इसीलिए इस डील के लिए में राजी हो गया.......l विनय ने रणवीर को करण के लापता होने के बारे में बता कर उससे पूछा कि क्या तुम्हें यह बात पता थी करण को किडनैप कर लिया गया है जिस पर रणवीर आश्चर्य में आ जाता है और विनय को बताता है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी मुझसे तो करण ने फोन पर सिर्फ डील को लेकर ही बात की थी और कुछ भी नहीं बताया था......l फिर विनय रणवीर से पूछता है कि करण का फोन किस नंबर से आया था क्या वो मुझे मिल सकता है जिस पर रणवीर वो नंबर विनय को दे देता है और फिर विनय रणवीर को थैंक्स कहते हुए फोन काट देता है..l 

           कौतूहल भाग 11 

अब एक और जब विनय उस नंबर पर फोन करता है जिससे करण ने रणवीर को फोन किया था, पर वो नंबर आउट ऑफ कवरेज एरिया बताया गया और फिर विनय इस नंबर को ट्रेस करने के लिए भेज देता है तो वहीं दूसरी ओर इंस्पेक्टर को भेजकर रोहित को उठा कर थाने लाने के लिये बोलता है....l जिस पर इंस्पेक्टर कुछ देर बाद खाली हाथ ही वापस आता है और विनय को बताता है कि जब में रोहित को लेने उसके घर पहुंचा तो वो घर पर नहीं था और घर पर पूछताछ की तो पता लगा कि वो तो कल रात से ही घर नहीं आया और उसका फोन भी नहीं लग रहा है.......l अब ये कौन सा नया बखेड़ा खड़ा हो गया ये सब चल क्या रहा है एक के बाद एक मेरा तो दिल कर रहा है कि पूरा शहर ही फूंक डालूँ चिल्लाते हुए विनय कुर्सी पर एक जोरदार लात मारता है...l जिस पर इंस्पेक्टर उसे समझाता है कि सब ठीक हो जायगा हम जल्द ही कातिल को खोज निकालेंगे....l अरे क्या घंटा खोज निकालेंगे कातिल को..... इतना समय गुजर गया पर हम जहां के तहां है हमे तो ये तक नहीं पता कि करण को किडनैप कर के दिल्ली में रखा है कि लखनऊ में या फिरोजाबाद में........ ढूंढना तो दूर की बात है....... एक उम्मीद कायम हुई थी....... रोहित ही इस केस की आखिरी कड़ी था तो वो भी लापता हो गया..... विनय को सब खत्म होता सा नजर आ रहा था......कि तभी विनय के पास कमिश्नर साहब का फोन आ जाता है जिस पर विनय फोन उठाता है तो कमिश्नर साहब उसे अपने ऑफिस में बुलाते हैं....l अभी कम झमेला था जो एक और आ गया चिढ़ते हुए विनय कमिश्नर साहब से मिलने के लिए निकल जाता है.....l तभी एक बार फिर विनय के फोन की घंटी बजती है तो विनय ने देखा की ये रोहित का फोन था......l हैरान हो गया था जब वो अपनी हार मानकर जीत की उम्मीद मिली फिर एक बात जानकर रोहित ने विनय को फोन क्यों किया..........l सर मुझे बचा लो प्लीज....... मुझे ये लोग मार डालेंगे.....प्लीज मुझे बचा लो ........... रोहित घबराते हुए फोन पर विनय को बोलता है इधर विनय कमिश्नर से मिलना भूलकर उससे पूछता है.......क्या हुआ कौन मार डालेगा तुम्हें तुम हो कहा पर मुझे सब बताओ जल्दी..........में अभी वहां पर पहुंच जाऊँगा...l फिर रोहित विनय को बताता है कि मैं होटल रमन पेलेस के पीछे एक सुनसान जगह पर छुपा हुआ हूं कल रात दो लोग मुझे उठाकर ले गए थे और रातभर मुझे एक कमरे में बंद कर के छोड़ दिया फिर आज शाम को मैंने उन्हें किसी से फोन पर बात करते हुए सुना कि वे लोग मुझे जान से मारने वाले है मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर वहां से भाग आया और वो लोग मेरा पीछा कर रहे हैं...........इतना कहकर रोहित ने फोन काट दिया...l इतना सुनते ही विनय ने कमिश्नर साहब के ऑफिस की ओर जाती हुई गाड़ी में एक जोरदार ब्रेक लगाकर पूरी गाड़ी को स्लिप करते हुए उसे होटल रमन पेलेस की ओर घुमा दिया और धुंआधार ड्राइविंग करते हुए रोहित को ढूँढने के लिए निकल पड़ा.... बीस किलोमीटर के रास्ते को मात्र बीस मिनट में तय कर वो अपनी पिस्टल लेकर होटल रमन पेलेस के पीछे सुनसान जगह पर रोहित को ढूंढने के लिए अकेला ही निकल पड़ा.......l रोहित.........रोहित तुम कहां हो.....मुझे आवाज दो.... में आ गया हूं..... ....डरों मत..... बाहर आओ............ विनय जोर जोर से चिल्लाते हुए रात के अंधेरे में घुटने तक ऊंची जंगली झाड़ियों में रोहित की तलाश में चला जा रहा थाl सर में यहां हूं इस पेड़ के पास..... विनय को रोहित की आवाज सुनाई देती है और वो पेड़ के पास जाता है जहां रोहित डरा सहमा सा झाड़ियों में छुपा हुआ था फिर विनय उसे उठाता है उसे रिलेक्स होने के लिए कहता हैं ........l तभी विनय को अचानक झाड़ियों कीं सरसराहट सुनाई देती है और वो अपनी पिस्टल लोड कर लेता है फिर कुछ दूरी पर विनय को दो लोग भागते हुए नजर आ रहे थे पर अंधेरे में कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था जिस पर रोहित विनय से कहता है कि ये वहीं लोग है जो मुझे मारना चाहते थे.... इतना सुनते ही विनय उनके पीछे भागना शुरू कर देता है.................l सर मुझे अकेला छोड़ के मत जाओ...............डरते हुए रोहित चिल्लाने लगता है फिर विनय उन्हें जाने देता है और रोहित को लेकर अपनी गाड़ी के पास आ जाता है फिर गाड़ी से पानी की बोतल निकाल कर वो रोहित को पिलाता है और उसे रिलेक्स होने के लिए कहता है..........l फिर विनय रोहित को लेकर थाने में पहुंच जाता है और इंस्पेक्टर से कहकर रोहित के लिए खाना मंगवाता हैl देखो रोहित अब तुम डरों मत मुझे साफ साफ बताओं की पूरी बात क्या है........तुम थाने में बैठे हो यहां तुम्हारी जान को कोई खतरा नहीं है..... एसा कहते हुए विनय रोहित को समझाता है l अच्छा ठीक है तुम पहले खाना खा लो तब तक में बाहर ही बैठा हूं उसके बाद इत्मीनान से मुझे बताना कि बात क्या है इतना कहकर विनय ने रोहित के लिए खाना लगवा दिया......l फिर खाना खा कर रोहित बाहर विनय के पास गया और फिर थाने का पूरा स्टाफ एक साथ बैठकर रोहित की बातें सुनने लगा.......l क्या राज था जो रोहित बताने वाला था..........l 

           कौतूहल भाग 12 

रोहित ने बताया कि जिस रात में करण से मिलने वाला था उसके कुछ ही दिन बाद मेरे पास करण का फोन आया..... और उसने मुझे उसकी प्रॉपर्टी सेलिंग कागजात बनवाने का बोला जिस पर मैंने उससे कारण जानने की कोशिश भी की पर उसने कुछ नहीं बताया और फिर इसलिए करण के कहने पर मैं वकील से कागजात बनवाने के लिए मिला और उसे ये बात छुपा कर रखने के लिए दो लाख रुपये देने का भी बोला जैसा कि मुझे करण ने कहा था मैंने करण से ये जानने की कोशिश भी की वो इस बात को क्यों छुपा रहा हैं जिस पर उसने मुझसे कहा कि वो मुझसे मिलकर सारी बात बताएगा और जल्द से जल्द कागजात बनवा कर सिग्नेचर करवाने का बोलकर मुझे दोबारा फोन करने का कहकर फोन काट दिया........l फिर वकील ने मुझे एक काग़ज़ पर करण के उँगलियों के निशान और उसके सिग्नेचर करवाने का कहा....l और फिर करण ने मुझे दोबारा फोन किया तो उसने मुझे कागजात लेकर साकेत कॉलोनी के पास बुलाया और मैं जब उससे मिलने के लिए वहां तो एक आदमी मुझे लेकर उसी कॉलोनी के एक सुनसान मकान के अंदर ले गया जहां पर दो लोगों ने करण को अगवा कर के रखा हुआ था जिसके बाद करण ने कागजात पर सिग्नेचर कर दिए और मुझसे कहा कि जल्द से जल्द में वो प्रॉपर्टी बेचकर किडनैपर को पैसे दे ताकि वो करण को छोड़ दे..........l फिर मैं जब वापस आने लगा तो किडनैपर ने मुझे इस बात की धमकी दी कि यदि मैंने किसी को कुछ भी बताया तो वो मेरे परिवार को और मुझे मार डालेगा...l और उसके बाद मैं वापस आ गया.... पर मैंने किडनैपर की गाड़ी का नंबर नोट कर लिया था.... एसा कहते हुए रोहित ने विनय और पूरे स्टाफ को सब कुछ बता दिया.........l इधर रोहित की बात खत्म भी नहीं हो पाई थी कि विनय ने फटाफट अपनी गाड़ी स्टार्ट की और इंस्पेक्टर को फोर्स के साथ उसके पीछे आने का बोलकर वो रोहित को गाड़ी में बिठाकर किडनैपर को पकड़ने के लिए एक रॉकेट की भांति गाड़ी चलाकर चल दिया...l और चलते चलते ही शहर के हर थाने और चौकी पर वायरलेस कर दिया कि ब्लैक स्कॉर्पियो जिसका नंबर DL 5C X5X6 है जहां भी दिखे इसे रोक कर मुझे सूचित करे..........l इस वायरलेस से पूरी फोर्स शहर के चप्पे चप्पे पर barricads लगा कर इस स्कॉर्पियो की तलाश में लग जाती हैं...............l इधर विनय जब उस मकान पर पहुंचकर अंदर जाता है तो उसे वहां पर कोई नहीं मिलता.......l लगता है उन्हें इस बात की सूचना मिल चुकी थी कि रोहित हमारे हाथ लग गया है इसलिए वो करण को लेकर भाग गए होंगे ........बड़े ही निराश शब्दों मे विनय ने कहा.......l और फिर पल पल विनय वायरलेस पर उस गाड़ी के बारे मैं पूछताछ करने लगा.......l तभी विनय के फोन की घंटी बजती है और फोन उठाता है........ तुम पागल हो गए हों क्या........ये क्या घड़ी-घड़ी शहर मे बवाल मचाते फिर रहे हो....... पूरे शहर मे हर रोड पर चेकिंग....... तुम्हें पता है पब्लिक कितनी परेशान हो रही है........तुम तत्काल मुझसे मिलने आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं......कहते हुए कमिश्नर ने फोन काट दिया........l फिर विनय इंस्पेक्टर से रोहित को लेकर वापस जाने का कहकर कमिश्नर साहब से मिलने के लिए निकल जाता है.......l खत्म हुआ अब खेल ये सारा और कातिल बेनक़ाब हुआ कौतूहल के अंत से उत्सुक शहर ये सारा बेताब हुआ विनय कमिश्नर साहब के ऑफिस पहुंच कर उनसे मिलता है......l देखो विनय मुझ पर उपर से प्रेशर है में तुम्हें इस केस से हटा रहा हूं........ अब ये केस कोई और देखेगा...... तुम फौरन यहां से निकल जाओ...... क्यों कि अब यहां शायद तुम्हारी जान को खतरा है जिसकी मुझे सूचना मिली है........कमिश्नर बड़े ही इत्मीनान से विनय को समझाता है l सर में मरने से नहीं डरता........अब तो मैं कातिल के करीब हूं.....और आप.........क्या कातिल ने आपको भी तो नहीं खरीद लिया ......... विनय बड़े ही निराश शब्दों में बोलता है l तुम पागल हो गए हों......अपने सीनियर ऑफिसर से किस तरह बात करनी चाहिए शायद तुम अपने पागलपन में ये भी भूल गये हों......l सॉरी सर.....पर मैं आपसे विनती करता हू की मुझे बस 48 घंटे का समय दे दो......अगर मैंने कातिल को बेनक़ाब न किया तो मैं खुद ही ये केस छोड़ दूँगा......l अच्छा ठीक है बस 48 घंटे.......और ध्यान रहे इस दौरान कोई और नया बखेड़ा मत खड़ा कर देना की मुझे जवाब देना भी मुश्किल पड़ जाये.....l ओके सर.....थैंक्स.....इतना कहकर विनय वहां से लौट आता है और आते ही इंस्पेक्टर से पूछता है कि क्या हुआ कुछ पता चला जिस पर इंस्पेक्टर उसे बताता है कि अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली. l इधर विनय कुछ फोर्स इकट्ठी कर उन्हें सात भागों में विभाजित कर शहर के हर एक कोने हर एक सुनसान इलाके में उस गाड़ी की तलाश में भेज देता है....l और करीब दो घंटे बीत जाने के बाद विनय का फोन बजता हैं फिर विनय फोन उठाता है...............l सर हमने वो गाड़ी आगरा रोड पर पकड़ ली है............ और करण और किडनैपर दोनों ही हमारी गिरफ्त में है ..........एक कांस्टेबल विनय को सूचना देता है.......l शाबाश शेरों.......मुझे तुमसे यही उम्मीद थी........मुझे अभी तुम्हारी लोकेशन भेजो में तत्काल वहीं पहुंचता हूं........और ध्यान रहे इस बार कोई गलती नहीं होना चाहिए........l खुशी से पागल विनय बिजली की रफ्तार से उस लोकेशन पर पहुंच गया और करण से मिला और फिर करण डर से सहमा हुआ विनय से लिपट जाता है..l विनय उन दोनों को थाने पर लाकर ताबड़तोड़ पिटाई करता है उन्हें इस कदर मारता है कि उनकी रूह कांप जाती हैं और दोनों बड़े ही दर्दनाक स्वर में चिल्लाते है हमे मत मारो हम सब सच बता देंगे फिर विनय उन्हें हवालात में ही बैठाकर उनसे सारा वृत्तांत पूछता है.. गीदड़ों से डरकर शेर कभी जिया नहीं करते नाकामी का अलाप वो बेवजह किया नहीं करते मुश्किलें भी लाख आती है राह में बेशक, पर कभी भयभीत हो मंज़िल को दरकिनार किया नहीं करते  

           कौतूहल भाग 13 

सर हमने ही करण को किडनैप किया था......... हमने ही हिमांशु को ज़हर दे कर मारा था.......और बब्बन को भी हमने ही मारा है.........अब हमे मत मारो सर हम सब बताते है......दोनों गिड़गिड़ाते हुए विनय से कहने लगे....l दरअसल हमे इन दोनों भाइयों को मारने के लिए एक दो करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी........और फिर इस वारदात को अंजाम देने के लिये हमने करण का पीछा करना शुरू किया ताकि हम अपने प्लान को सक्सेस करने के लिए उसकी दिनचर्या से अच्छी तरह परिचित हो सके...l कई दिनों तक करण को फालो करने के बाद एक दिन हमने देखा कि करण एक नर्सरी में गया और अपने बंगले के बगीचे के लिए नई किस्म के पौधे मंगवाने के लिए कह रहा था जिस पर नर्सरी के मालिक ने उसे एक हफ्ते का समय दिया और कहा कि एक हफ्ते बाद आप पौधे ले जा सकते है.........l और इसके बाद करण किसी काम से बेंगलुरु चला गया........... हमे ये सही समय लगा हिमांशु को मारने का.... इसलिये जैसे ही करण निकला उसके कुछ देर बाद हम बंगले पर पहुंच गए और नर्सरी से आने का बोलकर हिमांशु से मिले जिस पर हिमांशु ने हमसे पूछा कि तुम्हें किसने बुलाया तो हमने करण का नाम बताया फिर हिमांशु ने करण को फोन किया । भैया नर्सरी से दो लोग आए है कोई पौधे का कह रहे हैं कि जो एक हफ्ते बाद आने वाले थे उन्हें पास की नर्सरी से अभी ही ले आए है और लगाने का कह रहे है........... हिमांशु ने करण को बताया। फिर कुछ देर बात करने के बाद हिमांशु ने फोन काट कर हमसे कहा कि, ठीक है आप लोग अभी ही ये पौधे लगा सकते हो,और हमसे पूछने लगा कि कितना वक़्त लगेगा इन पौधों को लगाने में जिस पर हमने उससे कहा कि तीन चार घंटे में हो जायगा और हमने हिमांशु को एक कीटनाशक दवा का नाम बताकर इसे मंगवाने को कहा जिस पर हिमांशु ने उस दवा का नाम एक पर्ची में लिख कर बब्बन को भेजकर वो दवा लाने के लिये भेज दिया और फिर जब तक बब्बन दवा लेकर लौटे उसे हमने बातों में उलझाए रखा की तुम्हें एक हफ्ते तक इन पौधों की खास देखभाल करनी होगी यदि ये सूखने लगे तो हमे सूचना कर देना..........l फिर हिमांशु ने उसके पिता को फोन कर के कहा कि में एक हफ्ते बाद फिरोजाबाद आऊंगा अभी मुझे भैया ने किसी काम से रोक लिया है.........l इतने में बब्बन दवा लेकर आ गया और हिमांशु ने उसे चाय बनाने के लिये भेज दिया.....l फिर बब्बन जब चाय लेकर आया तो हमने उसे पौधे लगाने के लिये पूरे बगीचे में पानी भरने के लिए भेज दिया......और उसे भेजने के बाद हमने हिमांशु को कीटनाशक घोलने के लिए एक बाल्टी मंगवाने के बहाने भेजकर उसकी चाय में वो कीटनाशक का ज़हर मिला दिया फिर जब वो वापस आया तो उसने वो चाय पी ली जिसके दस मिनट बाद वो मर गया......l इसके बाद हमने उसकी लाश को वहीं छोड़ कर सभी चीजें ज्यों की त्यों रख दी ताकि किसी को भी हमारे आने का कोई सबूत न मिले और वो तीनों कप भी बाहर आकर बब्बन को दे दिए और वो उन्हें धोकर किचन में रख कर बाहर आ गया.........l अब हिमांशु की मौत का इल्ज़ाम बब्बन के ऊपर लग जाये इसलिए हम बब्बन को अगवा कर के ले गए पर हम उसे जान से नहीं मारना चाहते थे इसलिए उसे एक एसा ड्रग्स देने लगे जिससे वो पागल हो जाये ताकि हम उसे किसी अनजान शहर मे छोड़ दे जिसके बाद जब वो ड्रग्स उसे न मिले तो वो खुद ही मर जायगा.....l और किसी पागल आदमी के मरने पर कोई ध्यान नहीं देगा और बब्बन का किस्सा भी खत्म हो जायगा...l इसलिए हम कई दिनों तक लगातार उसे वो ड्रग्स इंजेक्शन के जरिए देते थे जिसे बब्बन सहज ही नहीं लेता था इसलिये हम उसे मार पीट कर जबरदस्ती ये इंजेक्शन देते थे फिर अचानक एक दिन हमने देखा कि बब्बन मर गया है और उसके पास फर्श पर वही कीटनाशक दवा थी जो हम हिमांशु को देने के बाद अपने साथ ले आए थे ताकि बंगले पर कोई सुराग न रह जाये.........l हम समझ गए कि बब्बन ने आत्महत्या की....फिर हमने इसे लावारिस लाश घोषित करने के लिए इसका चेहरा जलाकर इसे रेल्वे ट्रैक पर फेंक दिया पर जिसे हमने ये काम दिया था उसने पटरी पर फेंकने के बजाय लाश को ट्रैक के पास फेंक दिया और ट्रैन से न कट पाने की वजह से बब्बन की शिनाख्त हो गई........l इसके बाद हमने करण को मारने के लिए दोबारा उसे फालो करना शुरू किया और उस दिन जब वो अकेला पार्क के पास दिखा तो हम उसे अगवा कर के उसका फोन लखनउ जाने वाले एक ट्रक में फेंक दिया और उसे साकेत कॉलोनी के एक मकान में ले गए जिसके बाद हम उसे मारने की प्लानिंग कर ही रहे थे कि उसने हमे उसे न मारने के लिए 50 करोड़ रुपए देने को कहा और हमारे मन में लालच आ गया और फिर रोहित के जरिए विनय अपनी प्रॉपर्टी बेचकर हमे पैसे देने के लिए राजी हो गया पर इतने में आपने उस वकील को उठाकर पूछताछ की तो सारा रहस्य खुल गया इसलिए हमने रोहित को मारने की कोशिश भी की क्योंकि एक अकेला रोहित ही एसा व्यक्ति था जो हमे जानता था......इसलिये उसे मारना भी जरूरी था.......l पर न जाने कैसे वो हमारे हाथ से बच निकला और एन मौके पर आप ने आकर उसे बचा लिया जिसके बाद हम करण को मारकर वहां से निकलना चाह रहे थे पर जल्दबाजी में कोई तरीका नहीं सूझ रहा था इसलिये हम उसे लेकर ही साकेत कॉलोनी के उस मकान से निकल गए इतने में सारे शहर मे नाकाबंदी हो जाने से हम उसे मारने के लिए एक सुनसान जगह पर ले गये और वहां भी पुलिस पहुंच गई और हमे गिरफ्तार कर लिया...........l मर्डर करोगे........सुपारी लोगे.........ये जानते हुए भी कि इस केस को में हैंडल कर रहा हूं तुम्हें बिलकुल भी डर नहीं लगा ये सब करने से पहले ....इतना कहकर विनय उन्हें घसीटते हुए हवालात से बाहर ले आया और उन पर लात घूसो से अंधाधुन प्रहार करने लगा जिससे पूरा स्टाफ विनय को रोकता है और उसे समझाता है कि मत मारिये इन्हें नहीं तो ये मर जायेंगे...l मार ही डालूंगा इन्हें मैं.......इनकी हिम्मत कैसे हुई...नहीं छोड़ूंगा इन्हें........कहते हुए विनय फिर उन्हें पीटने लगा.....l फिर जब विनय का क्रोध शांत होता है तो वो उन दोनों से पूछता है कि तुम्हें सुपारी देने वाला आदमी कौन हैं.......l फिर वो दोनों विनय को बताते है कि उन्होंने फिरोजाबाद के एक मशहूर बाहुबली संग्राम सिंह के कहने पर ये सब किया................l मिट गए अंधेरे सारे, हकीकत-ए-प्रकाश से l पूरी हुई आश उनकी,जो थे कभी हताश से ll शातिर तो वो था बेशक, पर सामने विनय था l खत्म हुआ कौतूहल भी, एक मुश्किल तलाश से ll  

           कौतूहल भाग 14 

अब चूंकि करण के पिता फिरोजाबाद में ही रहते थे, तो इसलिए शायद वो संग्राम को जानते हों......... ये सोचकर विनय उनसे इस बारे मैं बातचीत करने के लिए और साथ ही करण के मिलने की सूचना देने के लिए, करण को साथ लेकर करण के पिता से मिलने के लिए बंगले पर जाता है l जैसे ही विनय और करण दोनों बंगले पर पहुंचते है तो करण के पिता जो कि बंगले के बाहर एक गहरी चिंता में बैठे हुए थे, अचानक करण को देखकर खुशी से झूम उठते है....l करण...... बेटा तुम कहां थे इतने दिन........तुम ठीक तो हो न.......उन्होंने तुम्हें मारा पीटा तो नहीं........क्या हुआ था तुम्हारे साथ........तुम्हें पता है मैं कितना परेशान हो रहा था........ एक साथ इतने सारे सवालों की बौछार करते हुए करण से लिपटकर उसके पिताजी फुट फुट कर रोने लगते है......l मुझे कुछ नहीं हुआ पिताजी......में बिलकुल ठीक हूं..........आप घबराइये मत........ मुझे विनय सर ने अपनी सूझबूझ और दिलेरी से बचाया है.................ये मेरे लिए भगवान बनकर मेरी मदद करने के लिए आए......और मुझे उन दरिंदों से बचाया ऐसा कहते हुए करण ने अपनी किडनैपिंग के बारे में सारी कहानी अपने पिता को सुना दी, जिस पर करण के पिता हाथ जोड़कर विनय का शुक्रिया अदा करते हैं ...l सर में आपको अपना गुरु मानता हूं.......ये आप क्या कर रहे हैं.......मुझे शर्मिन्दा मत करिए........कहते हुए विनय करण के पिता को गले लगा लेता है....l फिर तीनों लोग बैठ कर आपस में बातें करने लगते है....l फिर विनय करण के पिता से संग्राम सिंह के बारे में पूछता है कि ये कौन है क्या आप इसे जानते है l क्या नाम बताया तुमने.........संग्राम सिंह.............तुम इसके बारे में क्यों पूछ रहे हो.....करण के पिता बड़े ही आश्चर्य के साथ विनय से पूछते है, जिस पर विनय उन्हें बताता है कि संग्राम सिंह ने ही हिमांशु और करण को मारने की सुपारी दी थी.....l ओह.... तो........ये बीस साल पुराना बदला अब ले रहा है.... लगता है वो अभी तक उस बात को नहीं भूला........करण के पिता खुद से ही बोल पड़ते है l कैसा बदला सर........कौन सी बात........ये आप क्या कह रहे है......मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा......एसा कहते हुए विनय, करण के पिता की ओर बड़ी जिज्ञासा से देखता है l ये संग्राम सिंह वहीं व्यक्ति है जिसके दो जवान बच्चों को मैंने पुलिस एन-काउन्टर में मार डाला था, क्योंकि वो दोनों पुलिस पर हमला कर रहे थे l और संग्राम सिंह को भी मैंने गिरफ्तार कर लिया था जिस पर इसने मुझे धमकी दी थी कि तेरे भी दो बच्चे है जिन्हें में जिंदा नहीं छोड़ूंगा.... एसा कहते हुए करण के पिता बीस वर्ष पुरानी दास्तान विनय को सुनाते हैं l सर जब आपने उसे गिरफ्तार किया तो उसके बाद क्या हुआ वो कैसे छूट गया......l जिस पर करण के पिता विनय को बताते है कि वकील को पैसे खिलाकर संग्राम सिंह कोर्ट से बरी हो गया था पर इस घटना के बाद जब तक मेरी पोस्टिंग फिरोजाबाद में रही तब तक तो वो शांत रहा पर जैसे ही में रिटायर्ड हुआ तो उसने धीरे-धीरे फिर से अपने गोरख धंधे चालू कर दिए और वर्तमान मे पूरा फिरोजाबाद उससे डरता है वो वहां का बहुत ही बड़ा बाहुबली है पर मुझे लगा था कि वो ये सब भूल गया होगा पर.........l मौत से ही मौत का, शुरू जब हिसाब हुआ l उठ गया पर्दा, कातिल भी बेनक़ाब हुआ ll उलझनों से जो जीता, जुनून था विनय का l केस अब ये जैसे, एक खुली किताब हुआ ll बीस वर्ष पहले भले ही वो बच गया पर अब मैं उसे नहीं छोड़ूंगा........उसने बहुत बड़ी गलती की है.....इसकी सजा तो मैं उसे देकर ही रहूंगा....गुस्से मे विनय वहां से निकला l 

           कौतूहल भाग 15 

विनय रुको..... तुम कहां जा रहे हो..........मेरी बात तो सुनो..........तुम उसे एसे नहीं गिरफ्तार कर सकते तुम्हें वहां की लोकल पुलिस के साथ की जरूरत पड़ेगी......वो एक बाहुबली है.....चिल्लाते हुए करण के पिता ने विनय को रोकने की एक नाकाम कोशिश की। विनय अपनी गाड़ी लेकर सीधा थाने पहुंचता है और थाने से इंस्पेक्टर को कहकर दस सिपाहियों की एक हथियारबंद टुकड़ी तैयार करवाता है। 48 घंटे पूरे होने में अब मात्र 30 घंटे ही और बचे थे इसलिए विनय पूरी कोशिश कर रहा था कि 30 घंटे के अंदर संग्राम सिंह अरेस्ट हो जाए....l जिसके बाद 2 गाड़ियां, पुलिस फोर्स के 10 हथियार बंद जवानों के साथ इंस्पेक्टर और विनय सभी फिरोजाबाद निकलने के लिए तैयार हो गए.....l इधर करण के पिता विनय के बारे में सोच कर परेशान हो रहे थे इसलिए उन्होंने विनय की मदद के लिए फिरोजाबाद में अपने मित्र डी.एस.पी. रामजी शिंदे को फोन किया.. हैलो राम...... जी सर बोलिए.......कैसे याद किया मुझे....... मेरी बात ध्यान से सुनो.... मैंने तुम्हें बताया था न कि मेरे छोटे पुत्र का कत्ल हो गया है और उसकी जांच विनय के हाथ में है......... जी सर........... उसका कातिल बाहुबली संग्राम सिंह है......जिसने मुझसे 20 वर्ष पुराने एन काउन्टर का बदला लेने के लिए ही ये कत्ल किया है.....और विनय उसे गिरफ्तार करने के लिए निकल चुका है.......उसके सर पर खून सवार है..... वो संग्राम सिंह के बारे में कुछ भी नहीं जानता......कहीं विनय के साथ कुछ गलत न हो जाए....इसलिये.....l जी सर......मैं सब समझ गया......आप निश्चिंत रहें.....विनय को कुछ नहीं होगा......में अभी फोर्स तैयार करता हूं इतना कहकर रामजी शिंदे ने फोन काट दिया। विनय भी अपनी फोर्स के साथ संग्राम सिंह की हवेली तक पहुंचने ही वाला था कि रास्ते मे उसे रामजी शिंदे ने रोक कर करण के पिता से फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताया.....l धन्यवाद सर जो आप मेरी मदद के लिए अपनी फोर्स के साथ यहां पर आए...विनय बड़े ही आदर के साथ रामजी शिंदे को कहता है l फिर विनय और रामजी दोनों हवेली पर पहुंचते है तो वहां का नज़ारा देखकर एक पल के लिए घबरा ही जाते है.......l इस हवेली के अंदर जो कोई भी मुझसे टकराने आता है वो जिंदा वापस नहीं जाता ........एक जोरदार आवाज में संग्राम सिंह अपनी हवेली के पोर्च पर खड़े होकर हवेली के मुख्य द्वार के बाहर खड़े विनय और रामजी से बोलता हैं। इतना सुनते ही विनय एक जोरदार लात मुख्य द्वार के पहरेदार को मारकर दूसरे पहरेदार के कनपटी पर पिस्टल रखकर गेट खुलवा लेता है फिर पूरी पुलिस फोर्स हवेली के अंदर घुस जाती हैं......l और फिर लाठीचार्ज के जरिए विनय भीड़ को तितर बितर कर देता है पर भीड़ के कुछ लोग जो आक्रामक होकर पुलिस पर फायर कर रहे थे विनय ने उन्हें शूट करने के ऑर्डर दे दिए अब तो पुलिस की गोलियों की गूंज से पूरी हवेली खाली हो चुकी थी और फिर विनय हवेली के अंदर घुसकर घसीटते हुए संग्राम सिंह को बाहर लाता है......l तुम ठीक नहीं कर रहे हो ...........इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी होगी तुम्हें...........संग्राम सिंह जोर से चिल्लाते हुए विनय से कहता है l फिर विनय उसे गाड़ी में भरकर दिल्ली के लिए निकल जाता है......l और फिर रास्ते में एक सुनसान जगह पर उसे उतारकर विनय अपनी पिस्टल लोड करता है l ये तुम क्या कर रहे हो........मुझे मत मारो...........में अपने गुनाह कबूल कर लूँगा.........मुझे मत मारो प्लीज....... इसी बीच गोली की आवाज आती है ठाए....ठाए.....दोनों गोली संग्राम सिंह की छाती को चीरती हुई निकल जाती हैं.......l संग्राम सिंह की लाश लेकर विनय दिल्ली पहुंच जाता है और कमिश्नर साहब को केस खत्म हो जाने की सूचना के साथ कातिल संग्राम सिंह के एन काउन्टर के बारे में भी बता देता है......l मुझे पता था कि तुम कुछ न कुछ छीछालेदर जरूर ही करोगे खैर..........जो हुआ सो हुआ अब तुम वापस जा सकते हो......इस मामले को में आत्मरक्षा में होने वाला एन काउन्टर बताकर निपटा ही दूँगा................ कमिश्नर साहब हंसते हुए विनय से कहते हैं। थैंक्स सर........और उस दिन मैंने आपको गलत समझा था...उसके लिए में बहुत शर्मिन्दा हूं....हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा....ऐसा कहते हुए विनय निकल जाता है। ***# कौतूहल एक मुश्किल तलाश समाप्त #***


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