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Sachin Tiwari

Tragedy

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Sachin Tiwari

Tragedy

हसरतें

हसरतें

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झपकती पलकों को, नींद की तलाश है 

 थक चुके है फिर भी, बढ़ते ही जा रहे है 

मिट्टी सी हसरतें है, मचलती है जो अक्सर 

पर पैमाने जरूरतों के, बढ़ते ही जा रहे है 

नादान है ये हसरतें, मिट्टी ही तो मुकाम है 

इस कदर जरूरतों से, लड़ते ही जा रहे है 

कई उम्मीदें जुड़ी है, थके हुए कदमों से 

भेंट उन्हीं उम्मीदों की, चढ़ते ही जा रहे है 



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