मकड़जाल भाग 9
मकड़जाल भाग 9
मकड़ जाल भाग 9
विशाल टैक्सी स्टैंड पहुंचा। वहाँ कई टैक्सी वाले एक ही टैक्सी में जमा होकर ताश खेल रहे थे। विशाल को देखते ही उन्होंने ताश बगल कर दी और निर्दोष चेहरा बनाकर उसकी ओर देखने लगे। एकाध ने उसे सलाम भी ठोंका। विशाल को अचरज हुआ। वह तो गरीब मूंगफली वाले की वेशभूषा में था।
तुम लोग जानते हो कि मैं कौन हूँ?
पुलिसवाले हो साहब! एक उत्तरभारतीय टैक्सी ड्राइवर बोला
कैसे पहचान लिया? विशाल का विस्मय कम नहीं हो रहा था।
"साहब रात दिन सवारियों से ही पाला पड़ता है। आप पुलिस वाले कोई भी रूप धारण करो जूते वही पहनते हो जो आपका डिपार्टमेंट देता है। आपके भारी लाल बूट दूर से बता रहे हैं कि आप कौन हो।''
विशाल को असलियत का आभास हुआ और वह झेंप गया। अच्छा बताओ! क्या अभी कोई औरत इस स्टैंड से कहीं गई है? चेहरा मोहरा उसने ढंक रखा था।
हाँ! थोड़ी देर पहले इरफ़ान उसे ले गया है।
किधर? विशाल ने चैन की सांस ली
वो तो इरफ़ान ही बताएगा साहब।
वो कब आएगा?
अब ड्रायवर का क्या ठिकाना? लेकिन देर सबेर आएगा इसी अड्डे पर।
विशाल ने अपना नंबर देकर कहा कि इरफ़ान के आते ही उससे बात करवाई जाए। इतने में एक चिल्लाया, अठारह पचीस आ गई। विशाल ने मुड़कर देखा तो 1825 नंबर की टैक्सी आ रही थी। यही इरफ़ान मिसेज शेट्टी को कहीं छोड़कर आ रहा है यह पता चलते ही विशाल लपक कर उसी टैक्सी में बैठ गया और बोला, जल्दी से वहीँ चलो जहां तुम अभी सवारी छोड़कर आये हो।
इरफ़ान बेहद शार्प था उसने बिना कोई सवाल किए गाड़ी दौड़ा दी। रास्ते में विशाल ने पूछा, कहाँ ड्राप किया मैडम को?
कालबादेवी में, इरफ़ान बोला
कोई विशेष जगह?
संगीता होटल!
कालबादेवी पुरानी मुम्बई की वह घनी बस्ती वाली जगह है जहाँ कोली समुदाय की कालबा नामक देवी का मंदिर है कोली लोग मुम्बई के मूल निवासी हैं। इसके अलावा यहाँ प्रसिद्ध मुम्बा देवी का भी मंदिर है जिनके नाम पर मुम्बई का नाम पड़ा। लगभग सभी चीजों का होलसेल मार्केट इसी स्थान पर स्थित है। बाहर से आने वाले व्यापारी और सेल्समैन यहाँ स्थित दोयम दर्जे के होटलों में रुकते हैं। ऐसा ही एक होटल था संगीता। जहाँ सस्ते में लॉजिंग बोर्डिंग की सुविधा उपलब्ध थी। इतने में संगीता होटल आ गया। विशाल ने इरफ़ान को सौ रूपये दिए जो उसने भारी आश्चर्य सहित ले लिए। विशाल कूद कर बाहर निकला और रिशेप्सन पर जाकर अपना परिचय देकर मिसेज शेट्टी के बारे में पूछने लगा। इस हुलिए की महिला थोड़ी देर पहले ही आई है और रूम नम्बर 12 में ठहरे पैसेंजर से मिलने गई है यह जानकर विशाल को थोड़ा संतोष हुआ। अभी चिड़िया उड़ी नहीं थी। उसने रजिस्टर लेकर 12 नम्बर कमरे में ठहरे यात्री का नाम पता देखा तो पुणे से आये किसी विलास का नाम मिला। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद वह 12 नम्बर कमरे में गया। यह देखकर उसे अचंभा हुआ कि दरवाजा खुला हुआ था। अंदर पहुंच कर वह भौचक्का रह गया। कमरा पूरी तरह खाली था। बाद में पता चला कि गलियारे के दूसरे सिरे पर एक और निकासी का दरवाजा था और इस होटल में किराया एडवांस लिया जाता था तो चेक आउट का कोई सिस्टम नहीं था। कोई भी कभी भी जा सकता था। विशाल हाथ मलता लौट आया। उसे फौरन वर्ली पहुंचना था।
कहानी अभी जारी है .....
पढ़िए भाग 10