बंद खिड़की भाग 5
बंद खिड़की भाग 5
बंद खिड़की भाग 5
अगले दिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आते ही हंगामा हो गया। गायत्री घोसालकर की मौत गला घोटने से हुई थी और बाद में उसे फांसी पर लटकाकर इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई थी। अब यह साफ़ था कि गायत्री की हत्या की गई थी परंतु हत्या का मकसद साफ़ नहीं हो रहा था। मृतका के गहनों के अलावा और कोई चीज गायब नहीं पाई गई अर्थात यह लूटपाट का मामला नहीं था और वैसे भी पेशेवर लुटेरों को हत्या को आत्महत्या का जामा पहनाने की क्या जरुरत थी? दूसरी बात यह कि घर भीतर से पूरी तरह बंद मिला था। आखिर हत्यारा फरार कैसे हुआ? तुकाराम का दिमाग ठप-सा हो गया। वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर अपने आला अधिकारी सालवी साहब के पास पहुंचा। जयहिंद साहब, तुकाराम ने एड़ियां जोड़कर सैल्यूट दिया और रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। इंस्पेक्टर सालवी ने उसे बैठने का इशारा करते हुए रिपोर्ट ली और पूरी पढ़ी। तब तक तुकाराम शांत बैठा रहा। रिपोर्ट पढ़कर सालवी ने सिर उठाया और बोले, रिपोर्ट में किसी लैंगिक अत्याचार का जिक्र नहीं है!
हाँ सर! तुकाराम बोला, न लूट, न बलात्कार! पता नहीं हत्या का कारण क्या है?
तुम आस-पास के लोगों को खंगालो, हो सकता है कोई कुछ बता सके।
ओके सर! पर एक बात और है! बन्द घर की मिस्ट्री समझ में नहीं आ रही है
इसमें क्या नया है तुकाराम? ऑटोमैटिक लैच दरवाजा बंद करते ही खुद ब खुद बन्द हो जाता है, आए दिन अकेली गृहणियां किसी काम से बाहर निकलती हैं और हवा के झोंके से दरवाजा बंद हो जाए तो ताले चाबी वाले मिस्त्री को बुलाना पड़ जाता है क्यों कि दरवाजा खुद ब खुद लॉक हो जाता है! अभी पिछले दिनों मेरी बीवी के साथ भी यह घटना हो चुकी है सालवी ने मुस्कुराते हुए कहा।
तब तक तुकाराम का सिर इंकार में हिलने लगा था, सर! जिस झोपड़े नुमा घर में यह वारदात हुई है वहां केवल कड़ी और सिटकनी हैं। कोई ऑटोमैटिक लैच नहीं लगा है।
ओह! सालवी ने सिर हिलाया, तब तो अचरज की बात है। तुम मौके का बारीकी से मुआयना करो, क्यों कि जैसा झोपड़ा तुम बता रहे हो वहाँ हो सकता है कि छत में कोई हिस्सा हट सकता हो ।
ओके सर। मैं चेक करता हूँ।
क्या फोरेंसिक रिपोर्ट आई?
वो कल आएगी सर!
अगले दिन फोरेंसिक विभाग की रिपोर्ट ने हंगामा कर दिया
क्या थी वह रिपोर्ट!
कहानी अभी जारी है...
पढ़िए भाग 6