साईकिल
साईकिल
स्कूल के बाद हमें माता से आधा घंटा साईकिल चलाने की इजाजत मिली थी, आधा घंटा धीरे-धीरे एक घंटा और एक घंटा कब दो घंटे में तब्दील हो गया पता ही नहीं चलाI मैं जैसे साईकिल लेकर निकलता माता चौकन्नी हो जाती और वापसी में वो इंतज़ार करते मिलतीI कभी-कभी कुछ नहीं बोलती और तो कभी जोर से डांट देती, "तुम लोगो को पढाई-लिखाई छोड़ कर खाली साईकिल चलाना है" ये... वो... दादी बीच बचाव करती थीI घर के कामो में मै दादी की मदद करता था और ऐसे भी दादी मुझे बहुत प्यार करती थीI
मुझे साईकिल चलाते देख मेरे एक दो दोस्तों के पास नई साईकिल आ गईI अब हम ग्रुप बनाकर साईकिल चलाने लगे और साईकिल अदल-बदलकर चलाने लगेI इसी बीच मुझे फर्क मालूम पड़ा नई साईकिल हलकी चलती है पुरानी साईकिल में कितना भी ग्रीस तेल डालो दो दिन बाद वो भारी हो जाता था और चें... पों... चें... पों... आवाज़ करती थी I इसके बाद मैंने दादी को नई साईकिल खरीदने के लिए बोलाI उस समय नई साईकिल 600 की थी और पिताजी की सैलरी भी लगभग उतनी ही थीI दादी बोली तुम्हारे नए साईकिल के चक्कर में पूरे परिवार के मुँह में जाबी लगवाना पड़ेगा और मुझे पुरानी साईकिल का मरम्मत करके ही काम चलाना पड़ाI बात 89-90 के आस पास की हैI
लगभग 30-32 साल बाद इतिहास ने एक बार फिर अपने आप को दोहराया, मेरे बेटे ने साईकिल खरीदने के लिए बोला नई साईकिल की कीमत 6000 से 15000 के बीच की है आज के समय में मेरी सैलरी लगभग 40000 है लेकिन ई.एम.आई., स्कूल की फीस और क्रेडिट कार्ड के बिल भरने के बाद महीने में हज़ार दो हज़ार किसी ना किसी उधार लेना पड़ता हैI अगले महीने उस उधारी को चुकाने में भी भारी मशक्कत होती हैI खैर मैंने थोड़ा बेटे को मनाया बिना गियर/डिस्क ब्रेक वाली साईकिल के लिए थोड़ा इधर-उधर करके मैने उसे साईकिल खरीद दीI
पिछले दो तीन सालों से इन्क्रीमेंट हुआ नहीं थाI कंपनी प्रोपराइटरशिप से प्राइवेट लिमिटेड हो गई लेकिन हमें कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कर दिया गया थाI कई सारी रिस्ट्रिक्शन के साथI कोरोना काल में बोनस नहीं ऊपर से कोढ़ में खाज सैलरी कटI जैसे-तैसे चल रहा थाI लेकिन बॉस की रईसी देखकर ये लगता ही नहीं कि कोरोना काल है और पैसे नहीं हैI मशीने नई-नई आ रही थीI हिसाबो में खर्च को बराबर करने के लिए सी.ए. के साथ मीटिंग चल रही थीI कितने पैसे कहाँ इन्वेस्ट किये जाये और सुना है इस बार ऑडी कार भी लेने वाले हैंI