स्याह उजाले-4
स्याह उजाले-4
हमारे गाँव के शुरू में एक तालाब है जिसके एक किनारे दुर्गा पूजा होता था उस समय वहाँ खूब रौनक होतीI सड़क तालाब के एल शेप से जाती बाकि दो किनारों पर जंगल थाI तालाब पर एक पक्का घाट बना हुआ था उसी घाट पर बैठकर हम अपना माथा शांत करते थेI वहाँ शिवजी का एक मंदिर जिसके अन्दर छठ में हम बम फोड़ते थेI देवी का मंदिर महारानी स्थान के नाम से प्रसिद्ध थाI उसी के एक किनारे में पुस्तकालय थाI पुस्तकालय में रविवार को हम अख़बार देखते और सरस सलिल चाटते थेI सरस्वती पूजा पुस्तकालय में होता थाI सरस्वती पूजा से पहले रात भर जागकर हमलोग मंडप सजातेI सुबह प्रतिमा का पूजन होता इसके बाद बुनिया-केसौर का प्रसाद बंटताI बुंदिया हमलोग अपने लिए अलग से बचाकर रखते थेI भसान वाले दिन भांग खाकर बुंदिया खाया जाता थाI भसान वाले दिन ट्रेक्टर पर जुलूस निकलताI
ट्रेक्टर पर प्रतिमा के साथ डीजे के दो बड़े-बड़े बॉक्स होतेI भोजपुरी गाने पर डांस करते हुए पूरे गाँव का चक्कर लगताI अबीर-गुलाल के साथ शाम में माता को तालाब में विसर्जित कर हम फिर अपनी दुनिया में लग जातेI
हमारी शामें अँधेरी होती, बिजली अक्सर रहती नहीं थी और अगर साल छह महीने में कभी आ जाए तो इतनी मद्धम होती कि बल्ब का फिनामेंट जलताI उसके रोशनी में कुछ भी स्पष्ट देख पाना संभव नहीं थाI हमारी आँखे अभ्यस्त थींI रास्ते में कहाँ गड्ढा है कहाँ पानी भरा है कहाँ कूदना है कहाँ कतराकर निकलना है? पदचाप से हम अपने दोस्तों-दुश्मनों को पहचान लेते थेI हमारे ज्यादातर दोस्तों को भांग का लत लग चुका थाI शाम के बाद जब भी हमें कोई मिलता तो उसकी आवाज़ लडखडा रही होती, होंठ सूखे होते, और उनमे आत्मविश्वास की कमी होतीI बोलते समय शब्द टूट रहे होते, शब्द काँप रहे होते, आवाज़ गले से फंस-फंसकर निकलता दिमाग और शरीर के अंगों का जुड़ाव 2जी सिग्नल की तरह टूट-टूटकर मिलताI शाम को पान के दुकान पर हम वेवजह बैठतेI अपने से बड़ों को देखकर उनकी नक़ल करके हमने भी छुप छुपकर तम्बाकू बनाना और खाना सीख लिया थाI आलम ये था बोर्ड मेट्रिक परीक्षा की बात हमारे दिमाग में आती नहीं थीI हमारा जीवन स्कूल, ट्युशन, क्रिकेट, भांग और तम्बाकू के बीच में घूम रहा थाI इन दुर्व्यसनो के लिए पैसे कहाँ से आते थे? कभी किसी काम से कभी किसी काम से हमारे घरवाले हमें कहीं कहीं रिश्तेदारी में भेजते थे, उस समय हमें कुछ खर्चा मिलता था हम उसमे से पैसे बचाकर इन चीज़ों पर खर्च करते थेI