हरि शंकर गोयल

Abstract Comedy Fantasy

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हरि शंकर गोयल

Abstract Comedy Fantasy

रसोई की खिडक़ी

रसोई की खिडक़ी

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घर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है रसोई। घर में चाहे और कुछ हो या ना हो एक रसोई और एक बाथरूम अवश्य होना चाहिए। बैडरूम ना हो तो भी चलेगा। अरे भाई , इतने सारे लोग फुटपाथों पर भी तो सोते हैं न। तो घर में खुले आंगन में सो जायेंगे तो कौन सा फर्क पड़ जायेगा। रही बात "रात्रि कार्यक्रम" की तो वो तो जब एक कमरे में सब लोगों के सोते हुये हो सकता है तो फिर आंगन में भी हो सकता है। मगर रसोई के बिना काम नहीं चल सकता है। 

सुबह चाय से लेकर लंच, डिनर और फिर दूध तक सब कुछ रसोई से ही चलता है। घर में सबकी निगाहें रसोई की ओर ही रहती हैं। सब लोग सूंघते रहते हैं कि रसोई में क्या पक रहा है। और तो और लोग तो दूसरों की रसोई को भी सूंघते रहते हैं। वैसे दूसरों की रसोई को सूंघने में जो आनंद है वह आनंद तीनों लोकों में कहीं नहीं है। हम भारतवासी तो जिंदा ही खाने के लिए रहते हैं। जिस दिन उपवास करते हैं उसके अगले दिन दुगना खाते हैं। लोग यहां कम खाने से नहीं मरते , ज्यादा खाने से मरते हैं। शादी समारोहों में हम लोग जाते ही खाने के लिए हैं। नेता, अफसर, कर्मचारियों को अगर "खाने" को नहीं मिले तो फिर वे सरकार में रह कर क्या करेंगे ? इसलिए जहां रसोई वहीं रौनक होई। मतलब जहां "खाने" को मिलेगा उसके "भाव" तो बढ़ेंगे ही ना। जहां ज्यादा "खाने"को मिलेगा वहां का "भाव" उतना ही ज्यादा होगा।

ये रसोई ही तो है जहां गृहणियों का सबसे अधिक समय गुजरता है। इसलिए आदमी चाहता है कि बाथरूम सबसे सुंदर बने क्योंकि एक वही तो जगह है जहाँ वह आत्मिक ज्ञान , स्वर्गीय आनंद और क्रांतिकारी विचार पाता है। इसलिए लोग बाथरूम को सर्वाधिक सुविधाओं वाला स्थान बनवाते हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि एकमात्र यही जगह होती है घर में जब पति वहां निश्चिंत होकर कुछ समय गुजार सकता है। पत्नी के अचानक आने का खतरा नहीं होता है वहां पर। अत: वह बाथरूम में इटालियन टाइल्स लगवाता है। पुस्तकालय भी बनवा लेता है। जक्कूजी भी लगवा लेता है। और भी बहुत कुछ करवा लेता है अपने पसंद का। 

इसी तरह महिलाओं के लिए रसोई बनी है। महिलाओं की पसंदीदा जगह रसोई है। हमने अनेक कहानियों में भी पढ़ा है कि मां हरदम रसोई में ही पायी जाती है। इसलिए वह रसोई अपनी पसंद से ही बनवाती है। कौन सी चीज कहाँ रखी है यह वही बता सकती है और कोई नहीं। हम मर्दों को तो अपने मोजे सामने पड़े होने के बावजूद नजर नहीं आते हैं तो बाकी की चीजें कैसे नजर आयेंगी । 

जिस तरह घर में रसोई का महत्व है उसी तरह रसोई में खिड़की का भी महत्व है। खिड़की के कारण रसोई से निकलने वाली धुंआ बाहर जाती है और ताजी हवा अंदर आती है। अगर रसोई में खिड़की ना हो तो ? खांसते खांसते दम घुट जाता है घरवालों का। एक बात और रसोई की खिड़की से ताजी हवा अंदर आती है तो वह रसोई में रखी सब्जी, फलों वगैरह को भी ताजा रखती है। अगर ताजी हवा नहीं आये तो सब खाद्य पदार्थ खराब हो जायें। इसलिए रसोई की जान होती है उसकी खिड़की। 

खिड़की से घर में आने जाने वालों पर भी नजर रखी जाती है। रसोई इस तरह बनाई जाती है जिससे उसकी खिड़की से मैन गेट नजर आता रहे। चूंकि गृहिणी का सबसे अधिक समय रसोई में ही गुजरता है इसलिए इस खिड़की के कारण गृहिणी को हर आने जाने वाले की खबर रहती है। 

एक और बात है। रसोई की खिड़की अगर पड़ोसिन की छत की ओर या उसकी रसोई की खिड़की की ओर खुलती है तो दोनों सहेलियां घंटों बातें कर सकती हैं। जब दोनों औरतें बतियाती हैं तो समय का पता ही नहीं चलता है। दुनिया की बातों से लेकर मौहल्ले भर की बातें इसी खिडक़ी की मदद से की जा सकती हैं। इसलिए यह खिड़की केवल रसोई की ही जान नहीं है अपितु मालकिन की भी जान होती है। इसी खिडक़ी के कारण न जाने कितनी तख्ता पलट की योजनाएं बनी हैं आज तक। कितने घरों में महाभारत हो चुका है इसकी तो गिनती ही नहीं है। कितने घर टूट चुके हैं इसका अंदाजा ही नहीं है। बड़ी आवश्यक चीज है यह खिड़की मगर बड़ी खतरनाक भी है। इसी खिड़की के सहारे कभी कभी छमिया भाभी के भी दीदार हो जाते हैं हमें। मन प्रसन्न हो जाता है जब छमिया भाभी के दीदार हो जाते हैं। श्रीमती जी ने एक बार देख लिया हमें उनके दीदार करते हुये। बस, तभी से यह खिड़की बंद रहती है। और हम बस आहें भरकर रह जाते हैं और बरबस गुनगुना उठते हैं। 

मेरी दुश्मन है ये मेरी उलझन है ये 

बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है 

ये खिड़की खिड़की ये खिड़की 

ये खिड़की जो बंद रहती है। 


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