"सच में ... जब तक अपनी सारी उलझने उन दोनो से बांट ना लूँ, चैन नहीं पड़ता। "सच में ... जब तक अपनी सारी उलझने उन दोनो से बांट ना लूँ, चैन नहीं पड़ता।
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की ये खिड़की जो बंद रहती है। ये खिड़की खिड़की ये खिड़की ये खिड़की जो बंद रहती है।
हम जान के भी अनजान बने रहने का नाटक करते रहते हैं हम जान के भी अनजान बने रहने का नाटक करते रहते हैं
क्यों तन्हाई से दो-चार हुए हम। बस एक ज़िद थी खुद से ही जीतने की। ना जाने क्यों खुद से ही हार गए हम। क्यों तन्हाई से दो-चार हुए हम। बस एक ज़िद थी खुद से ही जीतने की। ना जाने क्यों ...
डाक्टर सुचि जब आप्रेशन थियेटर से बाहर आयी तब उनके चेहरे पर एक माँ को जीताने की खुशी थी डाक्टर सुचि जब आप्रेशन थियेटर से बाहर आयी तब उनके चेहरे पर एक माँ को जीताने की ...
इस रिश्ते में कोई बंधन नहीं होता है और शादी में आदमी चाह कर भी आज़ाद नहीं होता इस रिश्ते में कोई बंधन नहीं होता है और शादी में आदमी चाह कर भी आज़ाद नहीं होता