राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा
एक देश की राजधानी में चार व्यक्ति अलग-अलग प्रांतों से आकर मिले।
चारों ने अपनी बात अपनी-अपनी भाषा में कहने की ठानी। एक-दूसरे की भाषा कोई न जानता था।
फलतः एक-दूसरे की बात कोई न समझ पाया। कोई ऐसा भी न था, जो समझाता-
अरे, मूर्खों क्यों अपनी ढपली अपना राग सुना रहे हो।
एक सर्वमान्य भाषा को राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बनाते। उसका प्रयोग ऐसी समस्या का अन्त करता।
