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शशांक मिश्र भारती

Abstract

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शशांक मिश्र भारती

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निर्णय

निर्णय

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       एक दिन की बात है ।घृणा और प्रेम में बहस छिड़ गई । 

        बड़ा कौन हैॽ तू या मैं ॽ 
        घृणा ने अपना घृणित रूप दिखाया।जमकर कोसा।गालियां बकीं।प्रत्युत्तर में प्रेम मात्र मुस्कराता रहा, 
         अन्तत: घृणा ने प्रेम का महत्व स्वीकार कर अपनी हार मान ली । 
          निर्णय हो चुका था ।


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