STORYMIRROR

शशांक मिश्र भारती

Abstract

2  

शशांक मिश्र भारती

Abstract

विरोध के लिए विरोध

विरोध के लिए विरोध

1 min
54

      पिछले दो माह से प्रदर्शन बन्द हड़ताल धरना से राजधानी का जन जीवन अस्तव्यस्त रहा।

      लोग परेशान तो हुए ही।बीमार अस्पताल और बच्चे स्कूलों को नहीं जा सके।

      सूचना समाचार की बात करें तो कुछ ही वहां तक पहुंचने में सफल हुए।

      शेष के साथ मारपीट कर दी गयी।उनके कैमरे तक तोड़ दिये।

      आखिरकार एक दिन गुब्बारा फूट गया।पक्ष और विपक्ष भिड़ गये।बड़े -बड़े गुलेल पत्थर पेट्रोल बम अवैध हथियार चले।दर्जनों लाशें गिर गईं घायलों की न गिनती नहीं।करोड़ों का सामान जला दिया गया।

       कई बच्चों ने अपनी आंखों के सामने अपने माता पिता को खोया। चाकू छुरियां रक्त स्नान कर गये। नाले लाल हो गये। कई दिन कर्फ्यू लगा रहा। फ्लैग मार्च हुए। शान्ति वार्तायें की गईं।पीस कमेटियां बैठी।

       अन्ततः सब कुछ ठीक हो गया।  एसआईटी बनी रिपोर्ट आयी तो सबका सिर शर्म से झुक गया।

        कारण यह सब गिने चुने लोगों ने अपने स्वार्थ विरोध के लिए विरोध की भावना से किया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract