खास होली
खास होली
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रौनक के जीवन की सारी रौनक चली गई ।जब कोरोना ने उसके अपनों को निगल लिया ।
न जीवन न जिन्दगी निराशा से भर गए।
साल बीता । रंगों के पर्व की हलचल शुरू हुई । होलियारे निकले। जुलूस में रंग बिखरा।
पर रौनक उदास। कमरा बन्द। छत की ओर एकटक देख रहे।
अचानक दरवाजा खटका। मेरे साथ होली मनाओ न। एक छोटा बच्चा सामने खड़ा था।
रौनक ने कुछ क्षण सोंचा। फिर चल दिए।
कई और बच्चे भी मिल गए। जमकर रंग खेला। गुलाल लगाया ।
रौनक की उदासी दूर हुई । पहले सी रौनक आ गई।
बच्चों के साथ यह होली खास हो गई ।
