Shakuntla Agarwal

Romance Classics Fantasy

4.5  

Shakuntla Agarwal

Romance Classics Fantasy

प्यार

प्यार

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प्यार वो इनामत हैं, जो दो दिलो में चिंगारी सुलगा देता हैं, फिर समाज या घरवाले कितनी ही कोशिश करलें, ये चिंगारी बुझने के बजाय़े और सुलगती जाती है, दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई। विनोद के घर वालों ने यह कहकर की यह लड़क़ी हमारे घर के लायक नहीं क्योंकि ये फैशनेबल हैं, इसे खाना बनाना भी नहीं आता इसके मैग्जीन में भी फोटो आते हैं, सुना है इलेक्शन में भी खड़ी हुई है, सों हम यह रिश्ता आगे न ही बढ़ा सकते हालांकि रिश्ता घरवालों और लड़का-लड़की की सहमति से हुआ था। 

उसके मम्मी-पापा, अनीता और उसके कजिन मथुरा वृन्दावन की फेरी लगाने चले गये, जब वहाँ से लौट कर आये तो अनीता का भाई तार लिये दौड़े चला आ रहा था, तार विनोद का था, बाऊजी इस रिश्ते की गरिमा बनाये रखना, मैंने अपने घरवालों को मना लिया है। शादी मेरी और अनीता की ही होगी, तार के साथ चिट्ठी भी थी जिसमें लिखा था की समाज में जो ये छोटी सोच के कीड़े-मकोड़े हैं, तो समय के अनुकुल ये अपने आप को ढ़ाल लेंगें या फिर मारे जायेंगे। मैं जल्द ही आपसे और अनीता से मिलने आऊंगा। विनोद के घर में वापिस खुशी की लहर दौड़ गई। अनीता की कजिन आई हुई थी, वह साड़ी में फाल लगा रही थी और अनीता आटा गूंद रही थी। इतने में संगीता ने देखा, दो लड़के बाइक पर घर के बाहर आकर रुके हैं।

अनीता बेफिक्र होकर कहने लगी - ऊपर किरायेदारों के यहाँ आये होंगें, कहकर गाना गुनगुनाने लगती है - आजा रे परदेशी, मैं तो कब से खड़ी इस पार। दोनों अपना ही गेट खोल रहें हैं, इतने में विनोद अनीता और संगीता के बीच में खड़ा था, मगर अनीता उसे घूर रही थी की - ये कौन है?

अनीता की माँ आती है, देख कर कहती हैं, कि तुमने पहचाना नहीं क्या? विनोद हैं। अनीता परात लेकर भागती है और संगीता साड़ी के साथ दोनों जाकर एक दूसरे से लिपट जाती हैं। संगीता - अरे!अनीता तुम? तुम और विनोद तो दो बार मिल चुके, फिर तुमने पहचाना क्यों नहीं? मैंने चेहरा नहीं देखा। जब भी मैं विनोद का चेहरा देखती हूं, वो मुझे निहारते होते हैं तो मैं शर्म से सिर झुका लेती हूँ। विनोद के साथ 2-4 घण्टे मजे में निकलते हैं लेकिन जैसे ही विनोद जाने लगता है, अनीता की आँखे छलछला उठती हैं। 

एक अनजाना डर उसे घेर लेता है, परन्तु विनोद कहता है कि मैं तुमसे कोर्ट मैरिज करने को तैयार हूँ, परन्तु एक शर्त पर की मेरी बहन की शादी के बाद अनीता मना कर देती है, मेरे भाईयों की शादी में दिक्कत आयेगी। अगर शादी होगी तो घरवालों की सहमति से ही होगी। विनोद चला जाता है, इस आश्वासन के साथ की वह घरवालों के साथ ही बारात लेकरआयेगा, परन्तु विनोद के बड़े भाई का फोन अनीता के मामा जी के यहाँ आता है, शाह जी आप ऐसा करें हिसार में धर्मशाला लेकर शादी करें,अनीता के मामा जी - क्यों? अगर हम धर्मशाला से शादी करेंगे तो आप के लिये भी एक़ धर्मशाला बुक एक देते हैं। 

विनोद के बड़े साहिब - हमारे लिये क्यों? हम लड़के वाले हैं, आपको वही करना पड़ेगा जैसा मैं कह रहा हूँ। अनीता के मामा जी अगर ऐसा हैं तो ये रिश्ता टूटा समझो। ये कहकर फोन काट देतेहैं, जैसे ही विनोद घर आता है, उसके बड़े भाई साहिब विनोद को खबर देते हैं कि लड़की वालों ने रिश्ता तोड़ दिया। विनोद अपने दोस्त के साथ अनीता के घर पहुंचता है, गली - मोहल्ले वालो को ये जता देता है की अनीता और विनोद मिलते हैं, ताकि ये रिश्ता बना रहे। विनोद को वहाँ पता चलता है की अनीता के लिये कोई और लड़का देखा जा रहा हैं, विनोद कहता है यदि शादी होगी तो अनीता से ही वर्ना सारी उम्र कुँवारा रहूंगा, आखिरकार शादी की घड़ी भी आ पहुंचती है। बारात बड़ी धूमधाम से निकलती है। 

परन्तु घोड़ी को कोई जलती हुई सिगरेट लगा देता है, सो घोड़ी उछलने लगती है। विनोद घोड़ी से छलांग लगा देता है। इधर जरनेटर में खराबी की वजह से बैंड -बाजे वालों की लाइटें बन्द हो जाती हैं। विनोद के रिश्तेदार बैंड-बाजे वालो पर पील पडते हैं। विनोद गाड़ी में बैठता है और अनीता के घर के सामने पहुंच जाता है सब हक्के-बक्के रह जाते हैं। 

विनोद - देख क्या रहे हो, आरता करो। जल्दी से अनीता की बुआ और मम्मी चोक पुरती हैं और चौकी बिछाती हैं, विनोद को चौकी पर खड़ा होने के लिए कहती हैं, इतने में सब रिश्तेदार इकट्ठे हो जाते हैं, और फिर शुरु होता है हँसी-मजाक और आरते का सिलसिला। अनीता की मम्मी विनोद के ऊपर से 100का नोट वार कर विनोद के जीजा जी को देते हुये कहती है ये नाई के, तो विनोद कहता है फिर आप अपनी लड़की नाईयो को दे रहे हो? सब हंसने लगते हैं। जयमाला के लिए फूलों की स्टेज बनाई गई थी, सो अनीता जयमाला के लिए आती है और दोंनो एक -दूसरे को जयमाला पहनाते हैं, जैसे ही दोंनो सोफे पर बैठते हैं अनीता के मामा जी अनीता को अन्दर ले जाने के लिए आ जाते हैं। 

विनोद सोफे पर हाथ लगा कर कहता है - अब हम एक-दूजे के हो चुके हैं, अब कोई हमें अलग नहीं कर सकता, आप निश्चिंत रहें। मैं खाना भी अनीता के साथ ही खाऊंगा। सभी स्तब्ध थे क्यूंकि यह वो जमाना था जब लड़की चावल की मुठ्ठी लगाती थी और घूँघट में ही जयमाला हो जाती थी। विनोद ने अनीता के मामाजी से कहा कि आप फिर अनीता को फेरों के लिए तैयार करने के लिए ले जाना। दोनों ने साथ खाना खाया और फिर फेरे लेकर सात जन्मों के अटूट बंधन में बंध गये। सच्चा प्यार करने वालों के लिए अनीता - विनोद एक ज्वलंत उदाहरण हैं। आज के युग में प्यार के नाम पर छलावा हो रहा है और इस छलावें का परिणाम हैं कि लड़की को टुकड़ों में विभाजित किया जा रहा है। 


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