प्रिय डायरीजनसंख्या वृद्धि
प्रिय डायरीजनसंख्या वृद्धि
क्या प्रकृति अपने नैसर्गिक रूप में वापस आ रही है। कहते हैं इंसान नदी की धारा को अपनी इच्छा अनुसार चाहे कितनी बार मोड़ ले लेकिन नदी अपना मार्ग ढूंढ ही लेती है।
कोरोना महामारी के संकट काल में एक बात जो गौर करने वाली है, कि जैसे इंसान अनुकूल वातावरण होने पर अपनी संख्या में वृद्धि करता है वैसे ही जानवर भी करते हैं।
लॉक डाउन के चलते जब मनुष्य घरों में कैद हो गया है ,जानवर स्वच्छंद होकर मार्गों पर विचार करने लगे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि मनुष्य ने उनके आवास पर कब्जा कर लिया था और अब जब प्रकृति ने उन्हें अवसर दिया है तो वे अपने आवास में लौट आए हैं।
आज एक खबर पढ़ी, जूनागढ़(गुजरात) के शक्कर बाग चि
ड़ियाघर में दो शेरनियों ने मंगलवार रात आठ शावकों को जन्म दिया। जूनागढ़ के प्रमुख वन संरक्षक डी टी वसावादा ने इस घटना के बारे में कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है ,जब पिछले 8 दिनों में 17 शावक पैदा हुए हैं ।
जैसे मनुष्य भोजन पानी और स्थान के अनुरूप अपने जनसंख्या में वृद्धि करता है ठीक वैसा ही आचरण पशु भी करते हैं। अभी तक आवास की उपलब्धता कम थी इसलिए शेरों की जनसंख्या भी कम थी। मनुष्यों ने कितने प्रयत्न किये, कितना धन खर्च किया, संसाधन खर्च किया शेरों की जनसंख्या में वृद्धि करने के लिए ,लेकिन कहते हैं ना, प्रकृति सबसे महान हैं उसे जो करना होता है वह स्वयं कर लेती है ।
फंडा यह है कि अपनी जनसंख्या में वृद्धि की इच्छा सभी की होती है फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर।