Laxmi Dixit

Abstract

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Laxmi Dixit

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प्रिय डायरी सैलरी में नमक

प्रिय डायरी सैलरी में नमक

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    नमक ,अगर आंखों में हो तो नमकीन आंखें ,नैनो की चंचलता दर्शाती हैं। अगर चेहरे पर हो तो सुंदरता में चार चांद लगाता है।


     फिल्म शोले में एक डायलॉग था - 'सरदार मैंने आपका नमक खाया हैै' ,हालांकि यहां नमक का मतलब था , 'सरदार मैं आपका सैलरी पाने वाला एक कर्मचारी हूं ' । जो व्यक्ति अपने मालिक का वफादार होता है उसे नमक -हलाल कहते हैं और जो व्यक्ति अपने मालिक के साथ गद्दारी करता है , उसे नमक-हराम कहते हैं।


     हिंदी सिनेमा में तो इन दो लफ्ज़ों, 'नमक- हराम' और 'नमक- हलाल' पर ना जाने कितनी फिल्में और गीत लिखे जा चुके हैं ।1970 और 80 के दशक में तो अभिनेता अमिताभ बच्चन ने इन दो लफ्जों को अपने फिल्मों में बहुत मशहूर किया।


     आज जब वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हमारा देश बल्कि लगभग सारे विश्व में ही लॉकडाउन चल रहा है और वर्क फ्रॉम होम पर जोर दिया जा रहा है और सैलरी भी हमें घर बैठे ही मिले रही है तो अनायास ध्यान इस आेेर चला गया कि यह 'सैलरी' शब्द आया कहां से है।


     अब आप कहेंगे कि भूमिका तो मैंने नमक शब्द की बनाई तो यह सैलरी शब्द बीच में कहां से आया ।


     दरअसल, सैलरी शब्द मूलतः लैैैटिन भाषा के शब्द 'सैलरियम' से आया है जिसका मतलब होता है रोज़गार, नमक और सैनिक ।स्वयं सैलरियम शब्द लैटिन शब्द 'साल डेयर' से आया है जिसका मतलब है नमक देना।


    रोमन इतिहासकार टिलनी द एल्डर के अनुसार रोम के सैनिकों का वेतन नमक (सॉल्ट) के रूप में दिया जाता था। 550 -450 ईसा पूर्व के समय तक किसी व्यक्ति का नमक स्वीकारने का मतलब उसका भुगतान स्वीकार करना या सेवा में होने से था। उस समय नमक का हक अदा करने का मतलब होता था राजा के प्रति वफादार होना। मध्य युग में नमक बहुत महंगी वस्तु था, इसलिए इसे सफेद सोना भी कहा जाता था।


    बहरहाल सैलरी शब्द भले ही नमक शब्द से आया हो ,लेकिन नमक चाहे सैलरी में हो या हमारे व्यंजन में अगर अनुपात से थोड़ा कम या ज्यादा हो जाए तो चाहे कितनी भी मेहनत से तैयार किया गया पकवान हो स्वाद बिगड़ ही जाता है।


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