पहला प्यार,,,,,,,,,,,,,,,,
पहला प्यार,,,,,,,,,,,,,,,,
शमिता सुनील को देखते ही एक अजीब से आनंद के अनुभूति में डूब जाती थी। सुनील सीधा-साधा सच्चा इंसान शमिता अपने यौवन की दहलीज पर खडी थी ।
,,,,,,, एक उम्र होती है सपने देखने की अपने साथी की तलाश करने की परंतु उसे पता था उसकी पसंद का कोई मोल नहीं जो होगा उसके परिवार वालों के पसंद से होगा, परंतु दिल क्या करें दिल से वह मजबूर थी वह चुपके चुपके सुनील को देखती थी सुनील के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हैं अफसोस उसने कभी भी अपने प्रेम का इजहार नहीं किया। उसने अपने एक तरफा प्रेम को अपने मन में संजोकर रखा उसकी बड़ी बहन की जब शादी हो गई तो, घरवाले बेकरारी से उसके लिए भी लड़का ढूंढना शुरू कर दिए शमिता अपने परिवार में दूसरे नंबर पर थी और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियों से वाकिफ थी। वह नहीं चाहती थी कि उसके पसंद के वजह से उसके भाइयों का पापा का नाम खराब हो या दूसरे शब्द में यह कहें कि वह घर वालों के सामने अपनी पसंद बताना नहीं चाहती थी लज्जा के कारण या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो घरवाले इसकी इजाजत नहीं देते अंतः धीरे-धीरे देखते देखते उसकी शादी किसी और से हो गई और फिर सुनील की भी किसी और से हो गई परंतु आज भी शमिता अपने पहले प्रेम को भुला नहीं पाई आज भी उसके मन मस्तिष्क में वही सुनील विराजमान है। अब हालात यह है आज शमिता विधवा हो चुकी है और विधवा होने पर सारी जिम्मेदारियां अकेले उठा रही है परंतु अपने मन मंदिर में वह किसी को बैठा नहीं पाई , अपने पहले प्यार को भुला नहीं पाई।।।