बंधन
बंधन
हैलो,, हां मैं अच्छी हूं तुम कैसे हो ?
इस प्रकार के फोन कॉल और मैसेज हर दिन लेना और देना होता है। अध्यात्म के स्तर की बातें हों या फिर राजनीतिक मुद्दा हो हर प्रकार की बातें होती है उन दोनों के बीच
आध्यात्मिक स्तर की बातें तो कभी सामाजिक मुद्दे पर आलोचना तो कभी व्यक्तिगत सवाल इस प्रकार दोनों के अंदर एक नेह का जन्म हो रहा था ।
कभी कोई बात पर अनबन तो कभी एक दूजे को ब्लॉक करने का सिलसिला यह यूं ही चलता रह। परंतु कुछ दिन के बाद एक दूजे की परवाह और बात न कर पाने का दर्द उभर कर सामने आता।
ना कभी मुलाकात हुई हुई और न भविष्य में मिलने की कोई संभावना है नीलिमा बिल्कुल अपने छोटे भाई जैसी से प्रेम रखती है और अपनी दुआओं में उसे शामिल रखती है पता नहीं यह कैसा बंधन है।