बड़ी आपा
बड़ी आपा
आज अमीना शाम तक बहुत थक गई। पति के जाने के बाद अमीना पूरी तरह से अकेली हो गई, माता और पिता की जिम्मेदारी निभाने को मजबूर है ।उस पर घर और बाहर और बच्चों की और नौकरी की जिम्मेदारी है।
अब बस शाम की चाय के साथ अमीना पोर्टिको में बैठकर अपने बड़े परिवार के बारे में सोचने लगी।
कैसे उनके भरे पूरे परिवार में 6 भाई-बहन और बड़ी अम्मा के साथ घर कोलाहल पूर्ण वातावरण में मुखरित होता था।
इस खुशहाल परिवार को बनाने में बड़ी आपा का बहुत हाथ रहा ।जब बड़ी आपा सिर्फ चार साल की थी तब पिताजी का साया सर से उठ गया और माताजी अक्सर बीमार रहती थी। छह भाई-बहनों में बेशक बड़ी आपा तीन भाइयों से छोटी थी और जिम्मेदारी उठाने में असमर्थ थी परंतु फिर भी उसने छोटी सी उम्र में ही खाना बनाना सीख लिया। भाई बहन को संभालना सीख लिया, और सब के सुख दुख में शामिल होकर अपनी पढ़ाई के साथ परिवार की गरिमा और अभिमान की भी रक्षा की उसने, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा उसने अपने जीवन में कभी हार नहीं माना पारिवारिक माहौल में कुछ कड़े फैसले लेने के लिए मजबूर हुई और उन फैसलों के दौरान उसके शरीर पर इसका असर पड़ा और वह अस्थमा की मरीज बन गई। बावजूद इसके बड़ी आपा हर भाई बहन के लिए मां जैसा स्नेह रखती थी और उसने काफी छोटी उम्र में छोटे छोटे भाई बहनों का ख्याल रखा उन्हें समझाया उन्हें सुलाया, उन्हें इंसान बनने में मदद की, और यहां तक कि उसने भाई बहनों के घर बसाने में भी अपनी पूरी निष्ठा के साथ सारे भाई बहनों की शादी करवाई। हालांकि आर्थिक सहायता उसकी नहीं थी परंतु एक व्यक्ति विशेष के रूप में बड़ी आपा अपने परिवार के लिए चश्मे बद्दूर थी। इसी बड़ी आपा को याद करते करते अमीना ने अपनि चाय खत्म की और धीरे से उसके होठों पर एक मीठी मुस्कुराहट आ आ गई, अपनी बड़ी आपा को याद करके, और वो फोन उठा कर बड़ी आपा का नंबर डायल करने लगी।