शमशाद आपा
शमशाद आपा
नीलिमा थकी हुई थी । विद्यालय में शिक्षिका थी विद्यालय से लौट कर उसने अपने बैग चप्पल और यूनिफॉर्म को यथा स्थान पर रख दिया। थकी हुई नीलिमा बिस्तर पर लेटे लेटे व्हाट्सएप ग्रुप खोलने लगी' अचानक.. उसका ध्यान व्हाट्सएप के एक मैसेज पर गया लिखा था "शमशाद आप नहीं रही"।
नीलिमा के जैसे सीने में दर्द हुआ। उसे सदमा हुआ ।शमशाद आपा नहीं रही यह खबर इसके लिए एक झटके से काम नहीं थी। वह उठकर बैठ गई। अनजाने ही उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह चली ।शमशाद आपा एक सामान्य व्यक्तित्व नहीं थी ।इन्होंने अपने जीवन काल में और पूरे जीवन पर्यंत बड़े परिवार की बड़ी बेटी होने के नाते सारी जिम्मेदारी उठाई थी। शमशाद आपा अपने अरमान अपनी खुशियों की कदर कभी नहीं की पूरे जीवन भर उसने अपने भाई बहनों को संभाला क्योंकि पिता एक नार्सिसिस्ट इंसान थे जिन्होंने जीवन भर केवल अपनी पत्नी को दुख दिया था। बच्चों के सामने उन्होंने इतने तमाशा किए थे के बच्चों की शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक स्थिति में कोई उन्नति नहीं हुई ।शमशाद आपा घर की बड़ी लड़की थी, उन्होंने अपने छोटे-छोटे भाई बहनों को संभाला उनकी शादियां की इसी दौरान उनकी उम्र निकल गई। उम्र निकालने के बाद शादी होने पर वह मां नहीं बन पाई ..। जब मनुष्य के जीवन से स्वाभाविकता खत्म हो जाती है तब मनुष्य के आयु पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ता है ,इसमें कोई शक नहीं की शमशाद आपा ने अपनी पूरी जिंदगी अपने परिवार वालों के भलाई में लगा दिया।
आंखों में आंसू लिए ..नीलिमा अतीत से निकलकर वर्तमान में पहुंच गई और अपनी स्कूटी से शमशाद आपा के आखरी दर्शन के लिए शमशाद आपा के घर की ओर चल दी।।
