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Naheda Shaheen

Tragedy

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Naheda Shaheen

Tragedy

मुर्दा व्यवस्था

मुर्दा व्यवस्था

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सौरभ एक 20 साल का नौजवान अपने ही ध्यान में मगन कॉलेज के बेंच में बैठा हुआ विकास के बारे में सोच रहा था
विकास 18 साल का खूबसूरत नौजवान महत्वाकांक्षी और मेहनती अपने माता-पिता का इकलौता औलाद मन में अनगिनत सपना बचपन से माता-पिता ने उसके रुझान को देखकर उसे वॉलीबॉल खेलने के लिए उत्साहित किया विकास हर रोज के नियम के मुताबिक पहले मामूली कसरत करके फिर अपने पढ़ाई देखा उसके बाद वह कॉलेज जाता है कॉलेज से आकर वह स्टेडियम चला जाता अपने वॉलीबॉल की प्रेक्टिस करने के लिए अनेक पुरस्कार और अनेक प्रशंसा के बावजूद भी उसका लक्ष्य था नेशनल टीम में खेलने का और उसका यह लक्ष्य बहुत जल्द पूरा होने वाला था एक दिन विकास ने अपने मित्रों से कहा देख लेना मैं एक दिन विश्व में नाम करूंगा भारत का परचम  लहराऊंगा सभी मित्रों ने इसका स्वागत किया ऐसे ही खुशहाल जिंदगी थी विकास की
हर रोज की तरह विकास अपना दिनचर्या पूरा करके कॉलेज पहुंचता है और फिर कॉलेज के कैंपस में ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर वह वॉलीबॉल का प्रेक्टिस करना शुरू करता है अचानक एक दुर्घटना होती है वॉलीबॉल का स्टैंड विकास और उसके दोस्त के ऊपर गीर पड़ता है इतनी जबरदस्त दुर्घटना दोनों बच्चे वही प्राण त्याग देते हैं और इस तरह एक नौजवान और उसका दोस्त जो जवान की दौर में भारत के लिए खूबसूरत सपना देख रहे थे काल के गाल  में समा गए काल का ग्रास बन गए ।सौरभ सोच रहा था आखिर इस बेवजह मृत्यु का जिम्मेदार कौन है किसकी लापरवाही से इन दो युवकों की मौत हुई उसने अपने दिमाग पर जोर डालकर सोचते सोचते उसके समझ में यही आया कि हर क्षेत्र में एक मुख्य होता है और मुख्य इंसान के मातहत होते हैं और वह मुख्य इंसान जिम्मेदार होता है। व्यवस्था को संभालने वाला एक मुखिया होता है जो हर चीज की जिम्मेदारी लेता है। अगर वह स्टैंड पुराना हो गया था जर्जर हालत में था तो इसकी भनक पहले इस ऑफिसर को होनी चाहिए दूसरी बात हर डिपार्टमेंट में हर विभाग में पैसे आते हैं मेंटेनेंस के लिए अगर यह लोग अपने काम पूरी जिम्मेदारी से और पूरे साधुता के साथ कर रहे थे कर रहे होते तो शायद यह दुर्घटना नहीं घटती और दो जवान बच्चे  अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं करते। यही सोचते हुए सौरभ की आंखों में आंसुओं की झड़ी लग गई और वह व्यवस्था को कोसता हुआ अपने रुमाल से अपनी आंखों को पोछता हुआ अपने घर की तरफ निकल पड़ा ।।


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