जीत
जीत
.......
अनीता अपने हाल पर बैठकर अतीत के पन्नों को पलटने लगी किस प्रकार एक अबूसिव पति के चंगुल में रहकर नरक भोकर किस प्रकार एक निहायत जालिम और टॉक्सिक इंसान के साथ कैसे दिन गुजारे यह वह सोचने लगी। अनीता एक निहाल खूबसूरत लड़की थी ,जिसे अपने पिताजी के मौत के बाद अपने भाइयों के इज्जत के खातिर अपने प्रेम का त्याग कर दिया और एक सरकारी कर्मचारी से अरेंज मैरिज कर लिया ।परंतु उसे पता नहीं था कि यह शादी उसके लिए पूरे जीवन भर की बर्बादी लेकर आया की शादी की पहली रात को ही उसके पति ने उसके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया लेकिन अनीता सारी हरकतों को मजबूरी में सहने लगी पति उसे मारता था एक नार्सिसिस्ट पति किस प्रकार यंत्रणा देता है यह तो उसका दिल ही जानता था ।उसको याद करके वह उन दिनों की बेहद दर्दनाक हालात को याद कर रही है। उसका पति सबसे पहले उसके अपने फ्रेंड सर्कल से छुड़वाया ।उसके बाद घर वालों से। अनीता को बिल्कुल तनहा कर दिया ।आर्थिक तौर पर सामाजिक तौर पर। उसे संपूर्ण रूप से कमजोर कर दिया ,और फिर अपनी मनमानी करने लगा बाजार में मेले में सिनेमा हॉल में ट्रेन में जहां भी गुस्सा आता वह उसको पीटने लगता इतनी कष्टदायक जीवन जीने के बाद अचानक जैसे भगवान अनीता के ऊपर मेहरबान हो गया।उसका बदचलन पति किसी अपनी नौकरानी का शारीरिक शोषण करते हुए पकड़ा गया और उसके बाद रिश्ते का अंत हो गया।
यह रिश्ते का अंत होना सच में अनीता के लिए एक नए जीवन की शुरुआत थी ।अनीता अब बहुत खुश है। आर्थिक तौर पर और सामाजिक और व्यक्गितगत्त तौर पर ।क्योंकि अब उसे सार्वजनिक स्थान पर मारने वाला उसके आत्मविश्वास को डीगाने वाला उसके स्वाभिमान को रौंदने वाला अब उसके जीवन में नहीं था। यह खुशी यह स्वाभिमान उसकी जीत थी और समाज की हार।।
