Naheda Shaheen

Inspirational

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Naheda Shaheen

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मौसी

मौसी

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मैंने मौसी जी को बचपन से देखा है, और मेरे देखते में मौसी कभी रंगीन कपड़ा नहीं पहनी। मौसी एक विधवा औरत जो हमारे मोहल्ले में अपने दो बच्चों के साथ रहती हैं और विधवा होने के वजह से वह अपने भाई के पास एक छोटा सा घर बनाकर रह रही हैं।

मुझे याद नहीं कि कभी मैंने मौसी को हंसते हुए खिलखिलाते हुए देखा हो ।वह हमेशा कर्मयोगी की भांति अपने घर के काम करती थी ,और अपने घर में ही छोटा सा दुकान खोल रखा था जिससे कि उनका परिवार चल सके पास में भैया और भाभी थे ।भाई की सारी सहानुभूति अपनी बहन के प्रति थी परंतु भाभी एक आंख नहीं भाती थी वह हमेशा उस पर चढ़ती उसे ऐसा लगता कि सच में जैसे मौसी जी उन पर बोझ हैं दिन बीत गया मौसी जी बड़ी गरीबी में अपने बच्चों को बड़ा किया एक दिन मौसी बड़े अरमानों से अपने बड़े बेटे की शादी कर दी शादी के बाद उसे ऐसा लगा था कि उसके जीवन में अब बस खुशियां ही खुशियां आएंगी परंतु हुआ इसके विपरीत बहू बहू के रूप में नेहा बदतमीज यहूदी घमंडी लड़की ने उनके घर प्रवेश किया और उनके घर का बाकी बचा कुचा सुकून भी वह खत्म कर दी अब मौसी फिर से दुखी आए दिन सास बहू के अंदर झगड़े होते थे देखते-देखते सास बहू के झगड़े में उनके बड़े बेटे हैं दिल पर ऐसी लगा ली की उनकी दोनों किडनी खराब होकर वह भगवान प्यारे हो चले यह एक और सदमा था मौसी जी के जीते जी उनके सामने उनके बड़े बेटे की मृत्यु हो जाना मौसी जी ने इस जहर को भी पी लिया फिर वक्त ने करवट बदला छोटे बेटे ने मां के लिए बहुत अच्छा घर बनाया मां को सारे सुविधा और आदर के साथ रखा परंतु भगवान को क्या मनसूर था जब मौसी जी का खाने का मन था तो उस वक्त उसके पास खाने को नहीं था और जब ख।न। आया तब मौसी जी बदहजमी की शिकार हो चुकी थी उनका हजम करने का शक्ति कम हो गया शायद उड़ाते के वजह से मौसी जी अपने पुराने घर से निकलकर छोटे बेटे के बनाए हुए नए घर में चली तो गई लेकिन उनकी आत्मा और उनका मन पुराने घर में ही रहता था वह बहुत नाखुश थी इसी प्रकार जब अपने मोहल्ले के लोगों को वह देख लेती थी तो बड़ी खुश हो जाती थी अपने पास बुलाती थी ऐसा लगता था कि सच में जैसे उनके मायके का कोई लोग उनके पास आ गया है ऐसे ही दिन बीते गए और 1 दिन अचानक खबर आई कि मौसी जी नहीं रही बस इस खबर से दिल दिमाग हिल गया।

,,"मम्मी खाने को दीजिए, अचानक जब बेटी की आवाज मेरे कानों पर पड़ी तो मैं अतीत से निकलकर वर्तमान में आ गई।


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