खामोश
खामोश
राशिद आज खामोश हो गया।
आमना सोचने लगी, अतीत की बातों में खोने लगी राशिद एक होनहार बालक देखने में खूबसूरत जहीन और मिलनसार उसने अपने व्यवहार से पूरे मोहल्ले में एक परिवार सा माहौल बनाया था हर कोई दुख में या सुख में हमेशा राशि का नाम लेता था और राशिद बिना शर्त सबकी सहायता करता था।
राशिद के बारे में एक सच यह भी था कि वह बचपन से अपने पापा के जुल्म को देखा अपनी माता के आंसू देखा था, बहन भाइयों की तकलीफ देखी थी, उसके पिता ने उसकी माता के रहते दूसरी शादी कर ली और यहीं से राशिद के मन में दूसरी माता तथा अपने पिता के लिए मन में एक धना का भाव जन्म लिया। अचानक उसके पापा की मृत्यु हो गई अब क्या करता दोनों माताओं के बच्चे मिलकर नौ अब उसके सामने सिर्फ 10 लोगों के खाने और रहने की व्यवस्था का भार पड़ गया, उसने अपने परिवार को भूख से बचाने के लिए बहुत मेहनत किया अपने भाई बहनों को उसने पढ़ाया लिखाया शादियां की कम उम्र में भारी जिम्मेदारी के चलते राशिद के दोनों किडनी यानी के गुर्दे खराब हो गए, राशिद अब कुछ सालों का मेहमान था, हंसता मुस्कुराता राशिद अब खामोश हो गया था।