और वो मर गई
और वो मर गई
कविता काम करते-करते सोचती जा रही थी। जीवन के उतार और चढ़ाव के बारे में। वह याद कर रही थी किस प्रकार निकिता अकाल मौत के गोद में सो गई ।
वह अतीत के सागर में तैरने लगी,
निकिता बेहद सुंदर 17 साल की नाबालिक लड़की मां और बाप की लाडली इसी उम्र में उसकी शादी हो गई, और देखते-देखते वह दो बच्चों की मां बन गई। बात यहीं खत्म नहीं होती उसकी शादी जिस व्यक्ति से हुई थी वह एक मानसिक रोगी था। निकिता को वह हर प्रकार कष्ट देता था ।शक करता था। उसे गालियां देता था, वह चरित्रहीन था इतनी सारी पीड़ा झेलने के बाद भी घरवाले और समाज की समझ निकिता को बहुत अच्छी तरीके से थी ।उसने अपने पति के साथ कभी एक सुखी जीवन नहीं जिया उसने अपने पति को और उसके पूरे परिवार को अपना माना। उसने पूरी कोशिश के साथ वहां रहना चाहा परंतु उसके पति के व्यवहार के चलते उसके सास ससुर ने उसे अपने से अलग करके दूसरे घर में रहने को भेज दिया । नियति को यही मंजूर था अकेले घर में उस व्यक्ति ने नीलिमा का शारीरिक मानसिक शोषण किया और इस प्रकार किया कि निकिता आधी पागल हो गई देखते-देखते निकिता अपने होशो हवास खोने लगी और बिस्तर पर पड़ गई। मानसिक अस्थिरता और अस्वस्थता के चलते निकिता डिप्रेशन की शिकार होकर रह गई, धीरे-धीरे निकिता का खाना और चलना फिरना बंद हो गया खाट पर पड़े पड़े उसके बदन में घाव हो गए, यह वही निकिता थी जो तितली के जैसी उड़ती थी जो पंछी के जैसी चहचहाती थी। जब उसके पति ने उस पर अत्याचार शुरू किया तो वह मायके आकर रहने लगी, परंतु मायके में आते हुए हर रिश्तेदार उसे यही समझाया कि स्त्री का आखरी पड़ाव उसके पति का घर ही होता है। सिर्फ इसी कारण उसने अपने पति के साथ रहने का निश्चय किया इस निश्चय के पीछे एक इच्छा भी थी कि मुझे समाज के सामने अपमानित नहीं होना है। मुझे समाज के सामने परित्यक्ता नहीं कहलाना है ।अफसोस देखते-देखते निकिता के प्राण पखेरू उड़ गए सब कुछ खत्म हो गया और आखिर में वह मर गई।