अंतरद्वंद
अंतरद्वंद
कविता गहरे विचारों में डूबी हुई है उसे समझ नहीं आ रहा है की अपनी कहानी का शीर्षक क्या रखें और उस कहानी का अंत क्या हो?
कविता एक सुशील और कोमल हृदय की सीधी-सादी महिला प्रेम में डूबी हुई ।
अचानक कविता को पता चलता है जिससे वह प्रेम करती है नैसर्गिक रूप से उस व्यक्ति से कोई और महिला बहुत ज्यादा प्रेम करती है।
कविता के मन मस्तिष्क में हलचल मच गई उसे गहरा अपराध बोध होने लगा। उसे लगने लगा कि अनजाने तो उससे कोई पाप नहीं हो रहा है इसी कशमकश में कविता अशांत हो गई। अंतर्मुखी स्वभाव की कविता जिस व्यक्ति से प्रेम करती है वह व्यक्ति कोई साधारण मनुष्य नहीं असाधारण व्यक्तित्व का जिम्मेदार इंसान है वह कविता को पता है उसे उस व्यक्ति से मान-सम्मान प्रेम सब मिलेगा परंतु कहीं गहराई में मन के अंदर के समुद्र में एक हलचल मच गई कहीं उससे कोई गलती तो नहीं हो रही है कहीं वह कोई पाप तो नहीं कर रही दो लोगों के बीच में आकर कहीं वह कोई गुनाह तो नहीं कर रही है इसी अंतर्द्वंद्व में कविता अशांत होकर पूरी रात बैठ कर गुजार दी।
इस कहानी के तीन पात्र तीनों प्रेमी परंतु बहुत अजीब स्थिति पता नहीं इस कहानी का अंत क्या होगा परंतु इतना पता है अंत भला तो सब भला।