पेड़ और हम
पेड़ और हम
सादा जीवन उच्च विचार ! इस बात को अमल करने वाले मेरे पति सरकारी नौकरी में कार्यरत है। जिनका हमेशा से सोचना यह रहा है आप सदैव ऐसा कार्य करो कि जिससे दूसरों को कोई नुकसान ना हो और किसी का मन ना दुखे।
हमारी सोसाइटी के बाहर एक एनजीओ ने बहुत सारे पेड़ लगाए हैं। पर उसके बाद उन्होंने वहां कभी मुड़कर नहीं देखा। सभी सोसाइटी वाले उच्च पद पर कार्यरत हैं इसलिए उन पेड़ों को पानी देने में उन्हें शर्म आती है। वहीं पर मेरे पति प्रकृति प्रेमी है इसलिए उन्होंने उन पेड़ों को पानी देना अपनी जिम्मेदारी बना लिया है। रोज शाम को ऑफिस से आने के बाद उन पेड़ों को पानी देने जाते हैं। इस बात पर कई लोग उनका मजाक भी बनाते हैं पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण मेरे पति का ऐसा सोचना है यदि कोई आसपास का काम हो तो हम साइकिल से जाकर भी उसे पूरा कर सकते हैं। इसलिए आसपास के छोटे-मोटे काम मेरे पति इस प्रकार ही करते हैं। पर इस वजह से उन्हें कंजूस समझा जाता है बल्कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
मेरे पति के एक सोसाइटी के मित्र हैं जो इन दोनों बातों को लेकर हमेशा उनका मजाक उड़ाते थे। क्योंकि वह मेरे पति के मित्र हैं इसलिए मेरे पति ने उनकी बात का कभी बुरा नहीं माना।
एक बार उनकी मित्र को किसी काम से बेंगलुरु जाना पड़ा। बेंगलुरु एक व्यस्त शहर है जहां पर किसी को किसी के लिए समय नहीं है ।वाहन व्यवहार के चलते वहां पर काफी वायु प्रदूषण है। उनके मित्र अस्थमा से पीड़ित है इसलिए उन्हें यह सब सहन नहीं होता है। 15 दिन के लिए उन्हें बेंगलुरु में काम था पर वहां पर प्रदूषण होने के कारण अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उन्हें अपना काम अधूरा छोड़ कर वापस आना पड़ा। यहां आकर उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाया और 2 दिन में ही वह काफी स्वस्थ हो गए। क्योंकि हमारे यहां का वातावरण काफी शुद्ध है उन पेड़ों की वजह से बड़े हो चुके हैं जी मैं मेरे पति रोज पानी दिया करते है। मेरे पति की मित्र मैं जब अपने आसपास के वातावरण की तुलना करें तो उन्हें यहां स्वच्छ हवा महसूस हुई। उन्हें यह बात समझ में आ गई इन पेड़ों को पानी नहीं दिया होता तो यह पेड़ नष्ट हो जातेऔर यहां का हाल आज कुछ अलग ही होता।
अब ठीक होने के बाद वह भी मेरे पति के साथ मिलकर आसपास के सभी पेड़ों में पानी देते आज शाम के छोटे-मोटे काम साइकिल पर करते हैं। हमें खुशी है वह भी पर्यावरण की सुरक्षा तरफ जागरूक हो गये। पर उससे अधिक खुशी जब होगी जब हमारा पूरा देश यह बात समझ पाएगा।