आखिर प्यार मिल गया
आखिर प्यार मिल गया
हिना .....हिना कितनी देर छत पर रहोगी बेटा! अब नीचे भी आ जाओ। हिना की मां उसे आवाज मार रही थी, वह काफी देर से छत पर गई हुई थी। अपनी सहेलियों के साथ के खेलने। घर के तीनों बच्चों में हिना सबसे बड़ी थी। वह एक खुशमिजाज पढ़ने में होशियार लड़की थी। वह छोटे भाई बहनों को हमेशा पढ़ाई में मदद करती थी हमेशा सबसे सम्मान पूर्वक बात करती और सब के साथ जल्दी घुलमिल जाती है। इसलिए उसे सभी बहुत पसंद करते थे।देखते देखते हिना 12वीं कक्षा में आ गई। अभी उसकी अभी की परीक्षा खत्म ही हुई थी उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसके पिताजी को दिल का दौरा पड़ा। लाख कोशिश करने के बावजूद भी डॉक्टर उन्हेंं बचा नहीं सके।
उस के पिताजी एक निजी विद्यालय में शिक्षक थे। अपने जीवन काल में वह अधिक पूंजी जमा नहीं कर पाए। पर उन्होंने अपने बच्चे को हमेशा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। पिताजी की मृत्यु के बाद थोड़े दिनों तक उनकी जमा पूंजी से घर चला। धीमे- धीमे वह अब खत्म हो चली थी।परिवार वालों के सामने विकट समस्या आ खड़ी थी।अब कॉलेज जाने के साथ-साथ हिना ने घर चलाने के लिए कुछ ट्यूशन पढ़ाने भी शुरू कर दिए। थोड़े ही दिनों में उसके पास बहुत बच्चे हो गए।जिससे उनका घर आसानी से चल रहा था। कॉलेज के 3 वर्ष पूरा होने के बाद हिना ने एक विदेशी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। वहां पर उसकी तनख्वाह बहुत अच्छी थी। उसे उसकी बहन भाइयों की पढ़ाई व घर खर्च अच्छे से चल रहा था।
सब कुछ बड़े आराम से चल रहा था।हिना के ऑफिस में उसका बॉस एक जवान और मेहनती लड़का रजत था। हिना की सादगी व उसकी काम के प्रति निष्ठा देखकर वह उसे पसंद करने लगा। पर वह हिना को अपने दिल की बात कहने में हमेशा शर्माता था। हिना के साथ में मिलकर उसे काम करना पसंद आता। हिना भी उसके प्रति कुछ- कुछ महसूस करने लगी थी। पर क्या करें वह तो जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई थी।देखते-देखते इसी प्रकार कई दिन बीत गए। एक दिन मौका देख कर रजत ने हिना को कॉफी पीने चलने के लिए कहा। हिना ने हां कर दी। बस क्या था रजत को मौका मिल गया और उसने वहां पर हिना के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया। यह सुनते ही हिना वहां से उठ कर चली गई। रजत को समझ में नहीं आया कि क्या हुआ कि शायद वह बुरा मान गई है।अगले दिन जब हिना ऑफिस में आई तो उसने रजत को अनदेखा करना शुरू कर दिया ताकि उसे कोई जवाब ना देना पड़े। पर दो-चार दिन बाद रजत ने मौका देख कर हिना से पूछ लिया कि उसे क्या हुआ है?हिना ने कहा, प्यार तो मैं भी तुमसे करती हूं पर शादी नहीं कर सकती। मेरे ऊपर घर की सब जिम्मेदारियां हैं मेरी छोटी बहन भाइयों को पढ़ाना है। मां का ध्यान रखना मेरा कर्तव्य ही है। बताओ मैं क्या करूं?यह सुनकर रजत कुछ सोच में पड़ गया थोड़ी देर चुप रह कर जवाब दिया, हिना मुझे तुम्हारी जिम्मेदारियों को निभाने से कोई आपत्ति नहीं।
मैं जिंदगी भर तुम्हारा इंतजार करने के लिए तैयार हूं। तुम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर लो हम उसके बाद शादी करेंगे। यह सुनकर हिना को बहुत अच्छा लगा पर वह नहीं चाहती थी कि रजत उसकी वजह से अपनी जिंदगी बर्बाद करें। उसने रजत को कहा, कि तुम क्या कह रहे हो? सालों तक तुम मेरा इंतजार करोगे? तुम कहीं और शादी कर लो। रजत ने जवाब दिया, क्या सारे महान काम करने की जिम्मेदारी तुमने ही ले रखी है थोड़ा मुझे भी कुछ करने दो अपने प्यार को पाने के लिए इतना तो कर ही सकता है। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा। यहां से दोनों में दोस्ती की शुरुआत हो गई। धीरे -धीरे रजत ने हिना के घर आना जाना शुरू कर दिया। कभी-कभी वह उनके कामों में भी मदद कर देता। हिना की मां को रजत बहुत अच्छा लगने लगा उसने कई बार हिना को कहा कि वह उससे शादी कर ले। पर हिना का हमेशा एक ही जवाब था ,मां अभी नहीं। समय बीतता गया। 7 साल बीत गए। हिना का भाई अब अपने पैरों पर खड़ा हो गया और उसकी छोटी बहन की भी आज शादी हो रही है।वहां पर रजत भी अपने परिवार वालों के साथ मौजूद है।चारों ओर से शोर शराबा, बैंड बाजे की आवाज आ रही है। दुल्हन स्टेज पर आ चुका है। दुल्हन सामने से वरमाला ले कर आ रही है। वरमाला का कार्यक्रम भी हो गया। अचानक पता नहीं रजत को क्या हुआ उठकर स्टेज पर चला गया। उसने माइक ले लिया और सामने खड़े हिना की तरफ देखकर बोला, क्या तुम मुझसे शादी करोगी हिना। यह देखकर हिना दंग रह गई मैं कुछ बोल ना सके। पास में खड़े सब रिश्तेदार व हीना की मां ने भी कहा हां कर दी, हां कर दे ,हिना हां कर दे। यह सुनकर हिना से ना रहा गया और वह दौड़ कर स्टेज पर गई। रजत के हाथ से माइक लेकर उसने कहा हां ,हां हां। यह सुनकर सबकी खुशी का ठिकाना ना रहा। उसी मंडप में इन दोनों की भी शादी करवा दी। बरसों की इंतजार बाद रजत और हिना को आखिर सच्चा प्यार मिल ही गया।