जूते
जूते
सोनू अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। बड़े लाड प्यार से पाला हुआ उसकी हर मांग बोलने से पहले पूरी हो जाती थी। उसे नए -नए जूते पहनने का बहुत शौक था और वह अपने जूते किसी को भी देना पसंद नहीं करता था। नए जूते खरीदने में उसे अलग ही आनंद मिलता था। एक बार सोनू जब स्कूल से आ रहा था तो उसने काम करते हुए कुछ मजदूरों को देखा । उसमें एक छोटा मजदूर बच्चा भी था। चिलचिलाती धूप में प्लास्टिक की पुरानी बोतलों की बनाई चप्पल पहन कर काम कर रहा था। यह देख कर सोनू को बहुत खराब लगा। घर जाकर बच्चे के बारे में ही सोचता रहा अगले दिन स्कूल के लिए निकला साथ ही अपने एक जोड़ी जूते लेकर गया उसने स्कूल जाते-जाते वह जूते उस मजदूर बच्चे को दे दिए। स्कूल से घर वापस लौटते समय सोनू ने देखा कि वह बच्चा जूते पहन कर बड़ा ही खुश नजर आ रहा है। यह देख कर सोनू को बड़ा ही आनंद मिला। नए जूते खरीदने से भी ज्यादा।