रंग - रूप
रंग - रूप


मां, मैं ऑफिस के लिए जा रही हूं। कहती हुई पूजा जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई। देर से उठने के कारण आज उसे ऑफिस के लिए बहुत देर हो गई थी वह अपने कदम जल्दी-जल्दी बढ़ा रही थी।
न जाने पूजा को क्यों ऐसा लग रहा था कि कोई उसके पीछे-पीछे आ रहा है। कदमों की आहट उसे सुनाई दे रही थी, चलते हुए वह बस स्टॉप तक पहुंच गई मुड़कर उसने देखा एक व्यक्ति जिसका रंग काला और नाक बड़ी सी है, उसके पीछे की तरफ से आ रहा है उसे देख कर बहुत नफरत सी उठी, उसने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।
आज पूजा का मन ऑफ़िस के काम में नहीं लग रहा था। वह काला आदमी बार-बार याद आ रहा था उसके बारे में सोच- सोच कर घिन्न महसूस हो रही थी।
पूजा एक दुबली- पतली, गोरे रंग की सुंदर सी लड़की थी। जिसे अपने रूप का बहुत घमंड था। वह हमेशा काले और बदसूरत लोगों को खराब समझती थी। आज भी उसके साथ ऐसा ही हुआ था।
अब अक्सर पूजा जब भी ऑफ़िस के निकलती उसे वह आदमी उसके पीछे आता हुआ दिखाई देता।
जैसे -जैसे दिन बीत रहे थे ऐसे ऐसी पूजा की नफरत उस आदमी के लिए और बढ़ती जा रही थी एक दिन चलते- चलते वो व्यक्ति पूजा के नज़दीक आ गया तो पूजा ने शोर मचा डाला है कि वह उसे छेड़ रहा है। आसपास के लोगों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी पर वह व्यक्ति बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
इस हादसे को कई दिन हो गए अब वह आदमी उसे नहीं दिखाई देता था। वह अपने किए हुए पर बहुत घमंड महसूस कर रही थी।
एक दिन पूजा को ऑफ़िस से निकलते निकलते बहुत देर हो गई रात के 10:00 बज चुके थे। पूजा का ऑफ़िस शहर से थोड़ा दूर था। आसपास का एरिया सुनसान था। रात को बस स्टॉप पर इक्का-दुक्का व्यक्ति दिखाई देता था। उस दिन इत्तेफाकन बस स्टॉप की लाइट भी नहीं चल रही थी पूजा अंदर से बहुत घबरा रही थी।
इतने में ना जाने कहां से चार-पांच लड़के आ गए। पहले तो उन्होंने पूजा को देखकर भद्दे व्यंग्य करना शुरू किया। बाद में वह धीरे-धीरे पूजा की नज़दीक आकर खड़े हो गए। उतनी देर में उनमें से एक ने पूजा की पीठ पर हाथ रख दिया। पूजा डर के मारे ज़ोर से चिल्लाई। इतने में वहां पर वही काला व्यक्ति आ गया जिसे पूजा ने पिटवाया था उसने उन लोगों को समझाया कि वह वहां से चले जाएं। समझाने पर भी वह नहीं माने और हाथापाई पर उतर आए। अपनी हिम्मत और बहादुरी के साथ उस व्यक्ति ने उन्हीं वहां से भगा दिया।
आज पूजा को अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। रंग रूप को लेकर पूजा के मन में जो भेदभाव था वह हमेशा के लिए मिट गया था और वह काला व्यक्ति भी वहां से जा चुका था। आज पूजा उसे धन्यवाद बोलना चाह रही थी।