हौसला
हौसला
दसवीं कक्षा में पढ़ने वाला विजय बहुत ही होनहार बच्चा था। एक अकस्मात में उसे अपनी दोनों टांगे गुमा दी। इस दुर्घटना के बाद में बहुत ही निराश हो गया। एक दिन चारपाई पर लेटा हुआ वो अपनी किस्मत को कोस रहा था कि उसने अपने छोटे भाई को एक कविता की पंक्तियां गुनगुनाते हुए सुना। वह पंक्तियां कुछ इस प्रकार थी "
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती"।
इन पंक्तियों को सुनकर विजय के अंदर न जाने कहां से हिम्मत आ गई और उसने अपना हौसला इकट्ठा किया और पढ़ाई शुरू कर दी इसके बाद विजय ने अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय मैं आई.ए.एस की परीक्षा दी और वह पास हो गया। अपने हौसले के कारण विजय ने वह हासिल कर दिखाया जो सामान्य लोगों के लिए भी बहुत मुश्किल काम है।