Kunda Shamkuwar

Tragedy abstract others

4.5  

Kunda Shamkuwar

Tragedy abstract others

नम आँखों वाली हँसी

नम आँखों वाली हँसी

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बहुत दिनों से हम दोनों की बात नही हुयी तो मुझे लगा कि उससे मिल लेते हैं... झट से तैयार होकर गाड़ी निकाल कर मैं उसके घर पहुँच भी गयी...मुझे ड्रॉइंग रूम में बिठाकर चाय लेकर आती हूँ कहते हुए वह किचन में अंदर गयी।

अनायास मेरी निगाहें ड्रॉइंग रूम फिरने लगी। घर की सजावट बेहद करीने से की गयी थी। सामने लगी बड़ी सी फैमिली फ़ोटो में उन सबकी हँसी एक परफेक्ट और खुशहाल फैमिली की पिक्चर पेंट कर रही थी।

थोड़ी ही देर में चाय और नमकीन के साथ हमारी बातें शुरू हो गयी। बातों के बीच फैमिली फ़ोटो की ओर देखते हुए मैंने उससे कहा, "गोपाल जी की चॉइस बहुत अच्छी है।" मेरा इशारा उसकी तरफ था। 

वह हँसते हुए कहने लगी, "सही कह रही हो तुम, गोपाल जी की चॉइस बहुत अच्छी है...मैं शादी के नेक्स्ट डे ही इस बात को जान गयी थी... गोपाल जी कॉलेज की किसी दूसरी लड़की को चाहते थे...मैं दरअसल उनकी माँ की पसंद थी..."

मेरे निगाहों से उसकी नम आँखे छिप न सकी...शायद नम आँखों से वह उस फैमिली फोटो को ही देख रही थी....

फौरन ही वह हँसते हुए कहने लगी, "यह भी सच है कि मर्द उस नापसंद औरत को अपनी जिंदगी में शामिल करने का अहसान हर वक़्त जताता रहता है....." 

शायद मैं भी जिंदगी भर उनके अहसान के बोझ तले दबी रही क्योंकि मेरे पास कोई ऑप्शन नही था। एक गरीब माँ बाप की सबसे बड़ी लड़की डिवोर्स कैसे ले सकती थी? सब भाई बहनों में बड़ी होने के कारण मुझे उनके मुस्तकबिल का ख़याल जो रखना था...." यह कहते हुए उसने चाय का घूँट लिया। 

"ओहो, चाय भी ठंडी हो गयी। कहते हुए वह फिर हँस पड़ी....

मैंने भी उसकी हँसी में साथ दिया....

आज मुझे महसुस हुआ कि हँसी हँसी में औरतें कुछ बातों पर कितनी आसानी से पर्दा डाल देती है....



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