Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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नई भाबियाॅं विनीता और संगीता

नई भाबियाॅं विनीता और संगीता

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"संगीता जी, तुम्हारे जंगी जी कहां गए? घर में तो शायद है नहीं।लगता है मारपीट के लिए भेजा तुमने।"-संगीता की पड़ोसन विनीता ने डोर बेल बजाने पर दरवाजा खोलने के लिए आई संगीता जी को देख कर कहा।


"नहीं तो , विनीता जी आपने कैसे अनुमान लगा लिया एक मेरे पति जगतपाल जी जिन्हें तुम जंगी जी कहती हो वे घर पर नहीं है। चलो यह बात तो हम समझ गए कि तुम उन्हें जंगी जी इसलिए कहती हो क्योंकि वे भी 'भाबी जी घर पर हैं' सीरियल की अनीता जी के हसबैंड विभूति नारायण मिश्रा की तरह कोई काम धंधा नहीं करते और घरेलू कामों में मेरी मेरा हाथ बंटाते हैं। हमेशा की तरह मैं आपको एक बार फिर से यह भी याद दिला दूं कि मैं उन्हें प्यार से जग्गी कहती हूं जंगी नहीं। विनीता जी आपकी जानकारी के लिए मैं आपको बता दूं कि बाजार को अंग्रेजी में मार्केट कहते हैं मारपीट नहीं कहते। इस तरह की कि गलत अंग्रेजी बोलकर आप भी पूरी तरह से उसी सीरियल की अंगूरी जी की तरह ही हो जाती हो।"- संगीता जी विनीता जी को कुछ जानकारी देते हुए उनसे प्रश्न भी पूछ लिया।


"एकदम सही पकड़े हैं ,संगीता जी। घंटी बजाने पर हमेशा वे ही तो दरवाजा खोलने आते हैं। आज आप आई हैं इससे हमरे मन में यह बात पक्की हो गई वे घर पर नाहीं हैं। हमरा जे अनुमान सही है ना।"-विनीता जी संगीता जी की तरफ देख कर मुस्कुराती हुई बोलीं।


"विनीता जी आपने जिस तरह के सहारे अनुमान लगाया वह आपका तर्क बिल्कुल सही है लेकिन आज आपने जो अनुमान है वह ठीक नहीं है। आज मुझे ड्यूटी के लिए अभी निकलना है। रात में जोगी ने मेरी वह साड़ी प्रेस नहीं की जो आज मैंने पहनकर जाना था। उसने दूसरी साड़ी प्रेस कर दी थी इसलिए मैं उससे कहा कि फटाफट यह वाली साड़ी प्रेस दे।मुझे इसे पहन कर जाना है। इस समय वह वही साड़ी प्रेस कर रहा है इसलिए दरवाजा उसकी बजाय मैं खोलने के लिए आ गई। आइए आइए बैठिए अब तो दरवाजे पर ही खड़ी हो गईं।"- संगीता जी ने विनीता जी को अंदर आकर बैठने का इशारा करते हुए कहा।


विनीता जी अंदर आकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गईं। उनके बगल में बैठते हुए संगीता जी ने आवाज लगाई।


"जग्गी ,साड़ी प्रेस करके फटाफट दो कप कॉफी ले आना विनीता जी आई हैं।"-उन्होंने कुछ ऊंची आवाज में उन्होंने अपने पतिदेव से कहा।


इसके बाद उन्होंनेे विनीता जी से पूछा -"और सुनाइए क्या हाल चाल हैं आपके? और क्या हाल हैं हमारे लाला सुखपाल जी के?"


"गलत बात है संगीता जी, लालाजी मेरे और सिर्फ मेरे हैं ।हमारे बिल्कुल मत कहो। तुम अपने से उनका नाम कभी ना ही जोड़ो। तुमरा और उनका कोई लेना देना नाहीं।हम सुद्ध देसी औरत हैं। इसलिए अपने हाउस बैंड का नाम नाम कभी नाहीं लेत हैं।"-विनीता जी संगीता जी से बोलीं।


कुछ पल भी बीते ना होंगे कि जगतपाल जी अर्थात संगीता के जग्गी जी और विनीता जी के जंगी जी दो गिलासों में पानी लेकर भागते हुए से आए और विनीताजी की ओर देख कर मुस्कुराते हुए बोले -"नमस्ते भाभी जी ' कैसी हैं आप और कहां है वह आपका लुल्ल जी, सॉरी -सॉरी ,लालाजी ।लीजिए ,जल ग्रहण कीजिए।"


"हम ठीक बा ,और देखो जंगी जी तुमरी जे बात गलत है।हमरे लालाजी के बारे में ऐसी बात कभी मत बोलना। नहीं तो हम तुमसे नाराज हो जाएंगे।"-नेताजी थोड़ा नाराज होते हुए बोलीं।


संगीता जी की तरेरती हुई आंखें देखकर जगतपाल जी सकपका गये और यह कहते हुए उससे भी ज्यादा तेज कदमों से फिर वापस भागते चले गए जिन तेज कदमों से वे आए थे- " लाया' अभी लाया, बिल्कुल अभी लाया।आप लोगों के लिए काफी लेकर जस्ट अभी आया।"


संगीता जी विनीता जी की ओर मुखातिब होते हुए बोलीं-"ठीक है ठीक है , विनीता जी, मैं तो " वसुधैव कुटुम्बकम्" की सनातन परंपरा और भावना में विश्वास रखती हूं इसलिए सभी को एक ही परिवार का सदस्य मानती हूं। मैंने आपके लालाजी को हमारे लाला जी किस विचारधारा के कारण ही कह दिया। अच्छा एक बात बताइए कि जब आपके लाला जी आपको विनी कह कर आप का नाम लेते हैं तो आप भी उनका नाम क्यों नहीं ले सकती। समाज में स्त्री और पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का अपना-अपना महत्त्व है। यह एक अलग बात है कोई किसी क्षेत्र में ज्यादा काम करता है वह उसी क्षेत्र में ज्यादा जाना जाता है।तो दूसरा किसी दूसरे क्षेत्र में अपनी भूमिका ज्यादा जिम्मेदारी के साथ निभाता है! दोनों की ही उनके अपने अपने क्षेत्र में उनकी भूमिका की कद्र की जानी चाहिए और स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान अधिकार मिलने चाहिए। किसी को भी कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। अब जग्गी सी ऑफिस फैक्ट्री मैं कोई जाब नहीं करता लेकिन वह घर के तो सारे काम पूरी जिम्मेदारी के साथ करता है इसलिए वह भी पूरे सम्मान का अधिकारी है क्योंकि घरेलू काम में उसकी अपनी अहम इंपोर्टेंस है। एक बात और हाउस बैंड नहीं हस्बैंड होता है।"


"एकदम सही पकड़े हैं संगीता जी। जो दूसरी बात है इसके बारे में हमरा कहना है कि नाहीं -नाहीं ,संगीता जी ।अपने पति का नाम लेने का रिवाज ना तो हमरे मायके में है और ना ही हमरी ससुराल में। मायके में हमारी मां हमरे ददुआ का और हमारे ससुराल में हमरी अम्मा जी कभी भी लाला जी के बाबूजी का नाम अपनी जबान पर आज तक कबहूं नहीं लाईं।हमरे यहां इसन कहा जात है कि अपने पति का नाम लेने से उनकी इज्जत घटना लगत है और ऐसा भी माना जाता है इससे पति की उम्र घट जात है।"- विनीता जी ने माताजी को समझाने की कोशिश की।


विनीता जी ने संगीता जी से पूछा-"जिस सीरियल का नाम संगीता जी आपने लिया उसकी बोली भाषा हमरे कानपुर के आसपास इलाके की ही लगत है। जो सीरियल जौन लोगन ने बनाओ है। का वे सब कानपुर के के आसपास के रहन वाले हैं । जे सब कहां बनता है और कैसे बनत है।"


संगीता जी विनीता जी को बताने लगी-"विनीता जी ,'भाबी जी घर पर हैं ' इस सीरियल का पहला एपिसोड सन् 2015 ,के मार्च महीने की दूसरी तारीख को आया था। हंसी खुशी के हल्के फुल्के पल देने वाला यह एक ऐसा सीरियल है जिसे देखकर लोग अपना मनोरंजन करते हैं। आज हम सब में से ज्यादातर लोगों की जिंदगी में इतनी भागदौड़ है। इतना ज्यादा काम नहीं होता है जितना ज्यादा बोझ लोग समझते हैं।कहा गया है कि आदमी काम के बोझ से नहीं काम को बोझ समझने से ज्यादा थकान का अनुभव करता है। काम को बोझ समझने से आदमी का मन काम करने से पहले ही सोच विचार में ही थक जाता है। हंसना तो बड़ी बात है ,काम करते हुए मुस्कुराने के मौके भी कम ही मिलते हैं लेकिन हमारे बीच में ऐसे लोग भी हैं कि वे जो भीकाम करते हैं उसी में अपना सुख ढूंढ लेते हैं। अपने काम को वे हंसी-खुशी के साथ करते हैं जिससे कि न केवल उनका काम में मन लगा रहता है बल्कि काम भी अच्छी तरह से होता है।ऐसे किसी भी तरह के तनाव से वे अक्सर पूरी तरह बचे रहते हैं।"


इतने में जगतपाल जी काफी लेकर आ गये। उन्होंने दो कप कॉफी तैयार करके संगीता जी और विनीता जी को दी। विनीता जी ने संगीता जी और जगतपाल जी को 'थां कू' बोला तो

जगतपाल जी ने उनकी इस गलत अंग्रेजी की जगह 'थैंक् यू ' सही अंग्रेजी की तरफ ध्यान आकर्षित किया तो विनीता जी ने अपने चिर परिचित अंदाज में सही पकड़े हैं कहा और मुस्कुरा दीं। जगतपाल जी की भी वहीं उनके साथ बैठकर बतियाने की भावना को संगीता जी ने ताड़ लिया। उन्होंने आंखों के इशारे से उन्हें अंदर जाने के लिए इंगित किया और बिना कोई समय गंवाए जगतपाल जी अंदर चले गए।


संगीता जी ने विनीता जी को बताया -"विनीता जी ,आपने देखा कि जग्गी कैसे आपकी तरफ देख रहा था और आपके लालाजी भी जग्गी से कोई कम नहीं हैं। वे भी मेरी तरफ बड़ी लोचा ऐसी नजरों से देखते रहते हैं वह तो मैं उन्हें बिल्कुल लिफ्ट नहीं देती। जब मैं उन्हें थोड़ा सा फटकारते हुए कहती हूं तब वह सकपका जाते हैं और इधर उधर की बातें बनाने लगते हैं। शायद आप भी इस बात को या तो नजर अंदाज कर देती हैं या फिर आप इतनी भोली हैं कि आप इसको ध्यान ही नहीं देतीं। ऐसे सीरियल तो केवल मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं। सीरियल में एक काल्पनिक कहानी होती है चूंकि सीरियल बनाने वाला जब उसमें अपना पैसा लगाता है तो आर्थिक लाभ के लिए वह लोगों को हंसाने के लिए उसमें मिर्च मसाला डालता है। कई बार इन सीरियल में ऐसे फूहड़ दृश्य भी आ जाते हैं कि इनको पूरे परिवार के साथ बैठकर देखने में भी शर्म का अनुभव होता है। आज के समय में सोशल मीडिया पर इतनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध है। उसके अनपात में लोगों के पास समझ का अभाव है। लोगों के पास जीवन की आपाधापी में समय बहुत ही कम है। इस समय खास तौर से शहरों में जहां घर-घर में टीवी की ज्यादा पहुंच है ।वहां छोटे-छोटे मकान और न्यूक्लियर अर्थात एकल परिवार हैं ।लोग अपने अपने कामों में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास अपने बच्चों के साथ बात करनी है समझाने का समय नहीं है। कई बार बच्चे इनको देखकर नकारात्मक दिशा में बढ़ने लग जाते हैं। ऐसे में उनके माता-पिता का दायित्व होता है कि वे बच्चे को सही बुरे का ज्ञान कराएं जिससे कि आगे आने वाली पीढ़ी में हमारी अपनी भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव और समाज में ठीक से अपना जीवन यापन करने की क्षमता विकसित हो सके।आज वैश्विक महामारी करोना के समय में हमारी बहुत सारी पुरानी परंपराएं लाभदायक सिद्ध हो रही हैं । अब यह बहुत जरूरी है कि माता-पिता का और बच्चे जिनके संपर्क में रहते हैं जैसे विद्यालय या बच्चों की जो मित्र मंडली है उसमें कुछ बड़े समझदार बच्चे उनका मार्गदर्शन करते रहें। नहीं तो आज स्थिति यह है कि जो हमारी भावी पीढ़ी गलत रास्ते पर जाती हुई प्रतीत होती है ।आए दिन जो चौंकाने वाले समाचार मिलते हैं जो घृणित दुर्घटनाएं हो जाती हैं वे कहीं न कहीं इस आने वाले कठिन समय की झलक प्रस्तुत करती हैं।सभी बड़े समझदार बुद्धिजीवी लोगों का काम ही है कि समाज को सही दिशा दिखाने में अपनी भूमिका अदा करें।


इतने में जगतपाल जी काॅफी के कप और ट्रे वापस लेने के लिए आ गये । विनीता जी ने जगतपाल जी की ओर देखते हुए से कहा-" संगीता जी 'जब जंगी जी बाजार जाएं तो मेरे लिए हरी धनिया ,हरी मिर्च और टमाटर लेते आएं। मैं यही आपसे कहने आई थी क्योंकि लालाजी दो दिन के लिए शहर से बाहर गए हुए हैं।


विनीता जी संगीता जी को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और अपने घर की ओर चल दीं।


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