नेकनीयती
नेकनीयती
निर्मला जी आज बहुत खुश हैं उनकी स्कूल के बच्चों ने आज अंतर्राज्यीय निबंध, परिचर्चा एवं काव्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। सचमुच आंतरिक खुशी होती है जब हम अपने बच्चों पर मेहनत करते हैं और जब वे आपके मार्गदर्शन में सही राह पकड़ अपनी मंज़िल को पा लेते हैं।
एक समय था जब उन्होंने गांव की इस हायर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्या का पद संभाला था तब महसूस किया कि बच्चों में पढ़ने के प्रति चाव बिल्कुल भी नही था बच्चे घर से जबर्दस्ती स्कूल भेजे जाते थे, उनके मन ने बच्चों के मनोभावों को पढा तब समझ आया कि गांव के इस स्कूल में मन लगाकर पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी है वे तो महज खानापूर्ति हेतु स्कूल आते हैं और जब शिक्षकों में पढ़ाने के प्रति रुचि ना हो तो बच्चों में भी पढाई के प्रति रुचि कैसे जागे।
बस तभी से उन्होंने अपना मिशन बनाया की इस गांव के ज्यादा से ज्यादा बच्चों को वे शिक्षित बनाकर ही छोड़ेंगी, इस हेतु उन्होंने काफी मेहनत भी की, प्रत्येक बच्चे के पालक से मिलकर शिक्षा का महत्व बताया और बच्चों के लिए शिक्षा के नए साधनों को अपना कर ज्यादा रुचिकर बनाया और कंप्यूटर उपलब्ध कराया स्कूल में, अब उन्होंने महसूस किया संख्या बढ़ गई है स्कूल में छात्रों की।
पहले कदम पर ही उन्हें कामयाबी मिली तो उनका उत्साह बढ़ता गया। उनके उठाये इस कदम से शिक्षकों में भी जोश आया, स्कूल का माहौल बदल गया।
बच्चे अब पढाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी होशियार हो चले थे। आज जब बच्चे अपना पुरुस्कार ले अन्य शिक्षकों के साथ लौटे हैं तो उन्होनें सबको अश्रुपूरित नेत्रों से बधाई दी तब बच्चों ने कहा "मैडम जी असली पुरुस्कार की हकदार तो आप हैं।
कभी भी ताली एक हाथ से नहीं बजती, आप यदि हमारी स्कूल में ना आते तो हम न जाने कहाँ होते आपके द्वारा किये हुए प्रयासों से आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं आपका हम किन शब्दों में धन्यवाद करें।" तभी स्कूल के अन्य शिक्षक शर्मा जी ने भी निर्मला जी से कहा "मैडम ये आपकी नेकनीयती का परिणाम है, जिससे आज स्कूल और हम सब इस स्थान पर पहुँचे हैं, हम सब आपके आभारी हैं।
निर्मला जी की आँखों में खुशी के आँसू झिलमिला रहे थे शिक्षकों और बच्चों का प्रेम पाकर, आज वे अपने मकसद में सफल जो हो गई थीं।