खुद से प्यार हो गया
खुद से प्यार हो गया
इंसान को खुद से प्यार कब होता है , जब वह दूसरों की सारी गलतियों को माफ कर अपने आपको हल्का महसूस करे , जब दूसरों की सहायता करे , दूसरों के प्रति समभाव रखे तो उसका मन स्वमेव हल्का महसूस करता है और तब उसे अपने आप से भी प्यार हो जाता है । प्यार दिखाने की चीज नहीं यह अंदरूनी अहसास है ।इस अहसास को एक कहानी के द्वारा हम समझ सकते हैं ।
बहुत सी छोटी छोटी बातें जीवन के मायने समझा जाती हैं । एक बूढ़ी सब्जी वाली अक्सर हमारे मोहल्ले में सब्जी बेचने आती , मौसमी फल और ताज़ी सब्जियां बेचती थी जब भी मेरे पास आती थक कर बगीचे में बैठ जाती और पानी मांगती मैं उसे कुछ खाने को भी दे देती फिर ढेर सारी सब्जियां लेती और जब पैसे पूछती तो वह उसका हिसाब भी न बता पाती थी तब मैं ही सब सब्जियों का पैसा जोड़ कर उसे पूरा पैसा देती , वह बहुत खुश होती ।
मैं उससे कहती "अम्मा ऐसे में तो कोई तुझे ठग लेगा तुम तो हिसाब भी न बता पाती हो "
और वह कहती "हाँ बहुत लोग ऐसे हैं जो नहीं देते पूरा पैसा , कम पैसा देकर ज्यादा सब्जियां ले लेते हैं "
"पर अम्मा तेरी उम्र नहीं सब्जी बेचने की तू अपने बेटे को बोल वह बेच लेगा सब्जी "
"बेटा नहीं है , मर गया , पोता अभी छोटा है , कभी कभी साइकिल पर आ जाता है साथ में सब्जियां लेकर ,पर वह भी तो स्कूल जाता है "
"तू मत निकला कर अम्मा , घर पर रह "
"मजबूरी है बेटा , घर चलाने " उसकी बातें सुनकर बहुत दया आती ।
"और जो तुझे ठगते हैं उसका क्या " मैं कहती ।
"सब नहीं बेटा , उनमें से कुछ तेरे जैसे नेकदिल भी हैं जो पूरा हिसाब कर पैसे देते हैं , इसी विश्वास से तो निकलती हूँ रोज , भगवान पर भरोसा है मुझे ।"
उसकी बातें मेरे दिल पर असर कर गईं । अब सब्जी वाली तो नहीं आती कुछ लोग कहते हैं वो नहीं रही इस दुनिया में । पर लगता है मैंने कुछ अच्छा किया तभी वह यह सब कहती थी यकीन मानिए खुद से प्यार हो गया और एक सबक भी कि, अच्छा करोगे तो हमेशा अच्छा मिलेगा।