Manju Saraf

Inspirational

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Manju Saraf

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दूसरा मौका

दूसरा मौका

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खुशियां बांहे पसारे इंतज़ार कर रही हैं 


जिस तरह सुबह का इंतज़ार सभी को रहता है एक लंबी रात के बाद , नए सूरज की किरणें जीवन में नए रंग और नई खुशियां लेकर आते हैं उसी तरह मुझे भी रहता था लगता था जीवन सिर्फ खुशियाँ बटोरने के लिए है पर क्या मालूम था कि ज़िन्दगी भी अजीब खेल खेलेगी मेरे साथ ।


बचपन से पढाई में होशियार थी तो पापा ने खूब पढ़ाया और मैंने उनका नाम भी रोशन किया यूनिवर्सिटी में अव्वल नम्बर पर आकर ।पापा ने मेरे जीवन में खुशियों का खजाना ला लाकर मेरा पिटारा भर दिया पर क्या पता था कि एक समय ऐसा भी आएगा कि मेरा एक गलत फैसला मेरे जीवन की सारी खुशियाँ ही छीन लेगा ।


हुआ यूं कि मेरी एक अच्छी कंपनी में जॉब लगी मैं तो सोच रही थी कि मेरी किस्मत मेरा लगातार साथ दे रही है पर शायद ऊपर वाले को कुछ और मंजूर था यहीं मेरी मुलाकात रोहित से हुई , स्मार्ट , बढिया कद काठी कोई भी लड़की उस पर मर मिट सकती थी पर उसका दिल मुझ पर आ गया , अक्सर लंच टाइम में हम साथ बैठकर खाना खाते और हमारी बातचीत का सिलसिला जारी रहता और यही मुलाकातें कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला ।


छुट्टी का दिन था रविवार पापा भी घर पर ही थे मैंने आज पापा से बात करने की सोची , दोपहर जब हम खाना खा चुके तो मैंने पापा से कहा कि मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है उन्होंने कहा " जॉब के बारे में " मैंने कहा "नहीं पापा ज़िन्दगी के बारे में " वे चकित से थे कि आज तक बेटी की ज़िंदगी के हर फैसले मैंने किये हैं आज क्या हुआ ।

मैंने उन्हें रोहित के बारे में बताया कि मैं उससे शादी करना चाहती हूँ पापा ने रोहित के बारे में मुझसे सारी जानकारी हासिल की और एक लंबी सांस लेकर पूछा " क्या तुमने फैसला कर लिया है या मुझ पर छोड़ा है "

"पापा मैं रोहित को अच्छे से जान समझ गई हूँ मेरे लिए उससे बेहतर जीवनसाथी और कोई नहीं हो सकता " मैंने कहा ।

"नन्दिनी इसका मतलब यह माना जाए कि तुम निश्चय कर चुकी हो उससे शादी का ।" पापा बोले ।

पापा ने कुछ ऊंच नीच समझाई यह भी कहा कुछ और टाइम उसके साथ बिताओ तब तुम उसे अच्छे से जान पाओगी पर शायद मैं पक्का निश्चय कर चुकी थी शादी का इसीलिए उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया , माँ तो बेबस थीं वे अपनी सोच व्यक्त नहीं कर पाती थीं हम बाप बेटी के बीच । मतलब वो दोनों परिस्थितियों में राजी थी ।पापा ने मेरी पसन्द को स्वीकार कर धूमधाम से शादी की मेरी ।

विवाह के बाद ससुराल आई बहुत सम्पन्न घर था हर चीज से सम्पन्नता झलक रही थी पर कोई चीज की कमी थी तो वह संस्कारो की जो मेरे घर में कूट कूट कर भरी थी यहाँ उसका नितांत अभाव था यह बात कुछ हफ़्तों में ही मुझे पता चल गई ।

इंसान की किस्मत कैसे करवट लेती है ये यहाँ आकर मैंने जाना शादी के एक महीने तो बड़े मजे से बीते पर उसके बाद जब फिर से जॉब पर जाने की बात शुरू हुई तो रोहित ने मुझे मना कर दिया "बेहतर होगा अब तुम घर सम्भालो , बाहर के लोग तुमसे ज्यादा मिले ये मुझे गवारा नहीं " 

"मतलब क्या है तुम्हारा रोहित ,मैंने इतना पढा लिखा क्या घर बैठने के लिए , मैं जॉब नहीं छोडूंगी "

"तुम्हें मेरे साथ रहना है तो जॉब छोड़नी होगी ' रोहित की बात सुन मेरा दिल टूट गया , सारी खुशियाँ सिमट कर रह गईं ।जब बाकी घरवालों को आपत्ति नहीं तो भला उसे क्यों समझ नहीं आई बात ।हर तरह से समझा कर देखा पर कोई नतीजा नहीं निकला ।घर पर मुँह फुला कर बैठी रही पर रोहित पर कोई असर नहीं हुआ ।

कुछ दिन के लिए पापा के घर आ गई । यहाँ भी उदास बुझी बुझी सी , आखिर पापा ने पूछा "कुछ हुआ है क्या बेटा तेरा चेहरा मुरझाया क्यूँ है "

तब मैंने पापा को सारी बात बताई ।पापा ने कहा"छोड़ बेटा रोहित नहीं चाहता तो मत कर जॉब घर में आराम से रह "

"पापा आप उसी साइड मत लीजिए , मेरी पहले बात हो चुकी थी रोहित से अब वह जाने क्यूँ मुकर रहा है अपनी बात से ।"

पापा ने मुझे ही समझाने की कोशिश की पर मेरा गुस्सा भी जायज था ।यहीं से एक दिन ऑफिस गई। तो पता चला कि रोहित ऑफिस में किसी नई लड़की के साथ चक्कर  चल रहा है अब समझ आया कि वह क्यूँ नहीं चाहता कि मैं जॉब करूँ।


खूब लड़ाई हुई हम दोनों की और आआख़िर हमारा रिश्ता टूट गया पापा ने मुझे सहारा दिया और दिलासा देते रहे मैं तो टूट सी गई थी मन ही नही लगता था किसी काम में ।मेरी हालत देख पापा ने यह से ट्रान्सफर ले लिया नई जगह पहुंच सभी खुश थे ।पापा ने मुझे भी नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू करने की सलाह दी ।

एक पब्लिक स्कूल में मुझे जॉब मिल गई और बच्चों को देख मेरा मन बदलने लगा ।पापा ने कहा "तुम्हारी ज़िन्दगी ने खुशियों को समेटने तुम्हे दूसरा मौका दिया है अब इन्हें हाथ से जाने मत देना "

मुझे भी लगा जिसे मुझसे प्यार ही नहीं था उसके पीछे अपनी ज़िन्दगी बर्बाद क्यूँ करुं । इन बच्चों के साथ मुझे बहुत खुशी मिल रही है अब ये मौका मुझे हाथ से नहीं जाने देना है , मेरी खुशियों पर सिर्फ मेरा अधिकार है किसी दूसरे का नहीं ।"

मैं अब बेहद खुश हूँ , समय अभी बीता नही है अभी मुझे अपने हौसलों की उड़ान भरनी है और अब ज़िन्दगी मेरे साथ है ।



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