माँ तुम सपने में आती हो
माँ तुम सपने में आती हो
आज सपने में माँ को देखा, वो मेरे सिर पर हाथ फेर कर मुझसे पूछ रही थीं "कैसी है तू?" मुझे उनकी आँखों में अपने लिए चिंता साफ नजर आ रही थी।
मैं हँसी "कैसी होंगी? देखो एकदम स्वस्थ और खुश, सारी परेशानी अब जीवन से उड़न छू हो चुकी हैं।"
"सच में" वो बहुत खुश हो गईं, बोलीं "फिर मैं चलती हूँ।"
"अरे रुको, कहाँ?" मैं बोली।
"अपने धाम" और वो गायब हो गईं।
एक झटके से मेरी नींद टूटी और मेरी नज़र सामने दीवार पर टँगी माँ की तस्वीर पर जा अटकी।
सुन्दर चेहरा, हल्की मुस्कुराहट, बालों में सफेदी बिल्कुल जीवंत सी।
अचानक तस्वीर से आंखें हटीं और ध्यान गया मैं माँ के कमरे में उन्हीं के पलंग पर थी, ओह्ह सपना था माँ का, माँ तो दो साल पहले ही छोड़ कर चली गई हैं हम सबको।
कोई बीमारी नहीं ना बीपी ना शुगर एकदम स्वस्थ थीं उम्र नब्बे हो गई पर सब कुछ बड़े आराम से खा लेती थी, सुबह पेपर पढ़ना उनकी दिनचर्या में शामिल था। हॉल की कोने वाली चेयर में बैठती थीं घण्टों, छोटे छोटे काम भी कर देती चेयर में बैठे बैठे जैसे सब्जी काटना, कपड़ों को तह लगाना। पर एक दिन अचानक भाई का फ़ोन आया मुझे "माँ कुछ नहीं खा पी रहीं, तू आ जा, तुझे याद कर रही हैं।"
मैं घबराई पति के साथ जा पहुंची, देखा शरीर में सूजन, लगातार बातें करे जा रहीं हैं, बहुत कम बोलने वाली आज इतना बात कर रहीं। डॉक्टरों का हुजूम आया। ग्लूकोज ड्रिप चढ़ी पर शरीर की सारी इंद्रियों ने अब अपने काम से हाथ खींचना शुरू कर दिया, डॉक्टरों ने आश्चर्य से कहा सारे टेस्ट कर के देख लिए कोई भी रोग नहीं। ऐज फेक्टर है अब इनका आखिरी समय आ गया है और वो हम सबको छोड़ चली गईं, सारा घर और सबके मन को सूना कर।
मैं अभी भी उनके पलंग पर लेटी हुई उनकी तस्वीर को निहार रही हूं लग रहा है अभी बोल पड़ेंगी, मुझे उनके स्पर्श का अहसास अभी भी हो रहा। उनकी स्मृति की छाप मन पर अमिट है, उनके साथ की, परिवार की तस्वीर तो दीवारों पर लगी है पर मन उनकी सुन्दर यादों से लबालब है।
खो तो चुकी माँ को पर उनके आशीर्वाद को हरदम महसूस कर सकती हूँ, खोने का गम जिन्होंने खोया है वो अच्छी तरह से जान सकते हैं, खासकर माँ को। माँ के बिन मायका मायका नहीं लगता, जाने का मन नहीं होता। जाओ तो घर के हर कोने में उनकी यादें ही मिलती हैं, बस और कुछ नहीं ।