समझदारी से चलेगी गाड़ी
समझदारी से चलेगी गाड़ी
श्याम जी और उनकी पत्नी गीता ,दो प्राणी हैं बस घर में , बच्चे पढ़ने लिखने मेट्रो सिटीज गए और फिर जॉब मिली तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते विदेश में ही सेटिल हो गए पर श्याम जी व उनकी पत्नी को कभी बच्चों से कोई न नाराज़गी न कोई अतिरिक्त उम्मीद बल्कि वे खुश हैं अपने बच्चों की तरक्की से ।
दो तीन दिन पहले उनके सामने वाले फ्लैट में एक नए दम्पत्ती रहने आये हैं लगता है अभी ही शादी हुई है श्यामजी ने दोनों को घर पर बुलाया है आज खाने , इस बहाने उनसे परिचय भी हो जाएगा ।नियत समय पर दोनों आये , परिचय हुआ ,ज्ञात हुआ दोनों जॉब में हैं , अच्छा लगा उनके बारे में जानकर ।खाने के दौरान श्याम जी पूरे समय अपनी पत्नी की हर कामों में मदद करते रहे , देखकर उस नए दम्पत्ति को बड़ा अजीब लगा "अंकल जी आप तो आंटी की बहुत हेल्प करते हैं मेरे घर मे तो मैं ही काम करते थक जाती हूँ " मिहिका बोली । हाँ, मिहिका ही नाम था उसका ।
"बेटा गृहस्थी की गाड़ी आपसी समझदारी से चलती है , दोनों मिलकर सब काम करोगे तो काम भी जल्दी होगा और दोनों में बहुत प्रेम भी बढ़ेगा ।मैं भी तुम्हारी आंटी के सब कामों में उसका हाथ बंटाता हूँ , इससे उसके काम करने की ऊर्जा भी बढ़ती है और वह खुश भी रहती है ।"
"हाँ बेटा गृहस्थी को चलाना एक गाड़ी के समान है पति और पत्नी उसके दो पहिये हैं , गाड़ी आराम से चलती रहे इसके लिए आपसी सामंजस्य और समझदारी बहुत जरूरी है , यह परस्पर प्रेम भी बढ़ाती है " गीता जी बोली।
अब मिहिका के पति मोहित ने कहा "आपसे आज हमने बहुत अच्छी बात सीखी , और जीवन भर के लिए गांठ भी बांध ली यह हमारी भी गाड़ी को जीवन भर ऊर्जावान रखेगी आज आपसे हम वादा करते हैं कि हम भी आपसी समझदारी हमेशा बनाये रखेंगे ।"
श्याम जी और उनकी पत्नी गीता बहुत प्रसन्न थे उन बच्चों की बातों में उन्हें अपने बच्चों की झलक दिख रही थी ।