जीवन का यह सफर सरल, सफल और सुगम हो जाता हैं। जीवन का यह सफर सरल, सफल और सुगम हो जाता हैं।
पर ये सच है बच्चे कोई भी हों नींद में डूबे बच्चे ख़ासकर परीक्षाओं के दिनों में बड़े निर्दोष, मासूम ल... पर ये सच है बच्चे कोई भी हों नींद में डूबे बच्चे ख़ासकर परीक्षाओं के दिनों में ब...
लेखक: अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी। यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी।
निखिल को लगा जैसे उसके डैड नजरबंदी से आजाद हो कर हवा में विचरण करने लगे हो ! निखिल को लगा जैसे उसके डैड नजरबंदी से आजाद हो कर हवा में विचरण करने लगे हो !
आप भी तो दादी से यही कहती हो और चल जाता है। रमा आत्मग्लानि से भर जाती है। आप भी तो दादी से यही कहती हो और चल जाता है। रमा आत्मग्लानि से भर जाती है।