अफसर ने किसान का ऋण उतारा और किसी की जान बचाई। अफसर ने किसान का ऋण उतारा और किसी की जान बचाई।
जिसकी लाठी उसकी भैंस जिसकी लाठी उसकी भैंस
जो अपने साधारण से मकानों को बंगलों में बदल रहे हैं।" जो अपने साधारण से मकानों को बंगलों में बदल रहे हैं।"
लेखक : राजगुरू दत्तात्रेय आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : राजगुरू दत्तात्रेय आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी। यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी।
लेखक : इवान बूनिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : इवान बूनिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास