इस अंश में आप पढेंगे कैसे शूरच्का और रमाशोव अपने अतीत, बचपन आदि की बाते करते है इस अंश में आप पढेंगे कैसे शूरच्का और रमाशोव अपने अतीत, बचपन आदि की बाते करते है
इन्हीं रुपयों से मालकिन मुझे एक शाल ले कर दे देती तो मेरे कितना काम आती। इन्हीं रुपयों से मालकिन मुझे एक शाल ले कर दे देती तो मेरे कितना काम आती।
अनंत जी सरिता जी से सहमत तो नहीं थे पर उनकी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं बोले। अनंत जी सरिता जी से सहमत तो नहीं थे पर उनकी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं बोले।
विश्वास दानपेटी में आने वाले रुपयों की तरह अब दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था। विश्वास दानपेटी में आने वाले रुपयों की तरह अब दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था।
सामने आँगन में रखी लाल भूरी, चमकीली पढ़ने की मेज पर सूर्य रश्मियाँ परावर्तित हो और चमकीली हो उठी थी। सामने आँगन में रखी लाल भूरी, चमकीली पढ़ने की मेज पर सूर्य रश्मियाँ परावर्तित हो ...
यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी। यह सोचते हुए शायद बेइरादा ही सही उन्हें ऐसी कठोर बात नहीं कहनी चाहिए थी।