Kanchan Hitesh jain

Romance Inspirational

4.3  

Kanchan Hitesh jain

Romance Inspirational

पिया वहीं जो दुल्हन मन भाये

पिया वहीं जो दुल्हन मन भाये

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शादी के बाद ससुराल में पहला दिन था रिया का। पूरे दिन रिश्तेदारों का आना-जाना ,रश्मों रिवाज चलते रहे ससुराल मेंं लंबे घूंघट की रीत थी। रिया पूरे दिन घूंघट में रश्में निभाती रही। रात होते होते रिया पूरी तरह से थक चुकी थी। उसकी आंखों में नींद थी पर सखियों से सुन रखा था सुहागरात के दिन अपने पति को नाराज मत करना क्योंकि दुल्हन वहीं जो पिया मन भाये।

सारी रश्मेंं करते करते रात के बारह बज गये।

"रिया बेटा बारह बज गये है अब जा बेटा सो जासासुमाँ ने कहा। "

उसे तो जैसे इसी बात का इंतज़ार था। पर आज की रात नींद किसे

हाथ में दूध का गिलास लिये वह कमरे में पहुंची एक तरफ मन घबरा रहा था, तो और एक तरफ इस पल का इंतजार, ऊपर से निंदिया रानी। उसने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला।

 जैसे ही वह कमरे में गईजतिन तो छोटे बच्चों की तरह अपने पैरों को सिकुड़े हुए आराम से सो रहा था। और जोर जोर से खर्राटे भर रहा था।

जतिन को देख पहले तो वह मंद मंद मुस्कुराई फिर उसे कम्बल ओढा दिया। एक बार तो उसने सोचा जतिन को उठाए पर फिर उसे लगा शायद वह भी थक चुका है और यह सोच वह भी चुपचाप लेट गई। लेकिन उसके मन में अजीब सी कशमकश चल रही थी कही वह उससे नाराज तो नहीं ,वह उसे पसंद भी है या नहीं। कई उसने ये शादी मजबूरी में तो "नहीं नहीं ऐसा होता तो वह मुझे बता देता वैसे तो हम सगाई के बाद एक दो बार मिले भी थे और फोन में भी कभी कभी बात होती उसके बर्ताव से मुझे कभी ऐसा लगा नहीं शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही हूँ। "और वह भी गहरी नींद मेंं डूब गई।

जतिन और रिया की अरेंज मेंरिज थी। ज्यादा मिलना झुलना हुआ नहीं। क्योंकि पापा की बिमारी की वजह से सगाई शादी सब तैयारियां एक ही महीने में हुई थी।

थकान की वजह से वह देर तक सोती रही। अगले दिन सुबह जब उसकी आँख खुली तो नौ बज गये थे। वह जल्दी से उठी नहा धोकर तैयार हो डरते हुये कमरे से बाहर आई। ननद और देवर तो जैसे कमरे के बाहर उसकी क्लास लेने के लिए ही खडे थे"ये भी कोई टाईम है उठने का भाभी ,भैया तो ऑफिस भी चले गये है। लगता है आप भूल गई की आप अपने ससुराल में होउसके आँसू छलकने ही वाले थे ,कि सासुमां ने कहा कोई बात नहीं बेटा ये तो तुझे ऐसे ही चिढा रहे है। और ननद देवर दोनों खिलखिलाकर हँस पडे। सॉरी भाभी हमने तो पहले ही दिन आपको रूला दिया। हम तो मजाक कर रहे थे। आपकी परिक्षा ले रहे थे कि हमारी भाभी कितनी स्ट्रोंंग है पर आप तो बडी कमजोर निकली।

रिया ने कान पकड़ कर कहा सॉरी माँ ,

कोई बात नहीं बेटा मैं समझ सकती हूँ, शादीब्याह की थकावट को इसिलिए तुझे नहीं उठाया।

पूरा दिन आस पडोस के लोगों से मिलने जुलने में और काम में चला गया। उसी बीच जतिन के एक दो कॉल आये पर बात नहीं हो पाई क्योंकि उस समय मोबाईल का चलन नहीं था।

रात को जब जतिन घर आया उसने रिया से जल्दी काम खत्म कर कमरे में आने का इशारा किया।

उसे जतिन से पहली ही नजर में प्यार हो गया था। और वह यह भी जानती थी कि जतिन भी उसे पसंद करता है। पर वह अपने रिश्ते को थोड़ा वक्त देना चाहती थी। ताकि वे दोनों एक दूसरे को समझे। पर वह अजीब कशमकश में थी कि जतिन के मन में क्या है ,क्या वो रिश्ते को वक्त देगा या उसकी सखी रुपल के पति की तरहनहीं नहीं यह सोचते ही उसके रोंगटे खडे हो जाते।

वह रसोई का काम खत्म कर अपने कमरे में गई। जतिन वहां नहीं था। पलंग पर एक खत और एक गिफ्ट रखा था। उसनें घबराते हुए खत हाथ में लिया। धड़कन तेज हो रही थी, मन में अजीब अजीब विचार आ रहे थे। धीरे से खत को खोला उसमें लिखा था

"आई एम सॉरी रिया। मैंंने कल हमारे जीवन के इतने अनमोल पल को सोकर गवां दिया। रिया तुम भी जानती हो हमारी शादी किन हालातों में हुई है। अगर तुम्हारी इजाजत हो तो मैंं चाहता हूँ कि हम हमारे रिश्ते को थोडा वक्त दे। पहले एक दूसरे को समझे। तुम ये यत समझना कि तुम मुझे पसंद नहीं हो। तुम मेरे लिए दी बेस्ट हो। पर किसी भी रिश्ते की शुरुआत समझदारी ,सूझबूझ, भरोसे और प्यार से हो तो अच्छा है ताकि बाद में किसी को पछतावा ना हो। अगर तुम्हारी हाँ है तो मैं तुम्हारा बालकनी में इतंज़ार कर रहा हूँ। । रिया ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका हमसफर इतना अच्छा होगा वह दौड़ती हुई बालकनी में गई उसकी आँखों में आँसू थे।

क्या हुआ रिया रो क्यों रही हो मैंने कुछ गलत लिख दिया ?

 जतिनआज तक सुना था" दुल्हन वही जो पिया मन भाये "लेकिन आज तुमनें एक और बात साबित कर दी कि" पिया भी वही जो दुल्हन मन भाये "ये आंसू खुशी के है "पता है एक महीने से मेरे मन में कितने उतार चढाव चल रहे थे। पर आज मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे पापा ने मेरे लिए वर्ल्ड का बेस्ट लड़का ढूंढा। तुम्हारे जैसा हमसफर पाकर मेंरा ये सफर और भी आसान हो गया। आई लव यूंं जतिन। मैं वादा करती हूँ पूरी कोशिश करूंगी की तुम्हें कभी शिकायत का मौका न दू।

रिया का हाथ अपने हाथो में ले जतिन ने कहा मैं भी।

तो दोस्तों अगर जीवन के सफर में ऐसा हमराही मिल जाये। जो एक दूसरे को समझे, एक दूसरे के सुख दुख का ख्याल रखें तो जीवन का यह सफर सरल, सफल और सुगम हो जाता हैं।


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