क्या कहती है मेरी सखियां
क्या कहती है मेरी सखियां


हम सब जानते है देश में जो महामारी फैली हुई है और उसके चलते जो लोकडाऊन चल रहा है उससे हम गृहिणियों का जीवन व्यस्त हो गया है और हमें बहुत कुछ सीखा दिया है।तो मैंने पूछा मेरी कुछ सखियों से कैसा रहा उनका लोकडाऊन एक्सपिरियंस तो आओ सुनाती हूं क्या कहती हैं मेरी सखियां।
चेन्नई से मेरी सखी "अनिता"जो एक होममेकर है उनका कहना हैमिल जुलकर काम करने से कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। घर में ज्यादा लोग होने की वजह से हमने सब काम आपस में थोड़ा थोड़ा बांट दिया है जिससे काम आसान हो गया है।
मेरे पतिदेव भी किचन में मेरा हाथ बंटा रहे हैं जिससे काम जल्दी हो जाता है और हमें एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने का मौका भी मिल रहा है।हम सब साथ बैठकर केरम, चेस और लूडो खेलते हैं। जीवन बहुत ही सुन्दर और आसान हो गया है।
मेरी सखी लता बताती है,,,,,
मैं खुश हूं कि मुझे अपने पतिदेव और बच्चों के साथ वक्त बिताने का मौका मिल रहा है।हर वक्त बच्चे खाने की फरमाइश करते रहते हैं और मैं भी खुशी खुशी नये नये व्यंजनों में अपने हाथ आजमा रही हूं क्योंकि खाना बनाना मेरा शौक है ।कामवाली छुट्टी पर हैं पर बच्चे हर काम में मदद करने लगे है।पहले कभी परिवार के साथ इतना वक्त बिताने का मौका नहीं मिला कभी कभार सोचती हूं जब हालात सुधर जाएंगे
तो मैं फिर से घर पर अकेली रह जाऊंगी सबके इंतजार में ।और इसलिए जो भी समय मिला है मैं उसे पूरी तरह से एन्जाय कर रही हूं।
दिल्ली से मेरी सखी "एनी" जो पेशे से एक प्रोफेसर हैं उसका कहना है,,,
पहली बार उसने अपने परिवार के साथ इतना वक्त बिताया है। प्रोफेसर होने की वजह से वे हमेशा अपने काम में व्यस्त रहती थी ।इस भाग दौड़ भरी जिंदगी से उसे पहली बार इतना आराम मिला है। ऐसा लग रहा है समय थम सा गया है आराम से उठो खाओ पियो ना कोई चींता ना कोई फ़िक्र जिंदगी बदल गई है।
मेरी सखी "अनु" का कहना है,,,,,,
इस लोकडाऊन ने काम बढ़ा दिया है ।पर साथ ही परिवार के साथ ने आसान भी बना दिया है। वह अब खुद को वक्त देने लगी है योगा मेडिटेशन के लिए समय निकाल रही है साथ ही बच्चों और पति को भी वक्त दे रही है।
सही में इस लोकडाऊन ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया जो बच्चे २४ घंटे मोबाइल में लगे रहते थे।और जब वक्त मिलता दोस्तों के साथ बाहर चले जाते थे आज बाहर ना जा पाने की वजह से परिवार को भी वक्त देने लगे है। पड़ोसियों से रिश्ते मजबूत होने लगे है। परिवार के लोग एक-दूसरे को समझने लगे हैं।और बहुत कुछ बदल गया है जीवन मे।
तो कैसा है आपका लोकडाऊन एक्सपिरियंस? शेयर करे हमारे साथ।