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इज्ज़त दो, इज्ज़त लो

इज्ज़त दो, इज्ज़त लो

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पता नही क्या सीखा कर भेजा है आपने। बस किताबी ज्ञान है। एक काम ढंग से नही करती। ना आपने कभी व्यवहार संभाला ना बेटी को सिखाया...फोन उठाते ही विमलाजी ने कहा।

शादी के बाद बार बार अपने माँ बाप का इस तरह अपमान होते देख।

आज हिम्मत जुटा रिया ने कहा...बहुत हुआ मम्मीजी मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी मत समझना। मैं चुप हूँ क्योंकि मेरे माँ बाप ने मुझे अच्छे संस्कार दिये हैं, बड़ों का सम्मान करना सिखाया है। हाँ पर एक बात है जो मेरा किताबी ज्ञान सिखाता है।

"इज्ज़त दो इज्ज़त लो।"


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