रोबो मां..लाकडाऊन की कहानी
रोबो मां..लाकडाऊन की कहानी


मम्मा मेरी ओनलाइन क्लास का टाइम हो गया है। मम्मा प्लीज़ पास में बैठो कुछ समझ नहीं आता थोड़ी हेल्प कर दो ना। "...नक्ष ने कहा।
"बहू एक कप चाय बना दो। "... इतने मे ससुर जी ने आवाज दी।
रिया मेरा नाश्ता लगा दो ,आज दुकान खोलने का टाइम बदल दिया गया है। आज से किराना स्टोर नौ से दो बजे तक खोल सकते हैं। नौ बज गए हैं मुझे निकलना होगा।
"बहू रोहन का नाश्ता लगाकर पहले झाडू लगा दे, मेरी पूजा का समय हो गया है। "...सास ने कहा
हां मम्मी जी बस दो मिनट आ रही हूं... कहते हुए रिया किचन की ओर भागी।
नक्ष बेटा आप अपने नोट्स वगैरह लेकर तैयारी करो अभी क्लासेज शुरू होने में १५ मिनट है। तब तक मैं दादू की चाय ,पापा का नाश्ता और दादी के लिए पूजा की तैयारियां करके आती हूं।
ठीक है मम्मा...कहते हुए नक्ष ने हामी भरी।
एक तो इस लोकडाऊन में कामवाली छुट्टी पर, बहू बेचारी अकेली क्या क्या करें?... ससुरजी ने कहा
रिया अब रोबो की तरह काम पर लग गई।
पापाजी को चाय दे ,रोहन का नाश्ता लगा उसने झाडू पोंछा लगा फटाफट पूजा की तैयारियां कर ली। और नक्ष के पास जा बैठी अपनी ही साड़ी के पल्लू से पसीना पोंछ लेपटॉप ओन किया।
हाय ये गरमी...ऊपर से ये महामारी परेशान कर दिया है।
मन ही मन सोच रही थी क्या हाल कर दिया है इस लोकडाउन ने , ना खाने पीने की सुध ना पलभर की फुर्सत। सुबह छः बजे उठने पर भी काम पूरा नहीं होता ऊपर से कामवाली भी छुट्टी पर। कभी बच्चों के खाने की फरमाइश और कभी बड़ों के। कहां इस छुट्टियां मे मायके में मजे करती और कहां इस महामारी ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। साल में ये दस दिन तो मिलतेथे जब मेरे लिए भी छुट्टियां आती इस साल तो इस महामारी ने वे भी छिन ली।
सास ससुर दो बच्चे पति और वो छः लोगों के परिवार में काम करने वाली वह अकेली। सुबह छः बजे से रात के दस बजे तक वह रोबोट की तरह भागती रहती। कभी कभी तो मन ही मन रो भी लेती ..वह गहरी सोच में डूबी हुई थी।
तभी अचानक
"मम्मा ये मेथ्स का सम देखो ना समझ नहीं आ रहा है "...नक्ष ने कहा
"मम्मा सुन रही हो ना आप?"
अचानक से हां बेटा
"मम्मा आप उदास हो। "
नहीं मेरा बच्चा बस नानी नानू की याद आ रही थी।
नक्ष की क्लासेज पूरी होते ही परी की शुरू होनेवाली थी। बच्चो के लिए ये सब नया था। उनके पास बैठना भी जरुरी था।
आजकल रिया मां, पत्नी,बहू होने के साथ साथ बच्चों के लिए टीचर का रोल भी निभा रही थी।
लेकिन ये सब अब रुटिन सा हो गया था। पूरे दिन काम खत्म होने के बाद। कुछ ज्यादा ही थकान महसूस होने की वजह से बिस्तर पर लेटते ही आंख लग गई।
नक्ष और परी का होमवर्क बाकी था। जैसे ही रिया को कमरे की और जाते देखा तो वे भी कमरे में चले गये। रिया को सोता देख....
"दीदी लगता है मम्मा सो गई है !"नक्ष ने कहा
कोई बात नही नक्ष कल संडे ही है तो होमवर्क बाद में कर लेंगे। मम्मा को सोने देते है कहते हुए बच्चों ने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।
"दिदी आजकल मम्मा कितना थक जाती है ना। '
हां नक्ष उनका काम जो डबल हो गया है।
आजकल सोना दीदी भी काम पर नहीं आती। मम्मा हमारे लिए कितना कुछ करती है वह सबका ख्याल भी रखती है। सुबह से लेकर रात तक बिना रुके काम करती रहती है। और कभी किसी से शिकायत भी नहीं करती।
तो कल से हम भी मम्मा की काम मे मदद करेगे दिदि ताकि मम्मा को थोड़ा रेस्ट मिल जायेगा।
बच्चों को बातें करते सुन दादा दादी ने भी सोचा बच्चे सही कह रहे हैं हमें भी जितना हो सके बहू की काम में मदद करनी चाहिए । पहले की बात और थी। लेकिन अब सारा काम दुगना हो गया है।
सुबह जैसे ही रिया उठी उसने देखा ससुरजी अपनी खुद चाय बना रहे हैं।
"पापाजी आप क्यों?"
कोई बात नहीं बेटा तुम अपने दूसरे काम निपटा लो। चाय में बना लुंगा
आज सास भी पूजा के बाद किचन में आई और रिया की मदद करने लगी।
मम्मीजी आप... रिया ने कहा
तो क्या हुआ बेटा तुम भी तो अकेली पूरे दिन काम करती रहती हो। हम थोड़ी मदद कर लेंगे तो क्या फर्क पड़ता है।
आज रोहन ने भी अपना नाश्ता खुद लगा दिया।
रिया को अपने परिवार का ये बदल रुप समझ में नहीं आ रहा था। आज संडे था बच्चों की क्लासेज भी नहीं थी। और सबकी मदद से सारा काम भी फटाफट हो गया।
अचानक रिया की आंखें भर आई...ये क्या हो गया है आज सबको सब अपना काम खुद ब खुद किये जा रहे हैं। मुझसे कोई गलती हो गई क्या?"रिया ने सास से पूछा।
इतने में बच्चे अपने हाथ से बनाई हुई केक लेकर आये...."हैप्पी मदर्स डे" मम्मा
नक्ष और परी ने मां के आंसू पोंछते हुए कहा... मम्मा आपसे कोई गलती नहीं हुई आप तो हमारी रोबो मां हो। हां रोबो मां।
हां मम्मा आप वर्ल्ड की बेस्ट मम्मा हो।
हां बहू हमारे लिए तो" तुम ही काफी हो"
लेकिन हमें देर से यह एहसास हुआ कि साथ मिलकर काम करने से काम भी आसान हो जाएगा और यह बुरा समय भी हंसते खेलते बित जायेगा। इन छोटे छोटे बच्चों ने हमारी आंखें खोल दी।
तुम वर्ल्ड की बेस्ट मम्मा ही नहीं बेस्ट बहू भी हो।