Kanchan Hitesh jain

Inspirational Others

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Kanchan Hitesh jain

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मेरी खुशियों का रिमोट कंट्रोल

मेरी खुशियों का रिमोट कंट्रोल

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सुमन की बहु नेहा की गोद भराई की रस्म थी। नेहा बिन मां की बेटी थी इसलिए सुमन ने अपनी बहु को बेटी जैसा प्यार दिया। नेहा की शादी को दो साल हुए थे, नेहा और सुमन की आपस में खूब बनती लेकिन नए विचारों की नेहा दादी सास के पुराने ख्यालों की वजह से और उनके तानों की वजह से हमेशा परेशान रहती थी। आज सुबह सुबह ही देर से उठने की वजह से दादी जी ने उसे खरी खोटी सुनाई। नेहा रोते हुए अपने कमरे में चली गई। सुमन नेहा से बात करने उसके कमरे में आई।

सुमन ने नेहा के सर पर हाथ रख सहलाते हुए कहा....नेहा बेटा मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं। कल का दिन तुम्हारे लिए बहुत खास है। कल रिश्तेदार परिवार वाले घर में बहुत से मेहमान होंगे तुम तो अपनी दादी सास और भुआ सास का स्वभाव जानती हो अगर कल वे कुछ कह दे तो तुम अपना मुड खराब मत करना और लोगों के सामने भूलकर भी पलटकर जवाब मत देना।

नेहा ने कहा....लेकिन मम्मा अगर वे बेवजह कुछ कहे तो मुझसे नहीं सहन होता। वे जानती है मैं हमेशा समय से उठ जाती हूं आज मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी इसलिए देर हो गई। पता नहीं आप कैसे उनकी हर तीखी कड़वी बातों को हंसकर टाल देती हो। मां मैं भी आप जैसा बनना चाहती हूं। पर आप ही बताओ गलत करना और गलत सहना दोनों ही गलत है ना ‌मैंने अपनी मम्मा को तो नहीं देखा पर बचपन से पापा से यही सीखा है।

बेटा तुम जैसी हो बहुत अच्छी हो तुम्हें मेरा जैसे बनने की जरूरत नहीं है। हां तुम्हारे पापा ने बिल्कुल सही कहा है। लेकिन अगर कोई बात चुप रहने से बन जाती है तो हर बात का पलटकर जवाब देना जरूरी तो नहीं।

मां आप ये सब कैसे कर लेती हो सबकी खुशियों का ख्याल रखने के बाद भी वे तो सिर्फ आप में गलतियां ही ढूंढती रहती है। बेवजह आपको ताने मारती है फिर भी आपको जरा भी गुस्सा नहीं आता।

बेटा एक राज़ की बात बताऊं... जब मैं नई नई शादी कर इस घर में आई थी तब मुझे भी गुस्सा आता था। दुःख भी होता था। ना ही कोई दोस्त थे ना मोबाइल फोन की अपनी मां से बात कर मन हल्का कर सकूं। और तेरे पापा जी तो ज्यादातर काम की वजह से बिजनेस ट्रिप पर रहते थे।

फिर एक बार जब मैं पिहर गई तो मैंने अपने पापा से साफ साफ कह दिया मैं अब उस घर कभी नहीं जाऊंगी। मेरे पापा ने मुझे समझाया देख बेटा अपनी खुशियों की डोर अपने हाथ में है। भगवान ने हमें दो कान दिये है अगर अच्छी बात हो तो एक कान से सुन सीधा अपने जीवन में उतार देना और अगर बुरी बात हो तो एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देना।

तुम्हारी खुशियों पर तुम्हारा अपना अधिकार है तो तुम उसकी डोर भी तुम्हारे हाथों में ही होनी चाहिए। तुम्हारी खुशियों का रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथों में मत दो। तेरी सास के स्वभाव को तो तू नहीं बदल सकती पर खुद को तो बदल सकती है ना। पापा की इस छोटी सी बात ने जिंदगी जीने का बहुत बड़ा मतलब सीखा दिया। समय लगा खुद को बदलने में लेकिन जिंदगी सरल और खुशनुमा बन गई।

तो बेटा आज मैं भी तुमसे यही कहना चाहती हूं कि अपनी खुशियों का रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथों में मत दो।

थैंक्स मां मैं वादा तो नहीं कर सकती पर हां कोशिश जरूर करूंगी।

तो आप सबसे भी यही कहना चाहती हूं दूसरों को तो हम नहीं बदल सकते तो अच्छा है खुद को बदलें।



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