Kanchan Hitesh jain

Others

5.0  

Kanchan Hitesh jain

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तेरी मेरी प्रेम कहानी

तेरी मेरी प्रेम कहानी

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तो चलो सुनाती हूँ किस्सा एक सच्ची प्रेम कहानी का...कहानी बहुत पुरानी है लेकिन कहते है ना प्यार जितना पुराना होता है उतना ही मजबूत होता है।30मई रिया के जीवन की नई शुरुआत जब पहली बार वह राहुल से मिली थे।धडकन तेज हो रही थी, हाथ पैर कांप रहे थे, कमरे में कोई नहीं था सिर्फ़ वे दोनो। वह ऐसे नजर झुकाए बैठी थी जैसे कोई सुहागरात के दिन नई नवेली दुल्हन। मन कर रहा था एक बार नजर उठाकर देखे तो सही पर हिम्मत ही नहीं हुई।

"मेंरा नाम राहुल है और आपका?"

"रिया..." 

फिर शुरू हुआ सवालों का सिलसिला राहुल ने रिया से कुछ सवाल पूछे, उसके मन में भी कई सवाल थे पर पूछने कि हिम्मत ही नहींं हुई।कुछ देर बाद राहुल ने कहा......

"आप तो कुछ बोल ही नहींं रही हीं सिर्फ हाँ या ना में जवाब दे रही हो। क्या आप मेंरे बारे में कुछ जानना नहीं चाहती? कब सेमैं ही बोले जा रहा हूँ, अगर आप कुछ पूछना चाहती हो तो निसंकोच पूछ सकती हो ।"नजर उठाकर एक झलक राहुल की तरफ देखा और रिया ने मना कर दिया.. "नहींमैं कुछ नहीं पूछना चाहती।" फिर कुछ देर दोनों शांत बैठे रहे ।समय बहुत धीरे धीरे बीत रहा था जैसे रुक सा गया हो और फिर मिलन की वो घडी समाप्त हुई ।

"तो दीदी कैसी रही आपकी पहली मुलाकात लड़का पसंद आया या नहींं?"नहीं आया तो बता दो इस घर में एकमैं ही हूँ जो आपकी मदद कर सकती है ...रोमा ने चिढ़ाते हुए रिया से पूछा

"पहली नजर वाला प्यार मुझे भी होगा येमैंने कभी सोचा भी नहीं था। हाँ पर पहली ही नजर वाला प्यार हो गया है मुझे एक ही बार नजर उठाकर एक झलक देखी और सीधे दिल में आकर बस गया वो मेंरे।"....रिया ने कहा

 वैसे तो मेंरे हाँ या ना से कोई फर्क नहीं पडने वाला क्योंकि निर्णय लेना पापा के हाथों में है। परमैंने भी ठान ली है शादी करूंगी तो इसी लड़के से वरना आजीवन कंवारी रह जाऊंगी।"

पापा को भी घर परिवार लड़का सब पसंद आ गया था। पर सामने से कोई जवाब नहींं आया । इतंजार करते करते एक महीना बीत गया ।

अब परिवार में सबको लग रहा था कि शायद उन्हें ये रिश्ता मंजूर नहीं। पर रिया के मन में उम्मीद की एक किरण बाकी थी .....कहते है इतंजार का फल मीठा होता है तो आखिर इतंजार की घडी समाप्त हुई एक महीने और सात दिन बाद रिश्ता पक्का हुआ।रिश्ता पक्का होते ही जब पहली बार कॉल आया रिया का पहला सवाल यही था ..

"क्यामैं आपको पसंद हूँ?"

"ऐसा क्यों पूछ रही हो?"

"हाँ ,कहने में काफी वक्त लगा दिया आपने ..".

"हाँ ,जिंदगी भर का सवाल है सोच समझकर फैसला लेना पड़ता है।"

"सिर्फ आप ही की जिंदगी का सवाल था किसी और की नहीं।?"

"किसी और की जिंदगी का भी सवाल था और उसे धोखे में नहीं रखना चाहता था इसिलिए सोच रहा था।"

"सच सच बताओ बात क्या है आपको कोई और लड़की पसंद है?"

"नहीं ,अगर होती तोमैं उसीसे शादी करता तुम्हारे लिए हाँ थोड़े ही कहता ।पर हाँमैं तुमसे झूठ नहीं बोलना चाहता तुम वैसी नहीं हो जैसी मेंरी पसंद है। तुम में कोई कमी नहीं तुम सुंदर हो ,होशियार हो। पर मेंरी पसंद थोडी हटकर है, मै चाहता था कि मेंरी जीवनसंगिनी बोल्ड,खुलकर बात करनेवाली ,खुलकर हंसने वाली हो ऐसी सीधी सादी बोरिंग टाईप की नहीं।'

"तो मना कर देते ना..."

"मना तो मैं कभी नहीं करता चाहे कोई भी लड़की होती। तुममेंं तो कोई कमी नहींं पर अगर कोई बदसूरत लड़की भी होती ना तो मैं मना नहीं करता ।क्योंकि किसी लड़की का रिश्ता ठुकराने के बाद उसपर और उसके परिवार वालों पर क्या बीतती है मैं ये अच्छे से जानता हूँ।हाँ कहने के लिए वक्त इसिलिए लगा क्योंकि मैं समझ नहीं पा रहा था कि तुम्हारा स्वभाव मेंरे स्वभाव से बिल्कुल विपरीत  है तो क्या हम आपस में सामंजस्य बिठा पायेंगे या नहीं ।हाँ पर ये कभी मत सोचना कि ये रिश्तामैंने मजबूरी से किया है मुझे तुम पसंद हो और मेंरा वादा है जीवन में कभी तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा, तुम्हारा भरोसा नहीं तोडूंगा और हर सुख दुख में तुम्हारे साथ खडा रहुँगा। बाकी रही बात तुम्हे चेंज करने की तो इतना विश्वास मुझे खुद पर है कि एक दिन तुम्हें अपने रंग में रंग ही लूंगा।"

राहुल की बातों से रिया के मन में उसके लिए इज्ज़त और भी बढ गई। एक वो दिन था और एक आज का दिन दो साल सगाई रही और इक्कीस साल उनकी शादी को हुए जीवन के हर मोड़ में ढाल बनकर एक दूसरे के साथ खड़े रहे दोनों।

तो दोस्तो यह थी रिया और राहुल की कहानी और ऐसी ही है हम बहुत से कपल्स की कहानी ...माना कि हम कभी ये रोज डे,प्रपोज डे,चाकलेट डे...ये डे वो डे नहीं मनाते क्योंकि सच्चा प्यार इन सात दिनों का मोहताज नहीं हमारा प्यार तो सात जन्मों का है और हर दिन हमारे लिए सेलिब्रेशन है।




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