हां मुझे डांस नहीं आता पतिदेव
हां मुझे डांस नहीं आता पतिदेव


"रिया ये कैसी चाय है! शक्कर नहीं, मसाला नहीं, दूध कम पानी ज्यादा। सुबह सुबह एक कप ढंग की चाय भी नहीं पिला सकती। पूरा दिन खराब कर दिया आकाश बोले जा रहा था।" रिया चुपचाप सुन रही थी। क्योंकि वह जानती थी आकाश कल रात की पार्टी के बाद नाराज है और यह उसकी हमेशा की आदत है। पर बच्चे घर पर थे और वह बच्चों के सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी। इसलिए वह आकाश की बातों को अनसुना कर रही थी।
"आकाश मन ही मन बड़बड़ा रहा था, खुद की गलती है इसलिए चुप है, वरना इसके खिलाफ एक शब्द बोल के तो देखो, सारा घर सिर पर उठा लिया होता"।
रिया इयरफोन कानों में लगा गाने सुनने लग गई। क्योंकि वह बात बेबात के इन झगड़ों से थक चुकी थी। अपने आप को साबित कर करके थक चुकी थी। बच्चे बड़े हो रहे हैं और उनके सामने रोज इस तरह झगड़ना उसे सही नहीं लगता था और इसी वजह से आकाश की बात को अनसुना करने के अलावा उसके पास और कोई चारा नहीं था।
आकाश भी अकेला कब तक बोलता इसिलिए तैयार होकर रिया से बिना कुछ कहे ऑफिस के लिए रवाना हुआ। जैसे ही उसने दरवाजा खोला...
"अरे ,आकाश नाश्ता तो कर लो मेरा गुस्सा खाने पर क्यों निकाल रहे हो?"
नहीं करना मुझे नाश्ता, मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूँ कहते हुए आकाश चला गया।
"रिया मन ही मन बोल रही थी, दस साल हो गये शादी के लेकिन आज भी तुम मुझे समझ नहीं पाये, हर छोटी बड़ी बात को लेकर बहस! कब तक चलेगा ऐसे? कब समझोगे तुम...?
इतने में मोबाइल की रिंगटोन बजी..
रिया......"हैलो! पायल, सही वक्त पर फोन किया तूने। मैं तुझे ही कॉल करने वाली थी। परेशान हो गई हूँ यार, इन रोज रोज के झगड़ों से और तेरे सिवाय कौन है मेरा यहाँ, जिससे मैं अपने दिल की बात कह सकूँ।"
पायल बोली "क्या हुआ? किससे नाराज है? क्या किया अब आकाश ने?"
रिया- "कुछ नहीं यार वही हमेशा की तरह! बेवजह की नाराजगी। कल कल्ब का प्रोग्राम था यार डीजे नाईट और तू तो जानती मुझे डांस वांस नहीं आता। दस साल हो गए अब तो आकाश भी जानते हैं इस बात को। सब एंजॉय कर रहे थे और मैं एक कोने में बैठी हुई थी। उस बात का गुस्सा! कहते हैं हाथ पैर ही तो हिलाने हैं, वो भी तुमसे नहीं होता। शादी के बाद कितना बदल दिया है मैंने अपने आप को फिर भी हर बात से शिकायत।"
पायल- "तो सही ही तो कहा आकाश ने हाथ पैर ही तो हिलाने हैं। वह डिस्को है डियर, कोई स्टेज शो नहीं। तुम्हें कितनी बार समझाया थोड़ा नाच लिया करो, वहां कोई तुम्हें नहीं देखने वाले कि तुम कैसा नाचती हो। पर तुम तो..."
रिया- "अब तुम भी शुरू हो गई? यार मेरा भी बहुत मन करता है लेकिन क्या करूँ! बचपन का डर मन में ऐसा घर कर गया है कि कितनी कोशिश करुं उससे उभर ही नहीं पाती। आकाश इस बात को अच्छे से जानते हैं, फिर भी समझते नहीं।"
पायल- "ओके यार चिल! जब वो शाम को घर आयेगा तू उससे प्यार से समझा लेना वो समझ जायेगा। जरूरी नहीं कि हर इंसान हर कला में निपुण हो। हर किसी का टैलेंट अलग अलग होता है।"
रिया- "थेंक्स डियर, बहुत अच्छा लगा तुझसे बात करके, मन हल्का हो गया। ओके बाय,
फिलहाल थोड़ा काम है, फुरसत से बात करते हैं।
पायल- "ओके डियर, टेक केयर। और ज्यादा टेंशन मत ले, लाईफ में ये सब चलता ही रहता है।"
शाम को जब आकाश घर आया उसके चेहरे पर उसका गुस्सा साफ नजर आ रहा था। रिया को लगा फिलहाल बात करना ठीक नहीं रहेगा।
आकाश हाथ मुहँ धो जैसे ही डाईनिंग टेबल पर आया। रिया सोच में डूबी हुई थी।
"अब अपने सपनों की दुनिया से बाहर आकर कुछ खाना परोसोगी या भूखा ही सो जाऊँ?"
आकाश की आवाज़ सुनते ही रिया अपने ख्यालों से बाहर आई, खाना परोसा।
रोटी का एक कौर मुहँ मे डालते ही "ये क्या रिया? कैसा खाना बनाया है! सब्जी में नमक का पूरा डिब्बा ही उड़ेल दिया। दस साल हो गए शादी को, ढंग का खाना भी नहीं बना पाती। कभी पार्टी में जाओ तो बस एक कोने मे बैंठ जाती हो। किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं, डांस नहीं आता, खाना बनाना नहीं आता। आता क्या है तुम्हें?"
अब रिया के सब्र का बांध टूट गया।
"बस करो यार! कब तक ताने कसते रहोगे डांंस को लेकर? हाँ नहीं आता मुझे नाचना, मैं औरों की बीवियों जैसी नहीं हूँ। पर क्या कभी तुमने यह सोचा जो मैं करती हूँँ, क्या वे कर सकती हैं? मैं घर गृहस्थी के साथ साथ तुम्हारे ऑफिस का पूरा अकाउंट संभालती हूँ, ट्यूशन लेती हूँ। हमेशा मेरी खामियाँँ ढूंढते हो, कभी मेरी अच्छाइयों को भी देख लिया करो? जाकर पूछना अपने दोस्तों से कि उनकी बीवी कितनी मदद करती हैं बिजनेस में? टीना अच्छा नाचती है, सुमन कितनी अच्छे से तैयार होती है। बस करो यार, औरों के गुण गाना। मैं शिकायत नहीं करती इसका यह अर्थ नहीं है कि तुम एकदम परफेक्ट हो। और अगर इतना ही डांस का शौक था तो सगाई के पहले जब मेरा इंटरव्यू लिया था तुमनें इतने सवाल किए थे, तो यह भी पूछ लिया होता ताकि आज पछतावा नहीं करना पड़ता। और क्या कह रहे थे तुम! दस साल हो गए फिर भी खाना बनाना नहीं आता। हो जाता है कभी कभी तो क्या हुआ कौन सा पहाड़ टूट गया। हाँ, दस साल से मैं किचन संभाल रही हूँँ। बारह साल से तुम भी तो बिजनेस संभाल रहे हो, तो तुम्हारे बिजनेस में कभी नफा नुकसान नहीं होता?"
रिया बिना रुके बोले ही जा रही थी और आकाश चुपचाप सुन रहा था, क्योंकि उसने रिया का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था। रिया की बातें आज उसे सच्ची भी लग रही थीं और अच्छी भी। अब रिया कुछ और बोलती उसके पहले आकाश ने उसके अधरों पर हाथ रखा और उसे अपनी बाहों में भर कसकर पकड़ लिया "बस करो मेरी जानेमन! बच्चे की जान लोगी क्या? मुझे माफ करना रिया, मैं बहुत खुदगर्ज था। कभी ये नहीं सोचा तुमपर क्या बितती होगी। आज से तुमसे एक वादा है मेरा, आज के बाद मैं तुम्हें कभी नाचने के लिए मजबूर नहीं करूँगा। अब तो हँस दो जानेमन!"
उसने रिया के गाल चूमते हुए कहा। रिया के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट छा गई। सारा गुस्सा एक पल मे शांत हो गया।
तो दोस्तों, हर इंसान अलग होता है। हर किसी का टैलेंट भी अलग होता है। कोई किसी के जैसा नहीं बन सकता। हमें अपने हुनर को समझकर उसी राह पर जाना है ताकि हम अपनी अलग पहचान बना सकें।