Kanchan Hitesh jain

Children Stories

3.4  

Kanchan Hitesh jain

Children Stories

मेरा प्यारा टफी

मेरा प्यारा टफी

4 mins
460


रिया क्या हुआ तुझे रो क्यों रही हैं ?मै कब से देख रही थी तुझे, तू परीक्षा की पर्ची हाथ में लिए बैठी थी और रोये जा रही थी। ऐसा तो नही हो सकता कि तुझे सवालों के जवाब नहीं आते हो क्योंकि तू तो टॉपर है ,फिर क्या बात है बता रिया..।

रश्मि मेरा टफी... मेरा टफी..

क्या हुआ तेरे टफी को..

रश्मि आज भी वो दिन याद है मुझे जब सामनेवाले चेट्टियार अंकल ने आठ दिन के टफी को हमे सौंपा था ,क्योंकि घंटों बालकनी मे खडी मै उनकी डॉगी लेजी को निहारतीं रहती। लेजी को जब बच्चे हुए तो उन्होंने एक बच्चे को हमे दे दिया हमने उसका नाम टफी रखा ।मम्मी ने तो साफ मना कर दिया था, मुझसे इसका पोटी वोटी साफ नहीं होगा लेकिन मेरी जिद् की वजह से मम्मी मान गई।धीरे धीरे टफी सबका लाडला हो गया। हैं तो वह कुत्ता लेकिन उसकी हरकत तो इंसानों जैसी है कभी नीचे जमीन पर नही सोता गद्दी पर ही सोता है वह भी मेरे पास।अंकल जब सुबह उठकर मंदिर में भगवान की भक्ति करते वह उनके साथ मंदिर में बैठ जाता।जैसे ही हम स्कूल से आते वह हमारी आहट सुनकर गेट पर आकर खडा हो जाता और हाथ पैर ऐसे छाँँटने लगता था ।जैसे वह बता रहा हो कि वह हमे कितना मिस कर रहा हो...भौं भौं कर डांटना भी शुरू कर देता... टयूशन मिस ,पडोस वाले मासी सबका प्यारा हैै वो ।जब सेे वो हमारी जिंंदगी मैै आया है एक सच्चा और वफादार दोस्त मिल गया मुझे। लेकिन पता नहीं अचानक क्या हुआ मेरे टफी को...तीन दिन हो गए सुधबुध खोकर एक कोने में पडा हैं। रोज हम उसे डाक्टर के पास ले जा रहे है। लेकिन उसकी तबीयत बिगडती ही जा रही है ।मासी तो दिन मे तीन तीन बार उसकी नजर उतारते है।.....

कहते कहते रिया फिर से रोने लगी

रिया तू चिंता मत कर सब ठीक हो जायेगा।

जैसे ही रिया स्कूल से लौटी...

"माँ टफी कहा है ..?"

"मम्मा आप रो क्यों रही हो क्या हुआ टफी को ..माँ बताओ मम्मा।"

कुछ नहीं हुआ उसे हास्पिटल मे एडमिट करना पडा डॉक्टर ने उसे घर पर रखने से मना किया है।

मम्मा आप मुझे उसके पास ले जाओ वह अकेला होगा उसे हमारी जरूरत होगी माँ चलो माँ।

तू पहले कुछ खा ले ,कपडे बदल फिर चलते हैं।

नहीं माँ पहले चलो .....और वह जोर जोर से रोने लगी।

ठीक है चलते हैं तू रोना बंद कर। और दोनों चल दिये।

थोड़ी देर बाद....

मम्मा ये हम कहाँ जा रहा हैं आप कह रही थी टफी हास्पिटल मे हैं लेकिन हम तो beach की ओर जा रहे है। 

ओटोवाले भैया ये आप कहा जा रहे हो हमें वेटरिनरी हास्पिटल जाना है।

वो सही जा रहा है।

मै उसे बीच पर ही छोड आई हूँ ।"सुबह जब मै उसे हास्पिटल ले गई तो डॉक्टर ने बताया हमारे पास कोई इलाज नहीं है और इसे घर ले जाना भी आपके लिए खतरे से खाली नहीं, घर में छोटे बच्चे हैं तो उन्हें इंफेक्शन हो सकता हैं। "अब बताओ मै क्या करती?

माँ आप ऐसा कैसे कर सकती हो, कोई उसे वहाँ से उठाकर ले गया होगा तो।उसे कुछ.. माँ सुबह से भूखा प्यासा क्या हालत हुई होगी उसकी। अगर कभी मुझे कुछ ऐसी बिमारी हो जाये और मै आपके लिए खतरा बन जाऊँँ तो आप मुझे भी छोड आयेगी।

क्या बोल रही हैं रिया तू ,हम सबने भी सुबह से कुछ नहीं खाया ।जब से उसे छोड़कर आये है मन में बार बार उसीका ख्याल आ रहा है। तेरे पापा भी बिना कुछ खाये दुकान चले गए ।मै भी टफी से बहुत प्यार करती हूं ।लेकिन मै एक माँ भी हूँ और माँ होने के नाते मुझे जो सही लगा मैंने किया।

जैसे ही ओटो रुका ,दोनों दौड़ते हुए बीच की तरफ गये मम्मी उसे एक पेड़ के नीचे सुलाकर आई थी। वह वहीं था उसकी आँखों में आँसू थे ,वह दौड़ के उनसे गले लग जाना चाहता था, लेकिन वह निसहाय और लाचार था, लडखडा रहा था।उसमें इतनी शक्ति नहीं थी कि वह चल सके।

मम्मी ने कहा जो होगा देखा जायेगा अब हम इसे यहाँ नही छोड सकते इसे हम घर ले जायेंगे।और वे उसे घर ले आये शाम के ५-६ बजे होगे पूरा परिवार पडोस वाले मासी सब उसके इर्द गिर्द बैठे हुये थे।मासी उसकी नजर उतारे जा रहे थे ,और सब मिलकर भगवान से उसके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे कि कोई चमत्कार हो जाये और टफी फिर से दौडने खेलने लग जाये।लेकिन ऊपरवाले कि मरजी के आगे किसीका बस नहीं चलता।

 कुछ ही देर में टफी ने अपनी आखिरी सांस ली।और सबकी आँखों में आँँसू छोड़ इस दुनिया से हमेशा के लिये विदा ली।ऐसा लग रहा था मानो उसे सुबह से शायद इसी बात का का इंतजार था कि मम्मी आये और उसे घर ले जाये ताकि वो जब इस दुनिया से जाये सब उसके साथ हो।...

तो दोस्तों ये अबोल जानवर बोल नहीं सकते लेकिन इनके भी जज्बात होते है।प्यार लेना भी जानते है और प्यार देना भी ...

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी अपनी कमेंट्स जरूर पोस्ट करें और मोमसप्रेसो पर मुझे फोलो करें।



Rate this content
Log in