जब तक की कुशल हाथ जमीन पर उसकी डोर सावधानी से थामें रहे। जब तक की कुशल हाथ जमीन पर उसकी डोर सावधानी से थामें रहे।
ओह ! माँ मेरे अरमान भाप की तरह उड़ गए पर जलन छोड़ गए। ओह ! माँ मेरे अरमान भाप की तरह उड़ गए पर जलन छोड़ गए।
लहूलुहान होती रहती है बिल्कुल खामोश और बेआवाज। लहूलुहान होती रहती है बिल्कुल खामोश और बेआवाज।
अब सबका पेपर अच्छा होगा।उसका वो रूप देख के उसके प्रति मां जैसी श्रद्धा उमड़ आई थी। अब सबका पेपर अच्छा होगा।उसका वो रूप देख के उसके प्रति मां जैसी श्रद्धा उमड़ आई थ...
उसने झट से देरी न करते हुए अपनी ननद का हाथ पकड़ लिया ! उसने झट से देरी न करते हुए अपनी ननद का हाथ पकड़ लिया !
इतने व्यस्त हो गए हैं सब कि खाने-पीने का तो कोई महत्व ही नहीं रहा, अगर कभी बुला के कह दूँ कि आओ पैस... इतने व्यस्त हो गए हैं सब कि खाने-पीने का तो कोई महत्व ही नहीं रहा, अगर कभी बुला ...