औरतें
औरतें
औरते रंगबिरंगी,खूबसूरत और आकर्षक पतंगों की तरह होती है।पतंग को लगता है की उसकी कमर से जो डोर बँधी है उसी से वह इस खुले आसमान में बेख़ौफ़ उड़ती रहती है।
इसी बेख्याली से वह भूल जाती है कि अस्सल में उसकी डोर तो किसी और के हाथ में होती है,जिसे वह अपनी चाहत और ख़ुशी से उड़ाता रहता है।और पतंग कट जाए तो फ़ौरन दूसरी पतंग ले आता है।
पतंग के इस खेल में अगर पतंग नहीं कटती है तब खेल खत्म होने पर उड़ानेवाला उसी पतंग को घर के किसी कोने में बड़ी ही एहतियात से माँझे के साथ ही रख देता है।और कोने में पड़ी हुयी पतंग लहूलुहान होती रहती है माँझे में मिलाये हुए काँच से बिल्कुल खामोश और बेआवाज....